JNU में विरोध प्रदर्शन करना अब मुश्किल! भारी जुर्माने और निष्कासन तक का खतरा, जानिए नया मैनुअल
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कैंपस में किसी भी प्रकार के धार्मिक, सांप्रदायिक, जातिवादी या राष्ट्र-विरोधी टिप्पणियों वाले पोस्टर या पैम्फलेट को छापने, प्रचारित करने पर प्रतिबंध लगा दिया है और ऐसा करने पर 20,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया है
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Jawaharlal Nehru University: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय(JNU) एकबार फिर चर्चा में है. चर्चा की वजह यूनिवर्सिटी में आया एक नया मैनुअल है. इस मैनुअल में कैंपस के भीतर प्रोटेस्ट(विरोध प्रदर्शन) करने को लेकर नए नियम दिये गए हैं. इसके बैकग्राउंड में जेएनयू कैंपस में अक्टूबर में हुई एक घटना है. तब ‘स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज’ की बिल्डिंग की दीवार पर ‘राष्ट्र-विरोधी’ नारा लिखा गया था. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कैंपस में इस प्रकृति की बार-बार होने वाली घटनाओं को देखते हुए एक समिति का गठन किया था. समिति के सुझाव पर यह मैनुअल लाया गया है. इसके आने के साथ ही विरोध भी शुरू हो गया है. जेएनयू छात्र संघ (JNUSU) ने इसे कैंपस में असहमतियों को दबाने का प्रयास बताते हुए वापस लेने की मांग की है.
आइए बताते हैं क्या-क्या है नए मैनुअल में.
- यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कैंपस में किसी भी प्रकार के अपमानजनक धार्मिक, सांप्रदायिक, जातिवादी या राष्ट्र-विरोधी टिप्पणियों वाले पोस्टर या पैम्फलेट को छापने, प्रचारित करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. शैक्षणिक भवनों (जहां कक्षाएं चलती हैं) के 100 मीटर के अंदर की दीवारों पर पोस्टर लगाने और धरना देने पर 20,000 रुपये तक का जुर्माना या निष्कासन और किसी धर्म, जाति या समुदाय के प्रति सहिष्णुता भड़काने वाला कोई भी कार्य जिसे ‘राष्ट्र-विरोधी’ माना जाएगा उस पर 10,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
- अगर कोई छात्र किसी शैक्षणिक या प्रशासनिक परिसर के 100 मीटर के दायरे में भूख हड़ताल, धरना, सौदेबाजी और किसी अन्य प्रकार के विरोध प्रदर्शन में शामिल पाया जाता है तो उस छात्र पर 20000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा या दो महीने के लिए हॉस्टल से बाहर निकाल दिया जाएगा.
- अगर कोई कैंपस में किसी प्रकार के घेराव, धरना या इसका कोई भी रूप जो विश्वविद्यालय के सामान्य शैक्षणिक और प्रशासनिक कामकाज को बाधित करता है या हिंसा भड़काने वाला कोई काम करता है तो उसे दंडित किया जाएगा.
- मैनुअल में कहा गया है कि जिस छात्र को अपने अध्ययन की अवधि के दौरान पांच या अधिक सज़ा मिली है, उसे सेमेस्टर के लिए पंजीकरण करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और उसे विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया जाएगा. प्रशासन सजा की कॉपी को यूनिवर्सिटी की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करेगा और छात्र के माता-पिता या अभिभावक को भी भेजेगा. कोई छात्र जांच में उपस्थित नहीं होता है तो ये माना जाएगा कि शिकायत गलत इरादे से दर्ज कराई गई है. इसके एवज में उनसे कैंपस में कम्युनिटी वर्क करने को कहा जा सकता है.
- अगर कोई शिकायतकर्ता किसी छात्र के खिलाफ कोई झूठा आरोप लगता है तो उसे यूनिवर्सिटी से निष्काषित भी किया जा सकता है. नए मैनुअल में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि अब प्रॉक्टोरियल जांच में शिकायतकर्ता पक्ष और प्रतिवादी के बीच जिरह की अनुमति नहीं होगी जबकि इससे पहले की प्रक्रिया में ये एक महत्वपूर्ण नियम हुआ करता था और ज्यादातर मामले इसी से सुलझ जाते थे. अगर मैनुअल में दिये गए नियमों में कोई अस्पष्टता होती है तो उसपर अंतिम निर्णय कुलपति का होगा.
JNUSU का यूनिवर्सिटी प्रशासन पर ये है आरोप
जेएनयू छात्र संघ (JNUSU) का कहना है कि इस नए मैनुअल में इतने कड़े नियम बनाए गए है कि इससे जेएनयू कैंपस की जीवंत परंपरा को चोट पहुंचेगा. उनका कहना है कि प्रशासन नए-नए नियम लाकर असहमतियों को दबाना चाहता है. JNUSU ने मांग की है कि कि विश्वविद्यालय प्रशासन तुरंत चीफ प्रॉक्टर कार्यालय के नए मैनुअल को रद्द करे.
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