पतंजलि के विज्ञापनों में ऐसा क्या है जिसे लेकर भड़क गया सुप्रीम कोर्ट, क्या कार्रवाई भी होगी?

संजय शर्मा

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SC on Patanjali: ऐलोपैथी यानी अंग्रेजी दवाओं के माध्यम से इलाज के खिलाफ बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि के विज्ञापनों यानी प्रचार पर सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला लिया है. सर्वोच्च अदालत ने 'गुमराह करने वाले' विज्ञापनों के लिए पतंजलि आयुर्वेद पर जमकर बरसते हुए पतंजलि और आचार्य बालकृष्ण को अवमानना नोटिस जारी कर दिया है. कोर्ट ने बीमारियों के इलाज पर भ्रामक विज्ञापनों पर पतंजलि आयुर्वेद से जवाब-तलब करते हुए पूछा कि, क्यों ना उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए. कोर्ट ने  पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों में छपे फोटो के आधार पर उसके खिलाफ नोटिस जारी किया है. जानकारी के मुताबिक कोर्ट अब इस मामले पर 19 मार्च को सुनवाई करेगा.

वैसे आपको बता दें कि, पतंजलि कंपनी के विज्ञापनों को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसपर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. 

आदेशों के बावजूद प्रकाशित किये जा रहे विज्ञापन: जस्टिस अनानुल्ला 

इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अहसानुद्दीन अनानुल्ला ने नाराजगी जताते हुए कहा कि, हमारे आदेशों के बावजूद पतंजलि के विज्ञापन प्रकाशित किए जा रहे है. जस्टिस अमानुल्लाह कोर्ट रूम में खुद अखबार लेकर अदालत में आए और कहा कि, आपने  कोर्ट के आदेश के बाद भी यह विज्ञापन प्रचारित करने का दुस्साहस किया. आप कोर्ट को अब एक सख्त आदेश पारित करने के लिए उकसा रहे है. उन्होंने कहा, 'अपने विज्ञापनों में आप ये कैसे कह सकते है कि किसी बीमारी ठीक कर देंगे? और 'हमारी चीजे रसायन आधारित दवाओं से बेहतर है!' उन्होंने केंद्र सरकार को भी इस मामले में पतंजलि पर एक्शन लेने की बात कही. 

'परमानेंट रिलीफ' पर है कोर्ट को आपत्ति

अखबार में छपे विज्ञापन में लिखे गए शब्द पर आपत्ति जताते हुए कोर्ट ने कहा कि, परमानेंट रिलीफ का मतलब आखिर क्या है? इसके दो मतलब होते है, पहला तो ये की मरीज की ही मौत हो जाय और दूसरा ये की वो ठीक हो जाए. कोर्ट ने कहा ये 'परमानेंट रिलीफ' शब्द ही अपने आप में मिसलिडिंग और गलत है. कोर्ट ने आगे कहा, ये परमानेंट रिलीफ शब्द अपने आप में भ्रामक होने के साथ कानून का उल्लंघन भी है. वैसे अब इस मामले पर अगली सुनवाई 19 मार्च को होनी है. 

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