10 साल में कैसे चमके प्रशांत किशोर? पोल स्ट्रैटिजी बनाने से लेकर सियासत में आने तक का किस्सा

रूपक प्रियदर्शी

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Prashant Kishor: 10 साल पहले बीजेपी के साथ पीके का करियर चमका. 10 साल बाद उसी बीजेपी के चक्कर में देश के दिग्गज पॉलिटिकल इलेक्शन स्ट्रैटजिस्ट प्रशांत किशोर जबरदस्त आलोचनाएं झेल रहे हैं. प्रशांत किशोर दावा कर रहे हैं कि बीजेपी की सीटें 2019 जितनी या उससे ज्यादा हो सकती है. 2024 के चुनाव पर प्रशांत किशोर कह रहे हैं कि बीजेपी का 400 पार वाला टारगेट तो पूरा नहीं होने वाला लेकिन उनकी भविष्यवाणी है कि 300 सीटों के साथ मोदी तीसरी बार सरकार बनाने जा रहे हैं. 

इसी भविष्यवाणी के कारण न्यूट्रल माने जाने वाले प्रशांत किशोर उनके निशाने पर हैं जो बीजेपी को 200 से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं. प्रशांत किशोर को बीजेपी का एजेंट कहा जा रहा है. ढूंढ-ढूंढकर प्रशांत किशोर की गलत साबित हो चुकी चुनावी भविष्यवाणियां निकाली जा रही है. प्रशांत किशोर को अब विश्वसनीय मानने से भी इनकार है. 

पीके पर लगे बीजेपी के एजेंट का ठप्पा!

प्रशांत किशोर अपने अनुभव से बीजेपी की वापसी करा रहे हों ऐसा हो सकता है लेकिन अतीत के कारण प्रशांत किशोर पर बीजेपी एजेंट का ठप्पा लग रहा है. बहुत सारी पार्टियों, नेताओं के साथ अंदर-बाहर से काम करने के बाद भी अब तक प्रशांत किशोर पर किसी पार्टी का ठप्पा नहीं लगा. किसी के प्रवक्ता, किसी के एजेंट नहीं पुकारे गए. कभी जाति पूछी या बताई नहीं गई. अब ये सवाल भी उठ रहे हैं कि उनके पास पैसा कहां से आ रहा है? पैसे कौन दे रहा है. 

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2022 में प्रशांत किशोर कांग्रेस में आना चाह रहे थे. बात नहीं बनी अलग बात है. जब प्रशांत किशोर बीजेपी की सीटें 300 बता रहे हैं तब राहुल गांधी की मेहनत और इंडिया गठंबधन को भी नकार रहे हैं. कांग्रेस से ज्यादा कांग्रेस को चलाने वालों से उनका विरोध साफ दिखता है.

आजकल उनके सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर दिसंबर 2021 का एक ट्वीट pin दिखता है जिसमें लिखा है-कांग्रेस के विचार और स्थान एक मजबूत विपक्ष के लिए महत्वपूर्ण है. लेकिन कांग्रेस का नेतृत्व किसी व्यक्ति का दैवीय अधिकार नहीं है, खासकर तब, जब पार्टी पिछले 10 वर्षों में 90% से अधिक चुनाव हार चुकी है. विपक्षी नेतृत्व का निर्णय लोकतांत्रिक तरीके से किया जाए.

राजनीति से पहले क्या करते थे पीके?

प्रशांत किशोर यूएन में नौकरी करते थे.  8 साल नौकरी छोड़कर उन्होंने IPAC नाम की संस्था बनाकर पॉलिटिकल कंसल्टिंग शुरू की थी. मोदी पहले क्लाइंट बने जिन्होंने गुजरात सीएम रहते हायर किया था. कहा जाता है कि 2012 के गुजरात चुनाव, 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी की ब्रैडिंग से लेकर इलेक्शन स्ट्रैटजी बनाने के काम में पीके का एक्टिव रोल रहा. 

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2015 बिहार के सीएम नीतीश कुमार दूसरे क्लाइंट बने. नीतीश कुमार ने खुद कहा कि अमित शाह के कहने पर उन्होंने प्रशांत किशोर को लिया था. हालांकि नीतीश के साथ पीके की खूब जमी. चुनाव जीतने पर नीतीश ने पीके को जेडीयू में लेकर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, सरकार में सलाहकार तक बना दिया. हालांकि जेडीयू की अंदरुनी राजनीति में प्रशांत किशोर ज्यादा समय तक नीतीश के साथ टिके नहीं. खराब संबंधों के साथ जेडीयू छोड़कर वापस IPAC में एक्टिव हुए. 

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बीजेपी के अलावा इन सबके लिए किशोर ने किया काम

प्रशांत किशोर को कई कद्रदान मिले. अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, जगन मोहन रेड्डी- अलग राज्यों, अलग नेताओं, अलग पार्टियों, अलग विचारधाराओं के साथ प्रशांत किशोर ने बढ़िया ट्यूनिंग बिठाई. नेताओं को जीत का फल मिला. प्रशांत किशोर की क्लाइंट लिस्ट बढ़ती गई. कांग्रेस भी प्रशांत किशोर की दो-दो बार क्लाइंट बनी. 2016 के यूपी चुनाव के लिए कांग्रेस पीके को लाई लेकिन प्रोजेक्ट बुरी तरह फेल हुआ. हालांकि 2017 में मोदी लहर के बाद भी पंजाब में अमरिंदर सिंह का क्रेडिट पीके को दिया गया. 

इस बात कि कभी पुष्टि तो नहीं हुई कि राहुल गांधी को भारत जोड़ो जैसी यात्रा करनी चाहिए, ये वाला आइडिया कभी प्रशांत किशोर ने कांग्रेस हाईकमान को दिया था या नहीं. जब प्रशांत किशोर की कांग्रेस ज्वॉइन करके 2024 के लोकसभा चुनाव की स्ट्रैटजी बनाने की बात टूटी उसी के बाद राहुल कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा पर निकल गए. भारत जोड़ो यात्रा से न केवल राहुल गांधी का इमेज मेकओवर हुआ, बल्कि कांग्रेस चुनाव जीतने भी लगी. 

पीके और कांग्रेस की बात भी क्यों टूटी? ये कभी किसी ने नहीं बताया. सुनी-सुनाई बात है कि राहुल गांधी प्रशांत किशोर पर ट्रस्ट नहीं कर रहे थे. प्रशांत किशोर कांग्रेस में बहुत सारा कंट्रोल चाह रहे थे. राहुल गांधी तैयार नहीं हुए. कांग्रेस से बात टूटने के बाद प्रशांत किशोर ने पॉलिटिकल कंसल्टिंग का काम छोड़ दिया. बिहार की राजनीति में पांव जमाने जन सुराज यात्रा पर निकल पड़े. करीब 500 दिनों से उनकी यात्रा चल रही है. 2025 में बिहार में बिना किसी से गठबंधन किए सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं लेकिन 2024 में प्रशांत किशोर अड़ गए हैं कि आएगा तो मोदी ही.

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