चुनाव से पहले सरकार ने मनरेगा मजदूरों का बढ़ाया मेहनताना, जवाब में राहुल गांधी ने दे दिया 400 वाला ऑफर
राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा,' मनरेगा श्रमिकों को बधाई! प्रधानमंत्री ने आपका मेहनताना 7 रू बढ़ा दिया है. अब शायद वह आपसे पूछें कि ‘क्या कीजिएगा आप इतनी बड़ी धनराशि का?’
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MNREGA workers wages: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मनरेगा मजदूरों का ऐसा अप्रेजल हुआ जिसपर हंगामा मच गया है. मोदी सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा के मजदूरों का मेहनताना 3 से 10 फीसदी तक बढ़ाया है. अब एक अप्रैल से करीब 26 करोड़ मनरेगा मजदूरों को पहले की अपेक्षा ज्यादा पैसा मिलेगा. मनरेगा मजदूरों का पैसा तो बढ़ा लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर धावा बोल दिया. सोशल मीडिया पर व्यंग्य से भरा पोस्ट लिखते हुए मोदी सरकार के मजदूरों के मेहनताना बढ़ाने का हिसाब कर दिया.
कहा कितना बढ़ा है मेहनताना
मजदूरों को सालभर में कम से कम 100 दिन मजदूरी की गारंटी देने की योजना है. सरकार ने तय किया हुआ है कि किस राज्य में एक दिन की मजदूरी कितनी होगी. नए नोटिफिकेशन के मुताबिक यूपी, उत्तराखंड में सबसे कम 3 परसेंट मजदूरी बढ़ी है. गोवा में सबसे ज्यादा 10 परसेंट मेहनताना बढ़ाया है. गोवा में मजदूरी 34 रुपये प्रति दिन बढ़ी लेकिन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सिर्फ 7 रुपये प्रति दिन मजदूरी बढ़ाई गई है. हरियाणा में एक दिन की मजदूरी सबसे ज्यादा 374 रुपये, गोवा में 356, कर्नाटक में 349 रुपये तय की गई है. उत्तर पूर्व के राज्यों को छोड़ दें तो सबसे कम मजदूरी यूपी, उत्तराखंड में 237, एमपी, छत्तीसगढ़ में 243, बंगाल में 250, ओडिशा में 254 रुपये मिलेगी. पूरे देश में में औसत मनरेगा मजदूरी बढ़ोतरी 28 रुपये प्रति दिन बैठती है.
मोदी सरकार पर तंज कसते हुए बता दिया ये प्लान
राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा,' मनरेगा श्रमिकों को बधाई! प्रधानमंत्री ने आपका मेहनताना 7 रू बढ़ा दिया है. अब शायद वह आपसे पूछें कि ‘क्या कीजिएगा आप इतनी बड़ी धनराशि का?’ और 700 करोड़ खर्च कर आपके नाम पर ‘धन्यवाद मोदी’ का अभियान भी शुरू कर दें. जो मोदी जी की इस अपार उदारता से नाराज हैं, वो याद रखें - INDIA की सरकार पहले दिन हर मज़दूर का मेहनताना बढ़ाकर 400 रुपए प्रतिदिन करने वाली है.
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कांग्रेस की हिट योजना रही है मनरेगा
मनरेगा कांग्रेस की सबसे हिट स्कीम रही है. 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली जीत का क्रेडिट इसी स्कीम को दिया जाता है जिससे देश में दोबारा यूपीए की सरकार बनी थी. 2014 में जब सरकार पलट गई और नरेंद्र मोदी की सरकार बन गई तब बीजेपी सरकार कई स्कीम लेकर आई लेकिन ऐसी कोई स्कीम नहीं आई जो मनरेगा की जगह ले सके. महात्मा गांधी के नाम पर होने के कारण योजना का नया नामकरण भी नहीं हुआ. अभी भी करीब 26 करोड़ मजदूर मनरेगा के तहत रोजगार पाते हैं.
मनरेगा के नाम से सोनिया गांधी, राहुल गांधी के कान खड़े रहते हैं. जहां कुछ ऊंच-नीच हुई नहीं कि, हमला शुरू हो जाता है. सोनिया, राहुल के आरोप पुराने हैं कि, सरकार मनरेगा को लगातार कमजोर कर रही है. जनवरी में जयराम रमेश ने आरोप लगाया था कि सरकार ने मनरेगा के 7.6 करोड़ मजदूरों को हटा दिया है.
देश की जनता को न्याय दिलाना है लक्ष्य: राहुल गांधी
लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाली. किसान, मजदूर, युवा सबको न्याय दिलाना का मिशन चलाया. यात्रा पूरी हुई तो कांग्रेस ने सबके लिए अलग-अलग तरह की न्याय गारंटी स्कीम का वादा किया है. श्रमिक न्याय भी कांग्रेस की इसी गारंटी का हिस्सा है. राहुल गांधी ने 7 दिन मजदूरी बढ़ाने पर निशाना साधते हुए एलान किया है कि जिन दिन इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी उसी दिन मनरेगा मजदूरों का मेहनताना बढ़ाकर 400 दिन किया जाएगा.
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बीजेपी सरकार ने जारी रखी ये योजना
पीएम मोदी मनरेगा की कोई तारीफ तो नहीं की थी लेकिन इसे बंद भी नहीं किया. ये कहते हुए कि कांग्रेस की नाकामियों के स्मारक के तौर पर योजना चलती रहेगी. सचमुच 10 साल बाद भी मनरेगा योजना चल रही है. सरकार हर साल मनरेगा पर सरकार का बजट भी बढ़ा रही है. 2024-25 के अंतरिम बजट में मनरेगा का बजट 86 हजार करोड़ किया गया. 2023-24 के लिए मनरेगा का बजट अनुमान 60 हजार करोड़ रुपये था.
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ऐसा माना जा रहा है कि मनरेगा के तहत मजदूरी की मांग लगातार मांग बढ़ रही है. सरकार ने मजदूरी ये सोच बढ़ाई है कि लोकसभा चुनावों से पहले मनरेगा के जरूरतमंदों के लिए ये किसी तोहफे से कम नहीं होगा. चूंकि चुनाव हो रहे हैं इसलिए सरकार ने मनरेगा की मजदूरी बढ़ाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने चुनाव आयोग से इजाजत ली है.
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