BJP को अब इन 129 सीटों की चिंता, इनके बिना ‘फिर मोदी सरकार’ का मिशन कैसे होगा पूरा?

रूपक प्रियदर्शी

दक्षिण की राजनीति की दिशा रीजनल पार्टियां तय करती हैं. कांग्रेस के पास केरल और तमिलनाडु में मजबूत गठबंधन है लेकिन बीजेपी का गठबंधन टूट गया है. सारे सहयोगी एक-एक करके किनारा कर गए.

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Narendra MOdi
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BJP South India Mission: ‘जब तक जीतेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं’, लगता है दक्षिण भारत के लिए पीएम मोदी, अमित शाह और पूरी बीजेपी इसी मिशन पर काम कर रहे हैं. पांच राज्यों के चुनावों के बाद ये साफ दिखने लगा है कि बीजेपी की ताकत उत्तर भारत ही है. कांग्रेस और उसके सहयोगी दल दक्षिण में मजबूत है. दक्षिण में विपक्ष की काट निकालने के लिए ही पीएम मोदी ने अब सदर्न कॉरीडोर बनाया है. 2 हफ्ते में दूसरी बार दक्षिण के चार राज्यों में पहुंचे पीएम मोदी. पीएम मोदी नए साल पर 2 जनवरी को तमिलनाडु में थे. 3 जनवरी को केरल के त्रिशूर पहुंचे थे. 14 जनवरी को पोंगल दिल्ली में तमिलनाडु के बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री मुरुगल के घर मनाया. एक बार फिर आंध्र प्रदेश होते हुए 2 हफ्ते में दूसरी बार केरल में होंगे. कहीं विकास की योजनाओं का उदघाटन, कहीं पूजा-पाठ, कहीं शादी-ब्याह. सारे मिशन का टारगेट ये कि दक्षिण में बीजेपी को जमाना और मोदी गारंटी का मतलब समझाना.

अब साउथ पर है बीजेपी की नजर

हारकर थक जाना बीजेपी का स्वभाव नहीं. दक्षिण में निरंतर नाकामी के बाद भी मोदी और बीजेपी ने मुंह नहीं मोड़ा है. दक्षिण भारत में कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल पांच राज्य हैं. इन राज्यों में लोकसभा की 129 सीटें हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजेपी दक्षिण की 129 में से 84 सीटों पर फोकस कर रही है. 84 सीटों की पहचान ऐसे की गई जहां बीजेपी ने ज्यादा वोट नहीं पाए लेकिन उन सीटों पर मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ रहा है. कर्नाटक में 25, तेलंगाना में 10, केरल में 5 सीटों का टारगेट है. पिछले चुनावों के ट्रेंड से बीजेपी को लग रहा है कि दक्षिण में कर्नाटक के बाद केरल में भी कमल खिल सकता है.

दक्षिण भारत की लोकसभा सीटें

केरल के गुरुवयूर में पीएम मोदी मलयालम सुपर स्टार और बीजेपी नेता सुरेश गोपी की बेटी की शादी में शामिल होने वाले हैं. सुरेश गोपी को बीजेपी ने राज्यसभा में मनोनीत किया था. 2019 में सुरेश गोपी त्रिशूर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव हारे लेकिन उनकी हार में भी पार्टी को संभावनाएं दिखी. केरल जैसे राज्य में बीजेपी के टिकट पर लड़े सुरेश गोपी को 28 परसेंट से ज्यादा वोट मिले थे. 2019 में बीजेपी ने केरल की 20 में से 15 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. सारी सीटें हारने के बाद भी बीजेपी को 13 परसेंट वोट मिले. करीब 10 सीटों पर उसके उम्मीदवारों को डेढ़ से तीन लाख तक वोट मिले. 2 सीटों पर बीजेपी नंबर 2 पर रही थी.

केरल में 2019 का लोकसभा चुनाव

2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी कांग्रेस, सीपीएम के बाद सबसे ज्यादा वोट पाने वाली तीसरी पार्टी थी. करीब 24 लाख से वोट और 11 परसेंट से ज्यादा वोट शेयर था बीजेपी का. हालांकि उसने एक भी सीट नहीं जीती लेकिन पिछले चुनाव के मुकाबले पार्टी का वोट शेयर बढ़ा.

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केरल में 2021 का विधानसभा चुनाव

अब 2024 के किले पर फतह की तैयारी

मोदी थर्ड टर्म का एलान कर चुके हैं. 2024 के चुनाव में 400 से ज्यादा सीटें और 50 परसेंट से ज्यादा वोट शेयर का टारगेट है. गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में बीजेपी जहां मजबूत हैं वहां उसने सारी की सारी सीटें जीती थी. ऐसे राज्यों से सीटें कम होने की गुंजाइश हो सकती है लेकिन सीटें और बढ़ नहीं सकती. वैसे दक्षिण भारत की 129 सीटें के बगैर बीजेपी के 400 के टारगेट को पाना आसान नहीं होने वाला.

2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को सबसे ज्यादा 27 सीटें दक्षिण के राज्यों से ही मिली थी. बीजेपी को 29 सीटें मिली थी लेकिन अकेले कर्नाटक से 25 सीटें, तेलंगाना से 4 सीटें मिली थी. प्रचंड मोदी लहर के बाद भी बीजेपी का केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश में खाता भी नहीं खुला था. 73 सीटें डीएमके, वाईएसआरसीपी, बीआरएस जैसी रीजनल पार्टियों ने निकाली थी.

2019 में दक्षिण की 129 सीटों का हिसाब

बीजेपी की चिंता की ये है कि जो 29 सीटें कर्नाटक और तेलंगाना से निकली थी वहां के विधानसभा चुनावों में जीत कांग्रेस की हुई. बीजेपी कर्नाटक में दूसरे नंबर, तेलंगाना में तीसरे नंबर पर रही. दक्षिण के राज्यों में बीजेपी का ये हाल तब है जबकि 2014 से देश में जबर्दस्त मोदी लहर चल रही है. 2014 में बीजेपी ने नई-नई मोदी लहर की बदौलत केरल को छोड़कर दक्षिण के हर राज्य में खाता खोला था लेकिन 2019 में कर्नाटक, तेलंगाना के अलावा बीजेपी बढने की बजाय और घट गई.

2014 में दक्षिण की 129 सीटों का हिसाब

दक्षिण भारत में रीजनल पार्टियों का है दबदबा

दक्षिण की राजनीति की दिशा रीजनल पार्टियां तय करती हैं. कांग्रेस के पास केरल और तमिलनाडु में मजबूत गठबंधन है लेकिन बीजेपी का गठबंधन टूट गया है. सारे सहयोगी एक-एक करके किनारा कर गए. कर्नाटक में चुनाव हार जाने के बाद जेडीएस से लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन हुआ है. आंध्र प्रदेश में टीडीपी, तेलंगाना में बीआरएस से गठबंधन बहुत पहले टूट चुका है. बीजेपी कोशिश कर रही है कि फिर चंद्रबाबू नायडू से गठबंधन हो जाए लेकिन नायडू बीजेपी के साथ जाने का नफा-नुकसान तौल रहे हैं. तमिलनाडु में तो AIADMK ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ने का जश्न मनाया था.

 

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