ED, IT का ऐक्शन होते ही कंपनियों ने चंदे में दिया 'खजाना', इलेक्टोरल बॉन्ड के खुलासे से हड़कंप

रूपक प्रियदर्शी

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Electoral Bond Case: 2019 के चुनाव से पहले चुनावी चंदे को पारदर्शिता लाने के लिए मोदी सरकार इलेक्टोरल बॉन्ड की स्कीम लाई थी. अब उसी स्कीम को लेकर 2024 के आम चुनाव से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट के ताबड़तोड़ एक्शन से इलेक्टोरल बॉन्ड लाने वाले, खरीदने वाले और फायदा पाने वाले कठघरे में आ गए हैं. पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम बंद करा दी. फिर सुप्रीम कोर्ट के डर से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया(SBI) उसकी पूरी डिटेल देने के लिए मजबूर हुई. हालांकि SBI ने आधी-अधूरी जानकारी देकर नया खेल करने की कोशिश की है जिसपर आज फिर से SC ने सुना दिया. 

वैसे इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर अबतक जितनी जानकारी आई है उस पर अलग हंगामा शुरू है. इंडियन एक्सप्रेस ने खुलासा किया है कि, पॉलिटिकल पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा देने वाली जो टॉप 5 कंपनियां हैं उसमें से 3 के खिलाफ ED और इनकम टैक्स ने शिकंजा कसा हुआ था. 2019 से 2024 तक इलेक्टोरेल बॉन्ड से सबसे ज्यादा 1368 करोड़ चंदा लॉटरी कंपनी फ्यूचर गेमिंग ने दिया. नंबर 2 पर मेघा इंजीनियरिंग है जिसने 966 करोड़ का चंदा दिया. वेदांता नंबर 4 पर है जिसने 400 करोड़ का चंदा दिया. 

पॉलिटिकल पार्टियों के टॉप डोनर

1- फ्यूचर गेमिंग एंड होटल्स प्राइवेट लिमिटेड महादानी सैंटियागो मार्टिन की कंपनी है जिसका तमिलनाडु के कोयम्बटूर में हेडक्वार्टर है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में फ्यूचर गेमिंग कंपनी और सैंटियागो मार्टिन के खिलाफ ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था. सिक्किम सरकार से धोखाधड़ी और लॉटरी से 910 करोड़ की अवैध कमाई का आरोप लगा था. उसी साल 250 करोड़ प्रॉपर्टी अटैच की थी. अप्रैल 2022 में और 409 करोड़ की संपत्ति जब्त की थी. 5 दिन बाद फ्यूचर गेमिंग ने 100 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद लिए.

2- इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक महादानी नंबर 2 हैदराबाद की कंपनी है मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने 2019 से 2024 के बीच एक हजार करोड़ इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे. इसके मालिक किशन रेड्डी हैं. मेघा इंजीनियरिंग डैम, पावर प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन के बिजनेस में हैं. तेलंगाना का विवादित कालेश्वरम डैम प्रोजेक्ट, जोजिला टनल बनाने वाली कंपनी है. 2019 में मेघा के खिलाफ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और ईडी ने जांच शुरू की थी. पिछले साल सरकार ने चीन की कंपनी के साथ मिलकर इलेक्ट्रिक वेहिकल बनाने का प्लांट लगाने का प्रोजेक्ट खारिज कर दिया था. 

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3- महादानियों की लिस्ट में अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता टॉप 5 में है. इसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी, सीबीआई ने 2022 में जांच शुरू की थी. अलग-अलग समय में वेदांता ने पॉलिटिकल चंदा देने के लिए 376 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे. एसबीआई का अगला डेटा आएगा तब पता चलेगा कि वेदांता ने किसको देने के लिए बॉन्ड खरीदे.

4- इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में जिंदल स्टील एंड पावर का भी जिक्र है जो उन टॉप 15 कंपनियों में से है जिसने 123 करोड़ का पॉलिटिकल चंदा देने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे. इसके मालिक नवीन जिंदल कुरुक्षेत्र से कांग्रेस के सांसद रहे हैं. जिंदल के खिलाफ कोल ब्लॉक आवंटन में जांच होती रही. अप्रैल 2022 में ईडी ने फॉरेक्स यानी विदेशी मुद्रा के नियमों के उल्लंघन में नवीन जिंदल के ठिकानों पर छापा मारा था. उसी साल अक्टूबर में उन्होंने करोड़ों के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद डाले.

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5- ऋत्विक प्रोजेक्ट टीडीपी के सांसद रहे सीएम रमेश की कंपनी है. बाकियों की तुलना सिर्फ 45 करोड़ का छोटा दान किया पॉलिटिकल फंडिंग के लिए. टीडीपी सांसद रहते हुए 100 करोड़ की हेराफेरी के केस में सीएम रमेश पर इनकम टैक्स ने रेड डाली थी. बाद में वो बीजेपी में शामिल हो गए. इलेक्टोरबल बॉन्ड से दान करने वाली एक कंपनी है अरबिंदो फॉर्मा. 49 करोड़ का छोटा सा  महादान के लिए पारदर्शी पॉलिटिकल फंडिंग के लिए. अरबिंदो फॉर्मा दिल्ली के शराब घोटाले की आरोपी कंपनी है जिसके डायरेक्टर पी शरत रेड्डी को नवंबर 2022 में ईडी ने गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी से पहले कंपनी ने ढाई करोड़ के बॉन्ड खरीदे थे. गिरफ्तारी के बाद बाकी बॉन्ड खरीदकर 49 करोड़ का टारगेट पूरा किया. 

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6- रश्मि सीमेंट भी ऐसी कंपनी है जिसके 64 करोड के महादान का इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में जिक्र है जिसके खिलाफ 2022 में ईडी ने एक्शन शुरू किया था. शिरडी साई इलेक्ट्रिक्स नाम की कंपनी ने 40 करोड़ के बॉन्ड खरीदे. उसके खिलाफ इनकम टैक्स ने रेड डाली थी. 

ED, IT के डर से महादान

कंपनी

डोनेशन

जांच

आरोप

ऋत्विक प्रोजेक्ट

45 करोड़

IT

100 करोड़ की हेराफेरी

अरबिंदो फॉर्मा

49 करोड़

ED

दिल्ली का शराब घोटाला

रश्मि सीमेंट

64 करोड़

ED

हेराफेरी

शिरडी साई इलेक्ट्रिक्स

40 करोड़

IT

हेराफेरी

अभी तक SBI ने सिर्फ ये डिटेल दी है कि किसने, कितना चंदा दिया लेकिन ये जानकारी मिसिंग है कि, किसने किस पार्टी को कितना चंदा दिया. SBI ने बॉन्ड का वो यूनिक कोड बताया ही नहीं जिससे पता चल सके कि किसने-किसे चंदा दिया. सुप्रीम कोर्ट ने SBI को फिर नोटिस देते हुए सोमवार तक ये जानकारी भी देने को कहा है. इस जानकारी के आने तक माना जा रहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड से भर-भर कर चंदा बीजेपी को दिया गया होगा. 

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