जगन की बहन शर्मिला रेड्डी बनीं आंध्र प्रदेश PCC अध्यक्ष, इस दांव से कांग्रेस को क्या मिलेगा?
शर्मिला के भरोसे ही कांग्रेस चमत्कार की उम्मीद में है. मन ये जाता है कि शर्मिला रेड्डी को जगन मोहन की राजनीति की नब्ज पता है. 2017 में जगन को जिताने वाली यात्रा के पीछे शर्मिला का अहम रोल था.
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Congress Leader Sharmila Reddy: तेलंगाना में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और बीआरएस को हराकर सत्ता हासिल करने के बाद कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं. इस बुलंद हौसले का असर पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में भी दिखेगा, इसी उम्मीद में कांग्रेस प्रदेश में बड़े चेंज कर रही हैं. कांग्रेस ने आज वाई एस शर्मिला रेड्डी को आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना दिया है. अब शर्मिला रेड्डी ही प्रदेश में कांग्रेस की फेस और कैप्टन होंगी.
कांग्रेस में आते ही शर्मिला रेड्डी ने ऐसा दांव चला है कि बड़े भइया जगन मोहन रेड्डी और बीजेपी के होश उड़ गए. शर्मिला रेड्डी ने तेलुगु देशम पार्टी(TDP) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात कर ली. मुलाकात ऐसे समय हुई है, जब कांग्रेस और चंद्रबाबू नायडू के अलायंस को लेकर बहुत अटकलें लग रही हैं. हालांकि शर्मिला रेड्डी कह रही हैं कि, ये मुलाकात निजी थी. हालांकि शर्मिला के बेटे की शादी 17 फरवरी को है और वो अपने बेटे की शादी का कार्ड लेकर नायडू से मिलने गई थी. वैसे इस निजी मुलाकात के बाद भी सियासी हलकों में ये बात तेज है कि, कांग्रेस के साथ चंद्रबाबू के गठबंधन की बात अभी खारिज नहीं है.
Congress President Shri @Kharge has appointed Smt. @realyssharmila as the President of the @INC_Andhra with immediate effect.
Shri @Kharge has also appointed Shri @RudrarajuGidugu, the outgoing PCC President, as a special invitee to the Congress Working Committee. pic.twitter.com/xB2TRTKO19
— Congress (@INCIndia) January 16, 2024
आंध्रा चुनाव में जगन मोहन रेड्डी और चंद्रबाबू नायडू के बीच सीधी लड़ाई
आंध्र चुनाव में सीधी लड़ाई जगन मोहन रेड्डी और चंद्रबाबू नायडू के बीच है. इस लड़ाई में कांग्रेस या बीजेपी कुछ कमाल कर लें तो राजनीति पलट सकती है. वैसे चंद्रबाबू से गठबंधन को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में खींचतान है. बीजेपी से अलायंस कर चुके पवन कल्याण के जरिए चंद्रबाबू नायडू की बीजेपी से भी अलायंस की चर्चा गर्म है. आपको बता दें कि चंद्रबाबू नायडू और कांग्रेस के अलायंस की चर्चा तेज हुई प्रशांत किशोर(पीके) के कारण. कहा जा रहा है कि पीके चंद्रबाबू के लिए इलेक्शन स्ट्रैटजी पर काम कर सकते हैं. शर्मिला रेड्डी और नायडू की मुलाकात के बाद इसे पक्का माना जा रहा है कि, कुछ तो जरूर चल रहा है.
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प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी की मजबूत है पोजीशन
कांग्रेस को आंध्र प्रदेश से उखाड़ने का पहला काम चंद्रबाबू नायडू ने किया था. उनके बाद जगन मोहन ने भी कांग्रेस को बाहर रखा. लेकिन राजनीतिक मजबूरियों के कारण राजनीतिक गिले-शिकवे की उम्र अक्सर कम हो जाया करती है. जगन मोहन की मजबूत पोजिशन के कारण कांग्रेस और चंद्रबाबू एक-दूसरे की जरूरत बन गए हैं. शर्मिला के कांग्रेस के आने के बाद तेलुगू कनेक्शन से कांग्रेस का फायदा हो सकता है.
