9 सालों में देश के 24.8 करोड़ से अधिक लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले, क्या है इसका मायने?
नीति आयोग के अनुसार, बहुआयामी गरीबी स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन समान रूप से स्थान रखने वाले आयामों को एक पटल पर रखकर उनमे व्याप्त अभाव को मापती है
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![9 सालों में देश के 24.8 करोड़ से अधिक लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले, क्या है इसका मायने? Poverty](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/nwtak/images/story/202401/multidimensional-poverty-1024x576.png?size=948:533)
Multidimensional Poverty: केंद्र सरकार की थिंक टैंक नीति आयोग ने सोमवार यानी 15 जनवरी को देश में बहुआयामी गरीबी को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया है. रिपोर्ट में साल 2013-14 से 2022-23 के बीच भारत में बहुआयामी गरीबी के आंकड़ों में बहुत सुधार नजर आ रहा है. आइए आपको बताते हैं इस रिपोर्ट के क्या है मायने.
नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक देश में साल 2013-14 से 2022-23 तक के नौ वर्षों में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले है. भारत में बहुआयामी गरीबी 29.17 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 11.28 प्रतिशत हो गई है. यानी इस अवधि के दौरान लगभग 24.82 करोड़ लोग इस ब्रैकेट से बाहर निकल गए है. रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा सुधार देखा गया है, जहां स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर में अभूतपूर्व सुधार हुआ है.
A steep decline in the poverty headcount ratio during the last 9 years. The poverty headcount ratio reduced from 29.17 per cent in 2013-14 (Projected) to 11.28 per cent in 2022-23 (Projected). According to the discussion paper released today by NITI Aayog Multidimensional poverty… pic.twitter.com/LdGzWDGj8V
— ANI (@ANI) January 15, 2024
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क्या होती है बहुआयामी गरीबी?
नीति आयोग के अनुसार, बहुआयामी गरीबी स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन समान रूप से स्थान रखने वाले आयामों को एक पटल पर रखकर उनमे व्याप्त अभाव को मापती है. ये आयाम 17 सतत विकास लक्ष्यों(SDG) को दर्शाते है. इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते आदि शामिल हैं.
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