बिहार में जातिगत सर्वे कराकर नीतीश का INDIA अलायंस में बढ़ेगा कद, बनेंगे विपक्ष का चेहरा?
बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े सामने आने के बाद देश में एक नई चर्चा छिड़ गई है. इस चर्चा के केंद्र में बिहार के…
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बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े सामने आने के बाद देश में एक नई चर्चा छिड़ गई है. इस चर्चा के केंद्र में बिहार के सीएम नीतीश कुमार हैं. कुल मिलाकर नीतीश ने लोकसभा चुनाव के पहले जातिगत जनगणना का दांव चलकर देश में एक अलग बहस छेड़ दी है. देशभर के विपक्षी खेमों में जातिगत जनगणना को लेकर भरपूर समर्थन मिल रहा है. ऐसे में इस दांव से नीतीश कुमार का कद INDIA गंठबंधन में बढ़ता हुआ दिख रहा है.
INDIA अलायंस को बनाने की पहल नीतीश कुमार ने ही की थी. उन्होंने ही पहली बैठक पटना में आयोजित कराई थी. उन्हें अलायंस का संयोजक बनाने की भी चर्चा थी. फिर खड़गे, सोनिया और ममता जैसे तमाम चेहरों की चर्चा होने लगी. नीतीश कुमार बाद की दो बैठकों में कटे-कटे नजर आए. माना जा रहा है कि, इन आंकड़ों के आने के बाद नीतीश कुमार की संयोजक बनने की दावेदारी पुख्ता हो गई है.
नीतीश जहां सीएम वहां उनकी जाति 3 फीसदी
बिहार जैसे प्रदेश जातियों की सियासत सबसे ज्यादा होती है. सीएम नीतीश कुमार कुर्मी जाति से आते हैं. इस जाति की संख्या बिहार में महज 3 फीसदी है, फिर भी वे लगभग 18 सालों से बिहार के मुख्यमंत्री हैं. उनकी इस सफलता के पीछे क्या वजह है, आइए समझते हैं.
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हमेशा की हैं सभी को साधने की कोशिश
बता दें कि नीतीश कुमार ने प्रदेश में जातियों के समीकरण को हमेशा अपने पक्ष में साधा हैं. उन्होंने विभिन्न पार्टियों के साथ गठबंधन करके सभी को भरपूर हिस्सा दिया है. इसका ताजा उदाहरण कुछ समय पहले का है, जब उन्होंने BJP का साथ छोड़ RJD के साथ महागठबंधन की सरकार बनाई. मंत्रिमंडल में उन्होंने पिछड़ी जातियों के सर्वाधिक 17 मंत्री बनाए. इसमें 8 यादव, 5 मुस्लिम, 5 दलित और 6 सवर्ण मंत्री भी बनाकर सभी को साधने की कोशिश की, लेकिन सबसे ज्यादा फोकस ओबीसी और ईबीसी (अत्यंत पिछड़ा जाति) पर रहा. अब जातिगत आंकड़े आने के बाद हम इसके पीछे की वजह को समझ सकते हैं.
सर्वे ने नीतीश का बढ़ाया है सियासी कद
पिछले चुनावों में नीतीश की पार्टी का जनाधार कम हुआ था. उनके अस्तित्व पर भी सवाल खड़े हो रहे थे, लेकिन इस कदम से INDIA अलायंस में नीतीश की दावेदारी मजबूत हुई है. कांग्रेस के साथ पूरा विपक्ष पिछडें वोटों की लामबंदी चाहता है. हाल ही में राहुल गांधी ने संसद में भी OBC का मुद्दा उठाया था. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया हैं कि, ‘जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी’ सुनिश्चित होनी चाहिए. नीतीश कुमार ने इसके लिए एक हिट फॉर्मूला पेश करते हुए अलायंस में खुद को मजबूत करने का काम किया हैं.
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