टीवी पत्रकार इम्तियाज जलील को AIMIM ने औरंगाबाद से दिया टिकट, महाराष्ट्र के लिए ऐसा हैं ओवैसी का प्लान 

रूपक प्रियदर्शी

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Maharashtra News: लोकसभा चुनाव की तारीख आते ही असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी AIMIM ने अपनी चुनावी रणनीति क्लियर कर दी है. ओवैसी ने हैदराबाद से बाहर दक्षिण, पश्चिम और पूरब की उन तीन लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं जहां मुसलमान वोटर तय करते है कि, किसकी जीत होगी और किसकी हार. तेलंगाना की हैदराबाद सीट से ओवैसी पांचवीं बार चुनाव लड़ेंगे. महाराष्ट्र की औरंगाबाद सीट से इम्तियाज जलील को फिर से टिकट मिला है वहीं बिहार की किशनगंज सीट से विधायक अख्तरुल ईमान चुनाव लड़ेंगे. 

औरंगाबाद से इम्तियाज जलील ही लड़ेंगे, इसका पूरा चांस था लेकिन चर्चा ये तेज हो रही थी कि, ओवैसी इम्तियाज जलील को मुंबई की किसी लोकसभा सीट से उतारकर एक और नया प्रयोग करेंगे. वैसे इम्तियाज जलील और असदुद्दीन ओवैसी प्रयोग करते हुए ही एक-दूसरे के साथ आए थे. 

कौन हैं इम्तियाज जलील?

इम्तियाज जलील NDTV के पत्रकार हुआ करते थे. उन्होंने जब राजनीति में आने की सोची तो महाराष्ट्र में AIMIM जैसी ऐसी पार्टी को चुना जिसका कोई जनाधार नहीं था. AIMIM बस हाजिरी लगाने के लिए महाराष्ट्र में चुनाव लड़ रही थी. टीवी पत्रकार होने के कारण इम्तियाज जलील चर्चित चेहरा तो थे लेकिन उन्हें चुनाव लड़ने-लड़ाने का राजनीतिक अनुभव नहीं था. 10 साल पहले 2014 में ओवैसी ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना से बाहर AIMIM के विस्तार के लिए महाराष्ट्र को चुना था. उसी दौर में इम्तियाज जलील AIMIM के टिकट पर विधानसभा का चुनाव औरंगाबाद सेंट्रल सीट से लड़े. वोटिंग से सिर्फ 22 दिन पहले इम्तियाज जलील को ओवैसी ने टिकट दिया था तब इम्तियाज जलील ने बीजेपी-शिवसेना के उम्मीदवार को 20 हजार वोटों से हराकर तहलका मचा दिया था. यह पहली बार था जब हैदराबाद से बाहर AIMIM का कोई विधायक जीता था. 

अगले साल इम्तियाज जलील ने एक और धमाका किया. औरंगाबाद नगर निगम चुनाव में AIMIM के 25 कॉरपोरेटर जीता लिए. इसी का इनाम 2019 के चुनाव में इम्तियाज जलील को मिला. ओवैसी ने उन्हें लोकसभा चुनाव में औरंगाबाद सीट से उतार दिया. तब AIMIM ने दलित राजनीति करने वाले प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित विकास अघाड़ी के साथ अलायंस किया था. अलायंस का कोई फायदा प्रकाश आंबेडकर को तो नहीं मिला लेकिन इम्तियाज जलील AIMIM के लिए हैदराबाद के बाद दूसरी लोकसभा सीट जीत लाए. जलील ने वहां चार चुनाव जीत चुके बीजेपी-शिवसेना के उम्मीदवार चंद्रकांत खैरे को हराया था. 

इम्तियाज जलील की 2019 में हुई जीत के बाद से असदुद्दीन ओवैसी लगातार महाराष्ट्र में संभावनाएं देख रहे हैं. विस्तार के लिए एक और प्रयोग कर सकते हैं. चर्चा है कि महाराष्ट्र की 4 से 6 लोकसभा सीटों पर AIMIM के उम्मीदवार उतर सकते हैं. औरंगाबाद तो हो ही गया. धुले, नांदेड़, भिवंडी सीटों पर AIMIM लड़ सकते हैं. हालांकि अभी तक कोई अलायंस हुआ नहीं है.

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प्रकाश आंबेडकर के साथ गठबंधन से इम्तियाज जलील को मिला फायदा 

2019 के चुनाव में औरंगाबाद में 51 फीसदी वोटर हिंदू माने जाते थे. वहीं मुसलमान वोटरों की संख्या 30 फीसदी के आसपास थी. करीब 16 फीसदी दलित वोट होते थे. ओवैसी-आंबेडकर गठजोड़ से औरंगाबाद में भी मुस्लिम और दलित गठजोड़ हुआ जिससे औरंगाबाद की राजनीति बदल गई. इससे इम्तियाज जलील संसद पहुंच गए. औरंगाबाद ने 1980 के बाद पहली बार किसी मुस्लिम को चुनाव जिताया था. 15 साल बाद कोई मुस्लिम सांसद महाराष्ट्र से संसद पहुंचा था. 

दिलचस्प रहा है औरंगाबाद सीट का चुनावी नतीजा 

इस बार के चुनाव में औरंगाबाद में चौथे चरण में 13 मई को वोट पड़ेंगे. वैसे यह लोकसभा सीट कांग्रेस और शिवसेना के बीच एक्सचेंज होती रही है. यहां से 7 बार कांग्रेस और 6 बार शिवसेना के सांसद चुने गए है. ये संभव है कि, शिंदे-अजित पवार-बीजेपी अलायंस में औरंगाबाद की सीट बीजेपी के खाते में जाएगी और यह पहली बार होगा जब बीजेपी का उम्मीदवार औरंगाबाद पर उतरेगा. वहीं INDIA अलायंस में यह सीट संभवतः उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना के हिस्से में रहेगी. वैसे किसी भी दल ने अभी तक औरंगाबाद सीट पर इम्तियाज जलील के खिलाफ अपने उम्मीदवार नहीं उतारे है.

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