मोदी सरकार के मंत्री ने कहा, 7 दिन में लागू हो जायेगा CAA, ऐसा हुआ तो क्या बदलाव होंगे?
नागरिकता संशोधन कानून यदि देश में लागू होता है, तो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइ शरणार्थियों को तो नागरिकता मिल जाएगी
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Citizenship Amendment Act: नागरिकता संशोधन ऐक्ट (सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट-CAA) एक बार फिर चर्चा में है. CAA को चर्चा में लाने की वजह बना केन्द्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर का पश्चिम बंगाल में दिया गया ताजा बयान. शांतनु ठाकुर बंगाल के दक्षिण 24 परगना के काकद्वीप में एक सार्वजनिक सभा में बोल रहे थे जहां उन्होंने कहा कि, ‘मैं आपको ये गारंटी दे रहा हूं कि एक हफ्ते के अंदर CAA सिर्फ बंगाल में ही नहीं बल्कि पूरे देश में लागू हो जाएगा.’ वैसे यह पहला मौका नहीं है जब केंद्र सरकार का कोई मंत्री ऐसा दावा कर रहा हो. इससे पहले केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने भी पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में ही ये दावा किया था. उनका दावा था कि, सरकार मार्च 2024 तक CAA का अंतिम मसौदा तैयार कर लेगी और जल्द ही इसे लागू करने की कवायद शुरू करेगी.
शांतनु ठाकुर ने यह बयान आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए रणनीतिक रूप से बंगाल के दक्षिण 24 परगना में दिया, जहां बांग्लादेश के प्रवासी हिन्दू शरणार्थी ‘मतुआ’ समुदाय की बहुलता है. आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने CAA को साल 2019 में ही संसद से पास कर लिया था, लेकिन अब तक लागू नहीं हो पाया है क्योंकि इसमें मुस्लिम समुदाय को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए विपक्ष के दल इसे विभेदकारी बताते है.
जानिए क्या है CAA?
केंद्र सरकार के CAA लाने का मुख्य उद्देश्य भारत में बसे शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देना है. 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन ऐक्ट (CAA) लाया गया था. संसद से बिल पास कराने के बाद 12 दिसंबर 2019 राष्ट्रपति की मुहर के बाद यह कानून बन गया था. इसे जनवरी 2020 तक लागू करने की अधिसूचना भी जारी हुई थी लेकिन अब तक इसपर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है.
आखिर लागू क्यों नहीं हो पा रहा है CAA?
CAA को लेकर जब केंद्र सरकार ने बिल लाया था, उसी समय से देश में इसे लेकर भारी विरोध शुरू हुआ, जो इसके बिल पास होने के बाद अब तक जारी है. विपक्ष CAA को पक्षपाती बताता है और यह कहता है कि, ये केंद्र सरकार के मुस्लिमों को टारगेट करने का एक हथियार है. इस कानून में तीन पड़ोसी मुस्लिम देशों से आए गैरमुस्लिमों को नागरिकता देने की बात कही गई है, जिसपर विपक्ष को आपत्ति है. देश के पूर्वोत्तर के राज्यों (असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश)में भी इसका जबरदस्त विरोध देखने को मिला. उन प्रदेशों में भी विरोध है, जिनकी सीमा बांग्लादेश से लगती है. जैसा पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा. यहां बड़ी संख्या में प्रवासी बांग्लादेशी रहते हैं. CAA लागू हुआ तो बांग्लादेश से आए मुस्लिमों को नागरिकता नहीं मिलेगी. वैसे इन प्रदेशों में बीजेपी पहले से ही बांग्लादेशी घुसपैठियों का मामला उठाती रहती है.
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पूर्वोत्तर के राज्यों में हो रहे विरोध के पीछे का एक तर्क यह भी है कि अगर CAA के तहत पड़ोसी देशों से आए शरणार्थियों को नागरिकता दी गई तो उनके प्रदेश की जनसांख्यिकी पर असर पड़ेगा. राज्य के स्थानीय लोगों के हितों में बंटवारे का खतरा पैदा होगा. केंद्र सरकार भी इसके विरोध को लेकर मंझधार में फंसी हुई नजर आती रही है. ऐसा माना जाता है कि इन्हीं वजहों से इसे अबतक लागू नहीं किया जा सका है.
CAA लागू हो गया तो क्या होगा?
नागरिकता संशोधन कानून यदि देश में लागू होता है, तो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइ शरणार्थियों को तो नागरिकता मिल जाएगी, लेकिन इन्हीं देशों से आए मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता नहीं मिलेगी. CAA को लेकर बस इसी बात का विरोध है कि, इसमें मुस्लिमों को भी शामिल किया जाए.
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