BJP के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी का निधन, इनके एक दांव से चारा घोटाले में यूं फंसे थे लालू यादव

शुभम गुप्ता

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Sushil Modi Demise: भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी का कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद सोमवार को निधन हो गया. वे लंबे समय से दिल्ली के एम्स में भर्ती थे. सुशील मोदी 11 साल तक बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे. सुशील कुमार बिहार के वित्त मंत्री भी रह चुके हैं. उन्होंने बिहार में बीजेपी को खड़ा करने में अहम भूमिका भी निभाई थी. बिहार के सीएम नीतीश कुमार से सुशील मोदी की अच्छी दोस्ती थी. माना जाता है कि बिहार में जदयू-राजद महागठबंधन सरकार के पतन के पीछे सुशील मोदी की अहम भूमिका थी.

सुशील मोदी का राजनीतिक सफर

सुशील मोदी की राजनीतिक यात्रा पटना विश्वविद्यालय में उनके छात्र जीवन के दौरान शुरू हुई, जहां वे 1973 में छात्र संघ के जनरल सेक्रेटरी बने. उन्हें 1990 में पटना सेंट्रल से विधायक के रूप में चुने गया. भाजपा ने बाद में उन्हें विधायक दल का मुख्य सचेतक नियुक्त किया. 1995 और 2000 में भी वे विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे. 1996 से 2004 के बीच वे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे. सुशील मोदी ने चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ जनहित याचिका डाली थी जिसके बाद उन्हें जेल जाना पड़ा था.

2004 में पहली बार पहुंचे थे लोकसभा 

साल 2004 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ते हुए सुशील मोदी ने भागलपुर से जीत दर्ज की और संसद पहुंचे. 2005 में बिहार चुनाव में एनडीए को बहुमत हासिल हुआ. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने और सुशील मोदी को उपमुख्यमंत्री बनाया गया. सुशील मोदी को वित्त मंत्रालय और कई अन्य विभागों की जिम्मेदारी भी सौंपी गई. इसके बाद 2010 में भी एनडीए ने जीत दर्ज की और सुशील मोदी को उपमुख्यमंत्री बनाया गया.

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वित्त मंत्री के रूप में जुलाई 2011 में सुशील मोदी को GST के वित्त मंत्रियों की समिति का चेयरमैन बनाया गया था.

नीतीश कुमार से अच्छे थे संबंध

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ सुशील मोदी के रिश्ते काफी अहम रहे हैं, दोनों नेता कई सालों तक साथ मिलकर काम करते रहे हैं. सुशील मोदी लगभग 11 वर्षों तक उपमुख्यमंत्री रहे. 2020 में, जब भाजपा ने सुशील कुमार मोदी को राज्यसभा में भेजा, तो नीतीश कुमार ने अपने दिल की बात बताई कि 'वह उन्हें अपनी टीम में कितना पसंद करते. हमने कई वर्षों तक एक साथ काम किया है. हर कोई जानता है कि मैं क्या चाहता था (मोदी को अपनी टीम में रखने के बारे में)। हालांकि, पार्टियां अपने फैसले खुद लेती हैं. वे उन्हें बिहार के बजाय केंद्र में स्थानांतरित कर रहे हैं. हम उनके लिए खुश हैं और उनके अच्छे होने की कामना करें.

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2022 में, जब नीतीश कुमार ने राजद, कांग्रेस और लेफ्ट दलों वाले महागठबंधन में शामिल होने के लिए भाजपा से नाता तोड़ लिया, तो उन्होंने एक बयान दिया कि अगर सुशील मोदी उपमुख्यमंत्री होते, तो ऐसा नहीं होता.

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नीतीश कुमार के कई राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बावजूद, सुशील मोदी के साथ उनकी दोस्ती पर कोई असर नहीं पड़ा. जुलाई 2017 में, जब नीतीश ने राजद के साथ गठबंधन तोड़ दिया और भाजपा के साथ दूसरी सरकार बनाई, तो सुशील मोदी को फिर एक बार उनका डिप्टी सीएम बनाया गया था.

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