महाराष्ट्र में अभी सीटों के पेच ही नहीं सुलझा पा रहा BJP-NDA, इन 9 जगहों पर फंसा मामला
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने इस बात को स्वीकार किया कि, प्रदेश में सीट बंटवारे को लेकर अभी भी कुछ मतभेद बने हुए हैं. उन्होंने बताया कि, 'ऐसी तीन या चार सीटें है,
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Lok Sabha Election Maharashtra: लोकसभा की 48 सीटों वाले महाराष्ट्र में इस बार का चुनाव काफी दिलचस्प नजर आ रहा है. सभी की नजरें यहां टिकी हुई है. एक तरफ जहां बीजेपी अपने पिछले चुनाव के प्रदर्शन को मेंटेन करने के लिए हर जुगत में लगी हुई है दूसरी तरफ कांग्रेस का INDIA अलायंस प्रदेश के चुनावी माहौल और ओपिनियन पोल में बीजेपी-NDA को कड़ी टक्कर देता नजर आ रहा है. विपक्षी गठबंधन INDIA अपने घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारें के साथ ही अपने उम्मीदवारों का भी ऐलान कर चुका है. वहीं बीजेपी-NDA ने अभी तक सिर्फ 39 उम्मीदवारों का ऐलान किया हुआ है. जानकारी के मुताबिक प्रदेश की बाकी बची 9 सीटों पर NDA के दलों के बीच पेच फंसा हुआ है.
महाराष्ट्र में लोकसभा का चुनाव पांच चरणों में होगा जो 19 अप्रैल से शुरू होकर 20 मई तक चलेगा. पहले चरण के मतदान होने में सिर्फ चार दिन बचे है फिर भी महायुति(NDA) के सहयोगी भाजपा, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रदेश की 48 लोकसभा सीटों में से नौ सीटों पर सहमति बनाने के लिए संघर्ष कर रहे है. हालांकि ये सीटें तीसरे, चौथे और पांचवें चरण की है जिनके लिए नामांकन करने की अंतिम डेट 19 अप्रैल, 25 अप्रैल और 3 मई को है.
किन नौ सीटों पर नहीं बन पा रही सहमति
इंडियन एक्स्प्रेस अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र के नौ सीटों पर महायुति (NDA) के घटक दलों में सहमति नहीं बन पा रही है. अखबार ने सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी का हवाला देते हुए लिखा है कि, महायुति घटक दल अभी भी रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग, सतारा, औरंगाबाद, नासिक, ठाणे, पालघर, मुंबई दक्षिण, मुंबई उत्तर पश्चिम और मुंबई उत्तर मध्य सीटों पर उम्मीदवारों को लेकर आपसी सहमति नहीं बना पा रहे है और समझौते के लिए संघर्ष कर रहे है. बता दें कि, रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग और सतारा में तीसरे चरण में सात मई को मतदान होगा, वहीं औरंगाबाद में चौथे चरण में 13 मई को मतदान होगा. बाकी के छह सीटों पर पांचवें चरण में 20 मई को मतदान होगा.
फड़णवीस ने भी माना कि सीट बंटवारे पर है मतभेद
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने इस बात को स्वीकार किया कि, प्रदेश में सीट बंटवारे को लेकर अभी भी कुछ मतभेद बने हुए हैं. उन्होंने बताया कि, 'ऐसी तीन या चार सीटें है, हालांकि उन्होंने कहा कि, हम उन पर चर्चा करेंगे और उनका समाधान करेंगे. ऐसी ही बातें अजित पवार और एकनाथ शिंदे ने भी कही हैं. वैसे सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन अपने उम्मीदवारों की पूरी सूची जारी करने के लिए अजीत पवार की निर्धारित समय सीमा से दो बार चूक चुका है. प्रदेश में बीजेपी ने अब तक 24 उम्मीदवारों की घोषणा की है, वहीं शिंदे गुट की शिवसेना ने 10 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है. अजित पवार की NCP ने चार उम्मीदवारों की घोषणा की है. इसके साथ ही राष्ट्रीय समाज पार्टी (RSP) के महादेव जानकर परभणी में NDA उम्मीदवार के तौर पर मैदान में होंगे.
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सीटों पर क्यों फंसा है पेच अब उसे समझिए
थाने- सियासी जानकारों के मुताबिक, थाने लोकसभा सीट पर डिप्टी सीएम फड़णवीस बेहतर संगठनात्मक ढांचा का हवाला देते हुए इस सीट पर दावा ठोक रहे हैं वहीं यह सीट सीएम एकनाथ शिंदे की गृह क्षेत्र में आती है और शिंदे अपनी पहचान से जुड़े होने के कारण इस सीट को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. यहीं वजह है कि, इस सीट को लेकर फैसला नहीं हो पा रहा है.
