पिता वाईएसआर की सीट से चुनाव लड़ जगन की दावेदारी को कमजोर करेंगी YSR शर्मिला! ये है तैयारी
पिता के निधन तक शर्मिला रेड्डी राजनीति से दूर रहीं लेकिन जब भाई जगन मोहन ने कांग्रेस से अलग YSRCP नाम की पार्टी बनाकर नई राजनीतिक पारी शुरू की तो शर्मिला रेड्डी एक्टिव हो गईं.
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Lok Sabha Election Andhra Pradesh: 'जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी' लोग साथ जुड़े रहें किसी भी नेता की मेहनत की असली कमाई यही होती है. ऐसा माना जाता है कि, आंध्र प्रदेश में जनता से यही लगाव वाईएसआर राजशेखर रेड्डी का रहा. प्लेन क्रैश में उनकी मौत के 15 साल हो गए है लेकिन आंध्र प्रदेश की राजनीति आज भी वाईएसआर के इर्द-गिर्द ही घूम रही है. कांग्रेस तो वाईएसआर के नाम का फायदा नहीं उठा पाई लेकिन जगन मोहन रेड्डी ने पिता की राजनीतिक विरासत पर हक जमा रखा है. हालांकि अब पिता की विरासत पर दावा ठोंकने के लिए जगन मोहन रेड्डी की बहन शर्मिला रेड्डी आ गई हैं.
आंध्र प्रदेश में चौथे चरण में 13 मई को मतदान होंगे. चुनाव के लिए कांग्रेस के उम्मीदवारों की लिस्ट का ऐलान 25 मार्च तक हो सकती है. इस बात की चर्चा तेज है कि, शर्मिला रेड्डी ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत पर दावा ठोंकने का इरादा बना लिया है. शर्मिला रेड्डी उसी कडप्पा सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ सकती हैं जो कभी वाईएसआर और जगन मोहन रेड्डी की हुआ करती थी.
पिता की सीट कडप्पा से शर्मिला करेंगी सियासी पारी की शुरुआत!
शर्मिला रेड्डी अब उसी कांग्रेस की अध्यक्ष हैं जिसे निपटाकर जगन मोहन रेड्डी आज प्रदेश पर राज कर रहे हैं. कांग्रेस भी शर्मिला रेड्डी को इसीलिए लाई ताकि वाईएसआर से जुड़ा सेंटीमेट पार्टी के काम आए. कांग्रेस में शामिल होने और आंध्र कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद शर्मिला रेड्डी पिता की समाधि पर श्रद्धांजलि के फूल चढ़ाने सबसे पहले कडप्पा पहुंची थी. उसी समय से ये अटकलें लगने लगी थी कि, शर्मिला रेड्डी की राजनीतिक पारी कडप्पा से शुरू होगी और भाई को हराकर आगे बढ़ेगी. अगर टीडीपी-बीजेपी ने कोई बड़ा उलटफेर नहीं किया तो कडप्पा में वाईएसआर का परिवार हारेगा भी, जीतेगा भी यानी जगन और शर्मिला में से किसी एक को ही जीत मिलेगी.
पिता की विरासत पर दावा ठोंकते रहे हैं जगन मोहन
पिता वाईएसआर राजशेखर रेड्डी की विरासत संभालते हुए जगन मोहन ने कांग्रेस को निकाल फेंका लेकिन कडप्पा से रिश्ता बनाए रखा. सरकार बनी तो पिता के सम्मान में कडप्पा जिले का नाम ही वाईएसआर रख दिया. जिला वाईएसआर है जिसकी लोकसभा सीट है कडप्पा. YSRCP के 175 विधानसभा और 25 लोकसभा उम्मीदवारों का एलान करने के लिए जगन मोहन ने पिता की समाधि को ही चुना था.
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अब जानिए कौन थे वाईएस राजशेखर रेड्डी?
वाईएस राजशेखर रेड्डी कांग्रेस के बड़े नेता रहे. आंध्र प्रदेश के सीएम भी रहे. कडप्पा से उन्होंने बिना हारे कुल 9 चुनाव जीते. 1989 से चार बार कडप्पा से लोकसभा के सांसद चुने गए. 5 बार कडप्पा की विधानसभा सीट पुलिवेंदुला से विधायक का चुनाव जीते. आंध्र की राजनीति में सक्रिय हुए तो अपने भाई विवेकानंद रेड्डी को चुनाव लड़ाने लगे. विवेकानंद भी कडप्पा से 1999 और 2004 में चुनाव जीते.
2009 में वाईएसआर के बेटे जगन रेड्डी ने कडप्पा से चुनाव लड़ना शुरू किया. वो दो बार भी जीते भी. प्रदेश की सियासत के लिए उन्होंने संसद की राजनीति छोड़ दी. चचेरे भाई अविनाश रेड्डी को सीट सौंपकर पिता की सीट पुलिवेंदुला से विधानसभा चुनाव लड़े. 1989 से लेकर आज तक कड़प्पा की सीट पर वाईएसआर के परिवार के अलावा कोई जीत नहीं सका.
पिता के निधन तक शर्मिला रेड्डी राजनीति से दूर रहीं लेकिन जब भाई जगन मोहन ने कांग्रेस से अलग YSRCP नाम की पार्टी बनाकर नई राजनीतिक पारी शुरू की तो शर्मिला रेड्डी एक्टिव हो गईं. कदम से कदम, कंधे से कंधा मिलाकर भाई-बहन ने आंध्र प्रदेश की राजनीति पर कब्जा कर लिया. जगन चुनाव लड़ते रहे लेकिन शर्मिला चुनावी राजनीति से दूर रहीं. जगन से मतभेद होने पर उन्होंने आंध्र प्रदेश छोड़कर तेलंगाना में राजनीति करने के लिए अलग पार्टी बनाई. हालांकि वो प्रयोग सफल नहीं रहा. अब शर्मिला ने आंध्र प्रदेश लौटने का फैसला किया तो हारने, हराने के लिए सामने बड़ा भाई जगन मोहन खड़ा है.
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प्रदेश के विभाजन का दंश झेलना पड़ा है कांग्रेस को
आंध्र प्रदेश का जबसे विभाजन हुआ है प्रदेश की जनता में उसका गुस्सा कांग्रेस को झेलना पड़ा है. कांग्रेस के हाथ से आंध्र प्रदेश ऐसे निकला कि, आज तक लोकसभा और विधानसभा में पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई. अब शर्मिला रेड्डी के कांग्रेस में आने के बाद पार्टी को मजबूत माना जा रहा है. हालांकि उनके सामने कई चैलेंज है जिसमें सबसे बड़ा चैलेंज अपने भाई जगन मोहन को हराना है लेकिन TDP के चंद्रबाबू नायडू ने बीजेपी से अलायंस करके चुनाव को त्रिकोणीय और कांटे का मुकाबला बना दिया है.
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