लुधियाना में बिट्टू और राजा वारिंग के बीच लड़ाई, क्या कांग्रेस के बागी बिट्टू को पटखनी दे पाएंगे वारिंग? समझिए
कांग्रेस ने पिछले तीन लोकसभा चुनाव में लुधियाना लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की है. साल 2009 के चुनाव में मनीष तिवारी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. साल 2014 में देश में मोदी लहर होने के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी बिट्टू ने यहां से जीत दर्ज की
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Ludhiana Lok Sabha Seat: जैस-जैसे चुनाव आगे बढ़ रहा है चुनावी सरगर्मी भी बढ़ती जा रही है. ऐसे ही पंजाब के लुधियाना में भी सियासी माहौल गरमाया हुआ है. यहां से बीजेपी ने रवनीत बिट्टू को टिकट दिया है तो वहीं कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष राजा वारिग को मैदान में उतारा है. लुधियाना में सातवे चरण में 1 जून को मतदान होना है. आइए आपको बताते हैं क्या है लुधियाना का सियासी समीकरण.
लुधियाना में कांग्रेस और बीजेपी के बीच गजब की सियासी जंग देखने को मिल रही है. इस चुनाव में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजा वारिंग का अपने ही पूर्व सहयोगी और वर्तमान में बीजेपी सांसद रवनीत सिंह बिट्टू से मुकाबला हो रहा है. बता दें कि, बिट्टू पूर्व कांग्रेस मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते हैं और बिट्टू ने पिछले दिनों कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था.
कांग्रेस का गढ़ है लुधियाना
कांग्रेस ने पिछले तीन लोकसभा चुनाव में लुधियाना लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की है. साल 2009 के चुनाव में मनीष तिवारी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. साल 2014 में देश में मोदी लहर होने के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी बिट्टू ने यहां से जीत दर्ज की. 2019 में भी कांग्रेस ने उन्हें उम्मीदवार बनाया और उन्हें जीत मिली. हालांकि इस बार बिट्टू ने अपना पाला बदल लिया है और बीजेपी से मैदान में है. वहीं कांग्रेस ने राजा वारिंग को मैदान में उतारा है. AAP ने लुधियाना सेंट्रल के विधायक अशोक प्रशार पप्पी को उम्मीदवार बनाया है, जबकि शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने पूर्व विधायक रंजीत सिंह ढिल्लों को टिकट दिया है. बीजेपी वारिंग पर ये आरोप लगा रही है कि, वो एक 'बाहरी' उम्मीदवार हैं. हालांकि कांग्रेस ने इसका पलटवार भी किया है. पूर्व कांग्रेस विधायक सुरिंदर दावर ने कहा हैं कि, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष होने के नाते वारिंग राज्य में कहीं से भी चुनाव लड़ सकते हैं.
बागी बिट्टू को सिखाएंगे सबक: वारिंग
राजा वारिंग अपनी चुनावी ताकत दिखाते हुए बताते हैं कि उन्होंने बादल परिवार के गढ़ गिद्दरबाहा में तीन बार विधायक का चुनाव जीता है. वे मतदाताओं से कहते हैं कि, अगर मैं चुनाव जीत गया, तो आप मुझे टीवी पर लुधियाना के मुद्दों को उठाते हुए दिखेंगे. वारिंग ने लुधियाना में पर्यावरण संरक्षण और बड़ा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बनाने का वादा किया है. साथ ही बिट्टू ने AIIMS जैसी सरकारी चिकित्सा सुविधा लुधियाना में लाने का वादा किया. वारिंग ने वोटर्स से अपील करते हुए कहा कि वे "बाग़ी बिट्टू" को सबक सिखाएं. उन्होंने लोगों को याद दिलाया कि 2022 विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) की लहर के बावजूद उन्होंने कांग्रेस टिकट पर जीत हासिल की थी.
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मोदी जी के नाम पर बिट्टू खेल रहे चुनावी दांव
बिट्टू के लिए समर्थन मांगते हुए बीजेपी नेताओं का कहना है कि वह हमेशा से एक राष्ट्रवादी रहे हैं और उन्होंने खालिस्तानियों के खिलाफ खुलकर बोला है. ग्रामीण इलाकों में जहां किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग की है. बिट्टू ने कहा कि केवल भाजपा और मोदी ही किसानों की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं. बिट्टू ने मतदाताओं से कहा कि 'मोदी की माला में लुधियाना को जोड़ें. 'बिट्टू ने यह भी बताया कि मोदी ने सभी समुदायों के लिए काम किया है. मोदी ने राम मंदिर से लेकर करतारपुर कॉरिडोर तक खोलने का काम किया है. उन्होंने बीजेपी में अपने शामिल होने को 'बलिदान' बताते हुए कहा कि, 'मैंने पंजाब के विकास के लिए भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है.'
अब देखना दिलचस्प होगा कि 4 जून को आने वाले नतीजों में जनता बागी बिट्टू का समर्थन करती है या अपनी पारंपरिक पार्टी कांग्रेस पर इस बार भी अपना विश्वास बनाए रखती है.
इस स्टोरी को न्यूजतक के साथ इंटर्नशिप कर रहे IIMC के रेडियो टेलीविजन विभाग के छात्र देवशीष शेखावत ने लिखा है.