नीतीश-ममता ने INDIA का गेम बिगाड़ा पर इन जगहों पर सेट है माहौल! कांग्रेस की कितनी चल रही?

रूपक प्रियदर्शी

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Congress- INDIA Alliance: नीतीश कुमार ने इंडिया से बीजेपी के एनडीए में छलांग लगाकर ये साबित कर दिया कि इंडिया गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी, पंजाब में अरविंद केजरीवाल, उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव कांग्रेस को मुंहमांगी सीटें देने को तैयार नहीं हैं. इस उठा-पटक के बाद कांग्रेस के सबसे भरोसेमंद सहयोगी तमिलनाडु सीएम स्टालिन की पार्टी डीएमके के साथ सीट शेयरिंग पर चेन्नई में पहली बैठक हुई. कांग्रेस सीटों के बंटवारें पर बनी कमेटी के मुकुल वासनिक और सलमान खुर्शीद ने चेन्नई जाकर डीएमके हेडक्वार्टर अन्ना अरिवलय में डीएमके की अलायंस कमेटी के साथ बैठक की.

कांग्रेस की 21 सीटों की है डिमांड

कांग्रेस ने तमिलनाडु में 21 सीटों पर दावा ठोका है. पार्टी ने पिछली बार की अपेक्षा इस बार 12 सीटें ज्यादा मांगी है. इसपर अभी तक डीएमके की तरफ से हां या ना करने की कोई खबर नहीं आई है. 2019 के चुनाव से कांग्रेस कमजोर हुई लेकिन फिर भी तमिलनाडु में स्थिति कंट्रोल में हैं. बहुत बुरी हालत में भी कांग्रेस ने 2019 में लोकसभा की 9 सीटों पर लड़कर की 8 सीटें जीती, वहीं विधानसभा चुनाव में 25 सीटें लड़कर 18 सीटें जीती. कांग्रेस को लगता है कि, ज्यादा सीटें लड़ने से ही उसको फायदा हो सकता है. 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने पूरे देश से जो 52 सीटें जीती थी उनमें से 8 सीटें अकेले तमिलनाडु से आई थी.

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नीतीश कुमार के जाने के बाद इंडिया गठबंधन में बिखराव के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. बंगाल, दिल्ली, यूपी में मामला इसलिए फंसा क्योंकि कांग्रेस ने ज्यादा सीटें मांग ली. हिमाचल, कर्नाटक की जीत से कांग्रेस ने वजन बढ़ाया था लेकिन एमपी, राजस्थान में हार से वजन घटा. इससे कांग्रेस के लिए अपनी बात मनवाना मुश्किल हो रहा है. ये भी इंडिया में बिखराव का कारण बन रहा है. आइए आपको बताते हैं कि किस राज्य में कांग्रेस के अलायंस का क्या स्टेट्स है.

बंगाल में ममता पहले ही दें चुकी है झटका

नीतीश के जाने से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका दिया था बंगाल में ममता बनर्जी ने. बिना सीट शेयरिंग पर बात किए ममता ने अकेले 42 सीटें लड़ने का एलान कर दिया. कांग्रेस की 10-12 सीटों की मांग अधूरी रह गई। बंगाल में कांग्रेस ने 2019 में 2 सीटें जीती थी. इस बार 10-12 की मांगने पर ममता बनर्जी ने अलायंस ही तोड़ दिया. कांग्रेस अब तक ममता को मना नहीं पाई है.

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आप के साथ दिल्ली में हो चुका है समझौता पर पंजाब पर संशय बरकरार

दिल्ली में कांग्रेस और आप में सहमति लगभग बन गई है. दोनों पार्टियों का स्कोर 2019 में जीरो था. इस बार सहमति बनी है कि आप 4 पर, कांग्रेस 3 लोकसभा सीटों पर लड़ेगी लेकिन पंजाब में अलायंस नहीं होगा. 13 सीटों पर अकेले आप लड़ेगी. पता नहीं कांग्रेस कितने पर लड़ेगी. आप हरियाणा में भी चुनाव लड़ना चाहती है, लेकिन कांग्रेस उसे एक भी सीट देने के पक्ष में नहीं है.

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अखिलेश ने यूपी में कांग्रेस को 11 सीटों का दिया ऑफर

यूपी में कांग्रेस-समाजवादी पार्टी का अलायंस रहेगा लेकिन कांग्रेस को सिर्फ 11 सीटें मिलेंगी. 60 पर समाजवादी पार्टी लड़ेगी. 7 पर जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी का उम्मीदवार होगा. हालांकि अभी इस फॉर्मूले पर अभी तक मुहर नहीं लगी है.

महाराष्ट्र में अभी नहीं हो पाया है समझौता

महाराष्ट्र की 48 सीटों पर कांग्रेस की शरद पवार की एनसीपी और उद्धव ठाकरे की UBT से बैठक हो चुकी है. UBT का दावा 23, NCP का 10 सीटों पर दावा है लेकिन कांग्रेस ने भी 20 सीटें मांगी है. एक-दो रीजनल पार्टियों को भी सीटें देनी है. अभी महाराष्ट्र का मामला फंसा है.

केरल की 20 सीटों में से कांग्रेस 16 और गठबंधन के बाकी पार्टियों को 4 सीटों पर चुनाव लड़ना होगा. केरल में ही कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 16 सीटें जीती थी.

जम्मू-कश्मीर में PDP के साथ कांग्रेस की डील क्लोज

जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और PDP का साथ लड़ना फाइनल है. कांग्रेस ने जम्मू की 2 सीट और लद्दाख की एक सीट पर दावा किया है. ऐसी स्थिति में नेशनल कॉन्फ्रेंस को 2, PDP को 1 सीट से काम चलाना होगा.

इंडिया गठबंधन में 28 पार्टियां शामिल हुई थी. हालांकि नीतीश को छोड़कर जिन राज्यों की पार्टियों ने अलायंस से सीट शेयरिंग से मना किया है, उन्होंने इंडिया गठबंधन को अलविदा नहीं कहा है. बुरी से बुरी परिस्थिति में भी इंडिया गठबंधन में कांग्रेस ही सबसे बड़ी पार्टी है. कांग्रेस के पास लोकसभा और राज्यसभा में मिलाकर 81 सांसद हैं. दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस है जिसके दोनों सदनों में 36 सांसद हैं. बाकी पार्टियों के सांसद सिंगल डिजिट में हैं. 11 पार्टियां ऐसी हैं जिनका कोई सांसद नहीं है. कांग्रेस ही अकेली पार्टी है जिसकी मौजदूगी कश्मीर से कन्याकुमारी तक है. शायद इसी सुप्रमेसी वाली फीलिंग के कारण कांग्रेस सीट शेयरिंग में ज्यादा से ज्यादा सीट मांग रही है और अलायंस के बिखरने का कारण बन रही है.

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