कांग्रेस SC-ST आरक्षण में क्रीमी लेयर के खिलाफ, खरगे ने छूआछूत का क्यों किया जिक्र?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि भाजपा आरक्षण को खत्म करना चाहती है. सरकार चाहती तो इस मुद्दे को इसी सत्र में संविधान संशोधन लाकर सुलझा सकती थी.
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Creamy Layer: आरक्षण का मुद्दा गरमाता नजर आ रहा है. इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि भाजपा आरक्षण को खत्म करना चाहती है. सरकार चाहती तो इस मुद्दे को इसी सत्र में संविधान संशोधन लाकर सुलझा सकती थी. मोदी सरकार 2-3 घंटे के अंदर नई बिल ले आती है तो ये भी संभव था. बतां दे कि 1 अगस्त को एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया. तब से उच्चतम न्यायलय के फैसले को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रिया सामने आ रही है. अब इसको लेकर खरगे ने बड़ा बयान दिया है.
मल्लिकार्जुन खरगे ने पत्रकारों से बातचीत में कहा पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट का 7 जज बेंच का फैसला आया, जिसमें उन्होंने SC-ST वर्ग के लोगों के लिए वर्गीकरण की बात की. इस फ़ैसले में SC-ST वर्ग के आरक्षण में क्रीमी लेयर की भी बात की गई. भारत में शेड्यूल कास्ट के लोगों को सबसे पहले आरक्षण बाबासाहेब डॉ अंबेडकर के पूना पैक्ट के माध्यम से मिला. बाद में पंडित नेहरू और महात्मा गांधी जी के योगदान से इसे संविधान में मान्यता देकर, नौकरी और एजूकेशनल संस्थानों में भी लागू किया गया था.
'कांग्रेस पार्टी क्रीमी लेयर के खिलाफ'
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि परंतु 70 सालों के बाद भी सरकारी नौकरियों में जब SC व ST समुदायों के लोगों की भर्तियाँ देखते है, तो पाते है कि अभी भी जो जॉब्स है वो नहीं भरी जा रही है, अधिकतर पद ख़ाली है. जिसका अर्थ है कि इन वर्ग के लोग, सम्मिलित रूप से मिलकर भी इन पदों को नहीं भर पा रहे. ये अभी भी सामान्य वर्ग के लोगों के साथ मुकाबला नहीं कर सकते और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आरक्षण का आधार किसी समुदाय या व्यक्ति की आर्थिक तरक्की नहीं था.
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'छूआछूत रहने तक आरक्षण रहना चाहिए'
खरगे ने कहा समाज से छूआछूत को खत्म करना है और यह समाज से अभी भी ख़त्म नहीं हुआ है, कई उदाहरण रोज़ हमारे सामने आते हैं. इसलिए SC- ST समुदाय में क्रीमी लेयर के बारे में बात करना ही गलत है. कांग्रेस पार्टी इसके खिलाफ है. जबतक छूआछूत है तबतक आरक्षण रहना चाहिए.
एक तरफ सरकार धीरे धीरे सरकारी PSU बेचकर नौकरियां ख़त्म कर रही है. ऊपर से भाजपा की दलित-आदिवासी मानसिकता, आरक्षण पर निरंतर प्रहार कर रही है. सरकार चाहती तो इस मुद्दे को इसी सत्र में संविधान संशोधन लाकर सुलझा सकती थी. मोदी सरकार 2-3 घंटे के अंदर नई बिल ले आती है तो ये भी संभव था.