CSDS सर्वे: 'फिर से मोदी सरकार' चाहने वालों की संख्या घटी, क्या इस मौके को भुना पा रही कांग्रेस, जानिए

अभिषेक

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CSDS Pre Poll Survey: देश में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली बेस्ड थिंक टैंक सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) ने एक प्री पोल सर्वे किया है. CSDS-लोकनीति ने इस सर्वे में पार्टियों को मिलने वाले वोट के साथ ही क्या देश में एकबार फिर से बीजेपी-मोदी सरकार को मौका मिलने पर बात की गई है. दिलचस्प बात ये है कि, सर्वे में शामिल 39 फीसदी लोगों का मानना है कि, बीजेपी की सरकार नहीं आनी चाहिए. आइए आपको बताते हैं सर्वे की प्रमुख बातें. 

कांग्रेस या बीजेपी किसको वोट करना चाहती है जनता? 

CSDS-लोकनीति के सर्वे में जनता से ये सवाल पूछा गया कि, आगामी लोकसभा चुनाव में आप किस पार्टी को अपना वोट देना चाहेंगे? इस सवाल के जवाब में सर्वे में शामिल 40 फीसदी लोगों ने कहा कि, वो बीजेपी को वोट करना चाहेंगे साथ ही उसके सहयोगी दलों को 6 फीसदी लोग वोट करेंगे. वहीं 21 फीसदी लोग कांग्रेस को और 13 फीसदी लोग कांग्रेस के सहयोगी दलों को वोट करना चाहेंगे.  मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी को तीन फीसदी लोग वोट करना चाहते है. अन्य दलों को 15 फीसदी लोगों के वोट का अनुमान है. 

सर्वे में बीजेपी+ को 46 फीसदी तो वहीं कांग्रेस+ को 34 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. यानी वोट शेयर के मामले में बीजेपी, कांग्रेस से आगे निकलती हुई दिखाई दे रही है. 

39 फीसदी लोगों को मोदी सरकार नापसंद 

लोकसभा चुनाव के लिए CSDS-लोकनीति के लेटेस्ट सर्वे में जनता से ये सवाल पूछा गया कि, क्या मोदी सरकार को एक और मौका मिलना चाहिए? इस सवाल के जवाब में 44 फीसदी मतदाताओं ने हां में जवाब दिया वहीं 39 फीसदी मतदाताओं ने नहीं कहा, 17 फीसदी मतदाताओं ने कोई जवाब नहीं दिया. यानी सर्वे में शामिल 44 फीसदी लोग ये मानते है कि, मोदी सरकार को फिर से मौका मिलना चाहिए वहीं 39 फीसदी लोग मोदी सरकार को मौका देने के मूड में नहीं है. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले हुए इस सर्वे के आंकड़ों की बात करें, तो 47 फीसदी लोग मोदी सरकार के पक्ष में थे वहीं 37 फीसदी लोग उसके खिलाफ थे. 

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हालांकि सर्वे से आए आंकड़ों पर CSDS के संजय कुमार का मानना हैं कि, मेरी राय में देश में मोदी सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का कोई संकेत नहीं है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि, देश की जनता में 2019 के चुनाव की तुलना में इस बार के चुनाव में अधिक उत्साह का संकेत भी नहीं है. 

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