ED के छठे समन पर भी पेश नहीं हुए अरविंद केजरीवाल, AAP ने कहा, मामला अब अदालत में है

अभिषेक

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Arvind Kejriwal ED Summon: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आमआदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने कथित शराब नीति घोटाले मामले में इंफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट (ED) के छठे समन को नजरंदाज कर दिया.14 फरवरी को ED ने केजरीवाल को छठा समन जारी किया था और उन्हें 19 फरवरी को जांच एजेंसी के सामने पूछताछ के लिए पेश होने को कहा था. आप सुप्रीमो केजरीवाल ने ED के अब तक भेजे सभी समन को नजरअंदाज किया है और ED पर ये आरोप लगाया है कि समन ‘अवैध’ और ‘राजनीति से प्रेरित’ है. अरविंद केजरीवाल को 2 नवंबर, 2023 को पहला समन जारी किया गया था उसके बाद 22 दिसंबर, तीन जनवरी, 18 जनवरी, दो फरवरी और फिर 14 फरवरी को समन जारी किये गए. वैसे आपको बता दें कि, ED के पांचवे समन के बाद केजरीवाल का यह मामला अदालत में है.

इस पूरे मामले पर आप का कहना है कि, ‘ED ने खुद अदालत का दरवाजा खटखटाया. बार-बार समन भेजने के बजाय ED को अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए.’ मामला अब अदालत में है तो ED को कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए. जांच एजेंसी को बार-बार बिना मतलब के समन नहीं भेजने चाहिए.

अब तक क्या हुआ

कथित शराब नीति घोटाले मामले की जांच के संबंध में ED ने पूछताछ के लिए केजरीवाल को जारी किए गए पांचवे समन का पालन नहीं करने पर ED ने तीन फरवरी को केजरीवाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद सात फरवरी को केजरीवाल को अदालत में पेश होने के लिए कहा गया था. 17 फरवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दिल्ली की एक अदालत को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि, दिल्ली विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और 1 मार्च को समाप्त होने वाले बजट सत्र के कारण वह अदालत के सामने शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं हो सकें. तब अदालत ने उन्हें 16 मार्च को अदालत के समक्ष शारीरिक रूप से पेश होने के लिए कहा था.

सुनवाई में अदालत ने एक महत्वपूर्ण बात ये कही कि, आप सुप्रीमो ED के समन का अनुपालन करने के लिए ‘कानूनी रूप से बाध्य’ हैं. यानी केजरीवाल को ED के सामने पेश होना ही होगा.

बार-बार ED के समन पर, केजरीवाल का कहना हैं कि, ‘ये सारे समन उन्हें गिरफ्तार करने के लिए ‘अवैध प्रयास’ थे और इसका उद्देश्य उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार करने से रोकना था’. वहीं दूसरी ओर भाजपा ने ये आरोप लगाया है कि, केजरीवाल शराब घोटाले की जांच से बचने के लिए दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र को अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं.

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