हिमाचल में कांग्रेस की सरकार गिराने के रचे चक्रव्यूह में खुद फंस रही बीजेपी! बागी बने सिरदर्द

रूपक प्रियदर्शी

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BJP vs Congress in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराने के लिए रचे गए अपने ही चक्रव्यूह में बीजेपी फंसती जा रही है. राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को हराने के साथ ये खेल शुरू हुआ था. सिंघवी तो हार गए लेकिन, कांग्रेस की सरकार गिरते-गिरते बच गई. 

एक जून को लोकसभा चुनाव के साथ हिमाचल प्रदेश की 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. बीजेपी ने कांग्रेस से 6 विधायकों की बगावत कराई. उनको अपने साथ ले लिया. सत्ता में होने का फायदा उठाकर कांग्रेस ने सबकी सदस्यता खत्म करा दी. सदस्यता खत्म करने का केस सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के बाद भी उपचुनावों का ऐलान हो गया.

कांग्रेस के बागी MLA बीजेपी में और बीजेपी के बागी MLA कांग्रेस में

बीजेपी ने कांग्रेस के सभी 6 बागियों को टिकट देकर कांग्रेस के खिलाफ खड़ा कर दिया है. यहीं से बीजेपी के लिए खतरा बढ़ना शुरू हुआ है. लेकिन अब कांग्रेस के बागियों को हराने के लिए  बीजेपी में बागी पैदा हो गए हैं. 

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जिन 6 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव हो रहे हैं उनमें से तीन सीटों पर बीजेपी के नेताओं ने बगावत करके बीजेपी के खिलाफ लड़ने का ऐलान कर दिया है. राजेश कालिया कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. गगरेट से बीजेपी उम्मीदवार चैतन्य शर्मा के खिलाफ कांग्रेस का टिकट मिलने की उम्मीद है. राजेश कालिया 2022 तक कांग्रेस में होते थे. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी का खेल देखकर राजेश कालिया ने राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे को ईमेल से कॉन्टेक्ट किया था. 

रामलाल मारकंडा लाहौल स्पीति से, कैप्टन रंजीत सिंह भी कांग्रेस में शामिल होने के लिए लाइन में लगे हैं. ये तीनों उन सीटों पर टिकट के दावेदार थे जिनपर बीजेपी ने कांग्रेस के बागियों को टिकट दिया. बगावत के बाद कांग्रेस ने तय किया था कि बीजेपी से किसी को नहीं लेंगे लेकिन अब बीजेपी को टिट फॉर टैट जैसा सबक देने के लिए बागियों को कांग्रेस सिर पर बिठा रही है.

डैमेज कंट्रोल में जुटी बीजेपी 

कांग्रेस के बागियों को पार्टी में लाने के बाद बीजेपी में अंसतोष तेज हो रहा है. हिमाचल बीजेपी अध्यक्ष राजीव बिंदल की कोशिशों के बाद भी बागी बगावत पर कायम हैं. कह रहे हैं कि कांग्रेस से टिकट मिले या न मिले, अब बीजेपी में नहीं रहेंगे. कांगड़ा से बीजेपी सांसद किशन कपूर भी कांग्रेस में दिख सकते हैं क्योंकि उनका टिकट कट चुका है. उनको रोकने के लिए बीजेपी ने उनके बेटे शाश्वत कपूर को हिमाचल बीजेपी युवा मोर्चा में उपाध्यक्ष बनाया है. लखविंदर राणा को रोकने के लिए प्रवक्ता बनाया गया है. 

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मंडी सीट बनी साख की लड़ाई

हिमाचल में कांग्रेस के संकट में बड़ी भूमिका कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और विक्रमादित्य सिंह की मानी गई. मां-बेटे ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के खिलाफ मुहिम में बागियों को हवा दी. सरकार बचाने के लिए जब कांग्रेस ने विधानसभा सदस्यता खत्म कराई तब भी प्रतिभा सिंह ने विरोध किया लेकिन बीजेपी ने एक गलती कर दी. कंगना रनौत को उतारकर मंडी में राजा वीरभद्र सिंह की राजनीतिक विरासत को चुनौती दे दी. 

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प्रतिभा सिंह, विक्रमादित्य सिंह के लिए जरूरी हो गया कि वो मंडी की विरासत को बीजेपी से बचाएं. प्रतिभा सिंह ने तो चुनाव लड़ने से मना कर दिया लेकिन बेटे विक्रमादित्य सिंह ने कंगना के खिलाफ उतरने पर हामी भर दी. मंडी का लोकसभा चुनाव कांग्रेस या बीजेपी का नहीं, राजा वीरभद्र सिंह की राजनीतिक विरासत की हार या जीत का सवाल बन गई है. 

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