राहुल गांधी ने जगन मोहन रेड्डी की छोटी बहन वाई एस शर्मिला रेड्डी को कुछ बड़ा सोचकर पार्टी में लिया है. शर्मिला अपनी पार्टी वाईएसआरटीपी का विलय करके कांग्रेस में आई हैं. अब ने कांग्रेस शर्मिला को आंध्र प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया है. हालांकि शर्मिला ने पहले भी कहा भी था कि, उन्हें कोई रोल मिलने वाला है. अचानक आंध्र कांग्रेस अध्यक्ष जी रूद्र राजू ने इस्तीफा दिया है. राजू लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए 20 जनवरी से वोटर आउटरिच कार्यक्रम शुरू करने वाले थे. उससे पहले इस्तीफा हो गया. माना जा रहा है कि शर्मिला के लिए राजू ने कुर्सी खाली की है. पिछले साल नवबंर में राजू को चार वर्किंग प्रेसीडेंट के साथ आंध्र प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था.
आंध्र प्रदेश से अलग कर तेलंगाना बनाना पड़ गया भारी
10 साल से कांग्रेस आंध्र प्रदेश में बहुत बुरा वक्त देख रही है. उत्तर प्रदेश, गुजरात से भी ज्यादा बुरा हाल है आंध्र प्रदेश में. न लोकसभा में, न विधानसभा में आंध्र प्रदेश में कांग्रेस जीरो स्टेज में हैं. लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, विधान परिषद-कहीं भी कांग्रेस का कोई सांसद, विधायक नहीं है. 2014, 2019 के दोनों चुनावों में भी स्कोर जीरो रहा. इससे पहले 2009 में कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश में डबल धमाका किया था. विधानसभा चुनाव में 294 में से 156 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने करीब 37 परसेंट वोटों के साथ आंध्र प्रदेश की 42 में से 33 सीटें जीती. उसके बाद आंध्र प्रदेश का विभाजन करके तेलंगाना राज्य बना. कांग्रेस को तेलंगाना बनाने का क्रेडिट तो नहीं ही मिला. 2014 से लगातार आंध्र प्रदेश के विभाजन की भरपूर सजा मिल रही है. 2014 में कांग्रेस को वोट शेयर 12 परसेंट से नीचे और 2019 में नोटा से भी कम रहा.
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प्रदेश का राजनीति परिदृश बदलने के मूड में है कांग्रेस
प्रदेश में कांग्रेस की सियासी स्थिति बदलने के लिए राहुल गांधी अपनी पहली भारत जोड़ो यात्रा लेकर आंध्र प्रदेश गए थे. तब जयराम रमेश ने माना था कि आंध्र विभाजन को लेकर कांग्रेस से गुस्सा बरकरार है. कांग्रेस के पास गुस्सा कम करने के लिए राहुल ने विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया था, लेकिन ये तब तक संभव नहीं है जब तक केंद्र में कांग्रेस की सरकार न बन जाए. तब तक शर्मिला के भरोसे ही कांग्रेस चमत्कार की उम्मीद में है. मन ये जाता है कि शर्मिला रेड्डी को जगन मोहन की राजनीति की नब्ज पता है. 2017 में जगन को जिताने वाली यात्रा के पीछे शर्मिला का अहम रोल था. उनके और जगन मोहन रेड्डी में कॉमन बात ये है कि, दोनों की राजनीति वाई एस राजशेखर रेड्डी की राजनीतिक विरासत से चलती है. राजशेखर रेड्डी कांग्रेस के बहुत बड़े नेता थे. प्रदेश में आज भी उनका बहुत सम्मान किया जाता है.
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2009 में एयर क्रैश में वाई एस राजशेखर रेड्डी की मौत के बाद से ही प्रदेश में कांग्रेस का हाल बुरा हुआ. वाईएसआर के जाने के बाद कांग्रेस ने जगन मोहन को तवज्जो नहीं दी. तब भाई-बहन ने यकसाथ मिलकर कांग्रेस की जगह अपनी पार्टी को बनाया था. 2019 में जगन ने आंध्र प्रदेश की सत्ता हासिल कर ली, लेकिन शर्मिला को कुछ नहीं मिला. जगन मोहन जैसा बनने के लिए ही, उन्होंने भाई से अलग होकर तेलंगाना में अलग पार्टी बनाई थी. अब शर्मिला पार्टी समेत कांग्रेस में आ चुकी है. शर्मिला की इसी महत्वाकांक्षा में कांग्रेस को जगन मोहन रेड्डी की काट दिख रही है.
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