मोदी सरकार की इस एक योजना से आदिवासियों के लिए रिजर्व 47 सीटों पर खेल करेगी BJP?
Lok Sabha election 2024: बीजेपी चुनाव का कोई कोना खाली नहीं छोड़ रही है. पीएम जन मन योजना ऐसी ही एक रणनीति का हिस्सा है.
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PM-JANMAN election connection: ऐसा आम चर्चा है कि अगला लोकसभा चुनाव जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करा रही है. बीजेपी कोई कोर कसर छोड़ भी नहीं रही है, लेकिन चुनावों के लिए जिस तरह व्यूह रचना हो रही है उससे लगता नहीं है कि पार्टी सिर्फ राम मंदिर के भरोसे बैठी है.
पार्टी को पता है कि हर एक सीट जरूरी होती है. हर किसी का वोट जरूरी होता है. इसी रणनीति पर बीजेपी चुनाव का कोई कोना खाली नहीं छोड़ रही है. पीएम जन मन योजना ऐसी ही एक रणनीति का हिस्सा है. पीएम जन मन योजना का पूरा नाम है प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान.
आदिवासी समाज के कल्याण के लिए जनजातीय मंत्रालय ने 15 नवंबर 2023 को योजना शुरू की थी. अब प्रधानमंत्री मोदी ने इसी योजना के तहत प्रधाननंत्री आवास योजना के एक लाख लाभार्थियों को 540 करोड़ की पहली किस्त जारी की. इस बीच पीएम मोदी आदिवासी लाभार्थियों को राम मंदिर का आदिवासी कनेक्शन भी याद दिला रहे हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि , ’24 हजार करोड़ की पीएम जनमन योजना में केंद्र सरकार के 9 मंत्रालय लाभार्थियों को घर, पीने का पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका जैसी 11 सुविधाएं देती है. समाज के आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति को सशक्त बनाना, यही मोदी गारंटी है.’
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47 सीटों का गणित समझिए
चुनाव से पहले जनजातीय समाज पर फोकस का चुनावी एंगल भी है, संदेश भी. देश में आदिवासी समाज का वोट बैंक करीब 9 परसेंट माना जाता है. आदिवासियों के लिए लोकसभा में 47 सीटें रिजर्व हैं. 2014 में बीजेपी ने ऐसी 27 सीटों पर जीत हासिल की थी. 2019 में 31 सीटों पर जीत हुई लेकिन 16 सीटें आज भी बीजेपी के पास नहीं हैं. मिशन 400 सीटों के लिए बीजेपी की नजर आदिवासियों के लिए रिजर्व 47 सीटों पर है. इसी टारगेट के लिए फरवरी में झारखंड और गुजरात में मोदी की रैलियां आयोजित की गई हैं.
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एमपी और छत्तीसगढ़ के चुनाव जीतने में बीजेपी को आदिवासी सीटों से बड़ी मदद मिली. तीनों राज्यों में आदिवासियों के लिए रिजर्व तीन तिहाई सीटें बीजेपी ने निकाल ली. एमपी में 47 में से 24, छत्तीसगढ़ में 29 में से 17 और राजस्थान में 25 में से 12 सीटें बीजेपी जीत गई. हालांकि तेलंगाना में खाता नहीं खुला क्योंकि आदिवासियों के लिए रिजर्व सभी 9 सीटें कांग्रेस को मिली.
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माना जाता है कि आदिवासियों के वोट कांग्रेस को मिलते हैं. कांग्रेस हारने के बाद भी आदिवासी वोटरों की पसंद बनी हुई है. चारों राज्यों में आदिवासियों के लिए 113 रिजर्व सीटें में से बीजेपी ने 53 तो कांग्रेस ने 52 सीटें जीतीं. 2018 में बीजेपी के पास सिर्फ 28 सीटें थी जबकि कांग्रेस के पास 72 सीटें थीं.
आदिवासियों के लिए गुणाभाग अचानक नहीं हो रहा है. अटल बिहारी वाजपेयी के समय जनजातीय मंत्रालय बना. मोदी सरकार में जब द्रौपदी मूर्मू को राष्ट्रपति बनाया तब भी आदिवासियों में लोकप्रिय पार्टी बनने का लक्ष्य था. जब छत्तीसगढ़ में सीएम चुनने की बारी आई तो तब भी आदिवासी समाज के विष्णुदेव साय को चुना गया.
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