नासिक- यह एक ऐसी दिलचस्प सीट है जहां महायुति गठबंधन के तीनों दल मैदान में उतर आए है. यहां से मौजूदा शिवसेना सांसद हेमंत गोडसे ने शिंदे के साथ आधा दर्जन बैठकें की हैं और उनसे सीट नहीं छोड़ने पर बात जी है, जबकि NCP यहां से अपने वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल को बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतारने के मूड में है. सूत्रों के मुताबिक, भाजपा को ये उम्मीद है कि, भुजबल को मैदान में उतारकर ओबीसी वोटों को मजबूत किया जा सकता है जो मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे-पाटिल के कट्टर आलोचक रहे हैं. हालांकि भुजबल ने पिछले हफ्ते स्पष्ट किया कि, वह केवल NCP के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगे.
सतारा- इस सीट को लेकर बीजेपी और NCP के बीच खींचतान चल रही है. NCP छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और बीजेपी के राज्यसभा सांसद उदयनराजे भोसले को अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ाने के इच्छुक है. हालांकि भोसले ने यह स्पष्ट किया है कि, वह अपनी पार्टी की स्थिति से समझौता नहीं करेंगे.
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रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग- इस सीट पर केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने पिछले महीने एकतरफा दावा ठोक दिया था. हालांकि आधिकारिक तौर पर बीजेपी ने अभी तक उन्हें अपने उम्मीदवार के रूप में घोषित नहीं किया है इसके बावजूद भी उन्होंने अपना अभियान शुरू कर दिया. इस सीट पर शिवसेना शिंदे गुट के किरण सामंत खासा नाराज हैं. उन्होंने कहा है कि, बीजेपी अपने उम्मीदवार हम पर नहीं थोप सकती.
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औरंगाबाद- इस सीट पर महायुति गठबंधन को अभी तक चंद्रकांत खैरे का विकल्प नहीं मिला पाया है, जो शिवसेना में विभाजन के बाद उद्धव ठाकरे के साथ चले गए थे. वैसे तो खैरे 2019 में मौजूदा AIMIM सांसद इम्तियाज जलील से हार गए थे फिर भी शिवसेना (यूबीटी) ने उन्हें इस बार भी यहां से मैदान में उतारा है. महायुति गठबंधन में इस सीट को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
पालघर- इस सीट पर राज्य सरकार को बाहर से समर्थन देने वाली हितेंद्र ठाकुर की बहुजन विकास अघाड़ी (BVA) कथित तौर पर इस सीट से अपना उम्मीदवार खड़ा करने की इच्छुक है. पालघर की सीट छोड़ने के खिलाफ शिंदे की सेना और बीजेपी आमने-सामने है.
मुंबई की इन सीटों पर नहीं हो पाई है उम्मीदवारों की घोषणा
महाराष्ट्र की हाई-प्रोफाइल दक्षिणी मुंबई सीट बीजेपी और शिवसेना शिंदे गुट के बीच विवाद का एक बड़ा मुद्दा है. बीजेपी यहां से राहुल नार्वेकर या राज्य मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा को मैदान में उतारने की इच्छुक है, वहीं सेना ने बीजेपी के इस सीट पर दावा करने पर शिवसेना (यूबीटी) को लाभ देने का आरोप लगाया है. शिंदे की पार्टी का तर्क है कि, जब दोनों पार्टियां गठबंधन में थी तो बीजेपी ने हमेशा अविभाजित शिवसेना के लिए यह सीट छोड़ी थी.
महायुती गठबंधन को मुंबई की दो और सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करनी है. जैसे मुंबई उत्तर पश्चिम सीट पर सेना मौजूदा सांसद गजानन कीर्तिकर की जगह एक उम्मीदवार की तलाश कर रही है, जिन्होंने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. वैसे दिलचस्प बात ये है कि, उनके बेटे अमोल पालेकर को शिवसेना (यूबीटी) ने इस सीट पर उम्मीदवार बनाया है. इसके साथ ही उत्तर मध्य मुंबई सीट पर बीजेपी मौजूदा सांसद पूनम महाजन की जगह किसे मैदान में उतारें इसे लेकर असमंजस में पड़ी हुई है और विकल्प तलाश रही है.
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