ED ने जिस PMLA एक्ट की मदद से केजरीवाल, हेमंत सोरेन को किया अरेस्ट, SC ने उसपर सुनाया बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक स्पेशल कोर्ट द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 19 के तहत किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है.
ADVERTISEMENT
![ED ने जिस PMLA एक्ट की मदद से केजरीवाल, हेमंत सोरेन को किया अरेस्ट, SC ने उसपर सुनाया बड़ा फैसला newstak](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/nwtak/images/story/202405/6645e25fa8ce4-supreme-court-on-pmla-act-163926610-16x9.png?size=948:533)
ED PMLA Act: प्रवर्तन निदेशालय ने 21 मार्च को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पीएमएल के तहत गिरफ्तार कर लिया. ED ऐसे ही मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को भी पीएमएलए के तहत गिरफ्तार कर चुकी है. दोनों की गिरफ्तारी के बाद विपक्ष एक सुर में इसको लेकर सरकार पर हमलावर है. सबके निशाने पर ईडी और उसका पीएमएलए कानून है. आइए जानते हैं क्या है ये ईडी का पीएमएलए कानून जिसको लेकर विपक्ष लगातार सरकार को घेरता रहा है और पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है.
क्या है पीएमएलए एक्ट?
ईडी ने पीएमएलए(Prevention of Money Laundering Act, 2002) के तहत दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को और हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया. आपको बता दें कि इसमें जमानत मिलना काफी मुश्किल होता है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सीएम को 1 जून तक के लिए अंतरिम जमानत दी है. यह कानून 2002 में पारित हुआ था. 1 जुलाई 2005 को इसे लागू किया गया. इस कानून का असल मक्सद मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना है यानि कल धन को वैध तरीके से कमाए जाने के रूप में परिवर्तित करना.
मनी लॉन्ड्रिंग में दोषी पाए जाने वाले अपराधी पर पीएमएल के तहत अलग-अलग कार्रवाई की जा सकती हैं. इसमें अपराधी को 3 साल तक की जेल हो सकती है, जिसे बढ़ाकर 7 साल तक भी किया जा सकता है. इसमें सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान है.
पीएमएलए पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि एक स्पेशल कोर्ट द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 19 के तहत किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी किसी शख्स को ED ने जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया है और PMLA कोर्ट चार्जशीट पर संज्ञान लेकर उसे समन जारी करता है, तो उसे कोर्ट में पेश होने के बाद PMLA के तहत जमानत की दोहरी शर्त को पूरा करने की जरूरत नहीं होगी.
ADVERTISEMENT
यह भी पढ़ें...
बेंच ने अपने फैसले में कहा, "जो आरोपी समन के बाद अदालत में पेश हुए, उन्हें जमानत के लिए आवेदन करने की जरूरत नहीं है और इस तरह पीएमएलए की धारा 45 की जुड़वां शर्तें लागू नहीं होती हैं."
पीएमएलए की धारा 45 क्या कहती है?
साल 2018 में मौजूदा सरकार ने पीएमएलए एक्ट में संशोधन करते हुए इसकी धारा 45 में आरोपी की जमानत के लिए दो कठोर शर्तें और जोड़ दी थी. इन दो शर्तों में ये था कि जमानत याचिका के खिलाफ लोक अभियोजक को सुनने के लिए अदालत के पास यह मानने के लिए उचित आधार हो कि आरोपी दोषी नहीं है. धारा 45 कहती है किसी भी आरोपी व्यक्ति को तबतक जमानत नहीं दी जाएगी जब तक कि अदालत संतुष्ट ना हो जाए कि व्यक्ति किसी भी प्रकार का दोषी नहीं है और जमानत पर रहते हुए उसके द्वारा कोई भी अपराध की संभावना नहीं है.
सीएम अरविंद केजरीवाल भी पीएमएलए की धारा 45 पर सवाल उठा चुके हैं. उन्होंने इसपर सवाल उठाते हुए भाजपा पर हमला बोला था. केजरीवाल ने कहा था कि अगर पीएमएलए की धारा 45 हटा दी जाए तो बीजेपी के आधे नेता बीजेपी को छोड़कर चले जाएंगे. कई नेताओं के भाजपा में शामिल होने का जिम्मेदार दिल्ली सीएम ने जांच एजेंसियों को ठहराया था. इसके आगे केजरीवाल ने ये भी कहा था कि इस धारा को खत्म कर दिया जाए तो शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे जैसे कई नेता अपनी अलग पार्टी बना लेंगे.
हालांकि, सीएम केजरीवाल इस पीएमएलए एक्ट के शिकार हुए हैं और ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया. फिलहाल वे सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम जमानत पर बाहर हैं और उन्हें 2 जून को सरेंडर करना है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT