हिमाचल में भी डीके के भरोसे कांग्रेस! इस एक खेल से फिलहाल बच गई सुक्खू सरकार

राजू झा

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Himachal Political Crisis: कांग्रेस की डूबती नैया को अगर कोई पार लगा सकता है तो वो हैं डीके शिवकुमार. चाहे कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस को जीत का स्वाद चखाने का काम हो या फिर तमिलनाडु में अपनी पूरी ताकत से कांग्रेस की सरकार बनाने की बात. जब राज्यसभा चुनाव के वोटिंग में पेंच फंसा, तो कर्नाटक में उल्टी गंगा बहाने वाले डीके शिवकुमार ने ऐसी चाल चली कि, बीजेपी के विधायकों ने भी कांग्रेस को वोट दे दिया. अब हिमाचल में कांग्रेस की सरकार पर संकट मंडराया है, तो एकबार फिर कांग्रेस के संकटमोचन बनकर शिमला पहुंचे हैं डीके शिवकुमार. यूं कहे कि जब भी कांग्रेस पार्टी मुश्किल में फंसी है, तो पार्टी ने डीके शिवकुमार पर पूरा भरोसा जताया है. इसी भरोसे से डीके को हिमाचल भेजा गया है. आइए समझते हैं डीके के हिमाचल जाने पर क्या असर होगा? 

पहले समझिए हिमाचल का समीकरण

हिमाचल प्रदेश में विधान की कुल 68 सीटें है. प्रदेश में कांग्रेस के पास 40 विधायक है तो वहीं बीजेपी के 25 विधायक है. अन्य के तीन विधायक है. प्रदेश में बहुमत का आंकड़ा 35 सीटों का है. हिमाचल में सबकुछ क्लियर था कांग्रेस की सरकार चल रही थी और बहुमत के अकॉर्डिंग पार्टी प्रदेश में राज्यसभा की सीट भी जीतने जा रही थी. लेकिन पेंच तब फंसा जब राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के छह विधायकों ने बीजेपी के उम्मीदवार के पक्ष में वोट कर दिया जिससे कांग्रेस के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी हार गए.

ऐसे में प्रदेश में विपक्षी पार्टी बीजेपी ने ये भी दावा ठोक दिया कि, विधानसभा में कांग्रेस के पास बहुमत नहीं है. वहीं प्रदेश के  मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को इस्तीफा देना चाहिए. फिर प्रदेश में सरकार को संकट में फंसा देख कांग्रेस हाईकमान ने सियासी उथल-पुथल को संभालने के लिए अपने संकटमोचन डीके शिवकुमार को शिमला भेजा.

 

डीके ने रचा खेल, बच गई कांग्रेस सरकार

जबसे बीजेपी ने ये दावा किया है कि कांग्रेस सरकार के पास बहुमत नहीं है तभी से ये कयास लगाए जा रहे थे कि, सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा. हालांकि आज जब विधानसभा सत्र शुरू हुआ तभी स्पीकर ने एक बड़ा खेल कर दिया. विधानसभा स्पीकर ने जयराम ठाकुर समेत बीजेपी 15 विधायकों को सदन में नारेबाजी और दुर्व्यवहार करने के आरोप में निलंबित कर दिया. तब सदन में बहुमत की संख्या कम हो गई जिससे कांग्रेस ने आसानी से बजट को पारित करा लिया और विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया. कांग्रेस के सामने वतमान चुनौती राज्य के बजट को पारित कराने की ही थी क्योंकि अगर ये पारित नहीं हो पाता, जैसा की उसके कई विधायक बागी हो गए थे, तो कांग्रेस की प्रदेश सरकार के गिरने का संकट रहता. हालांकि डीके और पार्टी ने ऐसा खेल रचा जिससे सरकार फौरी तौर पर तो बच ही गई. 

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कांग्रेस के हनुमान बन गए हैं डीके 

साल 1985 में कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एचडी देवगौड़ा जो बाद में देश के प्रधानमंत्री भी बने के खिलाफ डीके शिवकुमार को मैदान में उतारा था. तब देवगौड़ा 4 बार के विधायक और 2 बार विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे थे तब नौजवान डीके ने देवगौड़ा को कड़ी चुनौती दी थी. वैसे बाद में डीके शिवकुमार ने चुनावों में देवगौड़ा फैमिली को कई बार हराया. उन्होंने पूर्व पीएम देवगौड़ा, उनके बेटे कुमारस्वामी और उनकी पत्नी अनीता कुमारस्वामी को भी हराया. 2019 में जब डीके मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसे और जेल गए, तब  सोनिया गांधी खुद डीके के मिलने जेल पहुंच गईं थीं. उसी के बाद डीके का बदला हुआ अवतार देखने को मिला. डीके ने कांग्रेस की झोली में कर्नाटक लाकर रख दिया, तमिलनाडु में सरकार बनवाई और अब दक्षिण भारत में पूरी ताकत से कांग्रेस को आगे बढ़ा रहे हैं साथ ही संकट की घड़ी में संकट मोचक की भी भूमिका निभा रहे है. 

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