BJP के 370 सीटें जीतने के दावे को प्रशांत किशोर ने दिखाया आईना, बोले- इसकी संभावना जीरो!
पीके कहते हैं, बीजेपी के 370 के लक्ष्य को सच नहीं मानना चाहिए. मुझे इसकी संभावना करीब-करीब जीरो ही लगती है. अगर ऐसा होता है तो मुझे बहुत आश्चर्य होगा. वैसे हर नेता को लक्ष्य तय करने का अधिकार है.
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Prashant Kishor: देश में लोकसभा चुनाव का पारा चढ़ रहा है लेकिन चुनाव लड़ाने और जिताने में माहिर समझे जाने वाले प्रशांत किशोर इस बार किसी के लिए काम नहीं कर रहे हैं. प्रशांत किशोर यानी पीके इलेक्शन स्ट्रैटजिस्ट का काम छोड़कर बिहार में खुद के चुनाव लड़ने की जमीन तैयार कर रहे हैं. इसके लिए पीके पिछले साल से ही बिहार में जन सुराज यात्रा पर निकले हुए हैं. इस बीच प्रशांत किशोर देश की सियासत में हो रहे बदलावों पर लगातार मुखर हैं. पीके ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में लोकसभा चुनाव, बीजेपी और पीएम मोदी को लेकर अपना आकलन बताया है. खासकर पीएम मोदी के उस दावे के संबंध में जिसमें उन्होंने आने वाले चुनाव में बीजेपी के कम से कम 370 सीटें जीतने की बात कही है.
पीके ने टाइम्स नाउ नवभारत चैनल से बातचीत के दौरान आने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर तमाम बातें कहीं हैं. पढ़िए इस इंटरव्यू के संक्षिप्त-संपादित अंश.
इंटरव्यू में पीके से पूछा गया कि, क्या बीजेपी 370 सीटें जीतने जा रही है?
प्रशांत किशोर इस सवाल का जवाब देते हुए कहते हैं कि, बीजेपी के 370 के लक्ष्य को सच नहीं मानना चाहिए. मुझे इसकी संभावना करीब-करीब जीरो लगती है. अगर ऐसा होता है तो मुझे बहुत आश्चर्य होगा. वैसे हर नेता को लक्ष्य तय करने का अधिकार है. 2014 के बाद 8-9 चुनाव ऐसे हुए जहां बीजेपी अपने लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई है. अगर वो इसे हासिल कर लेती है तो पार्टी के लिए बहुत अच्छा है, नहीं तो पार्टी को इतना विनम्र होना चाहिए कि, वो अपनी गलती स्वीकार कर ले.
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वैसे प्रशांत किशोर ये तो नहीं कह रहे हैं कि, बीजेपी चुनाव नहीं जीतेगी लेकिन बीजेपी 370 सीटें जीतने जा रही है वो इससे सहमत नहीं हैं. आपको बता दें कि, बीजेपी ने आगामी लोकसभा चुनाव में 370 सीटों को जीतने का टारगेट सेट किया है. पार्टी अपने गठबंधन NDA के साथ 400 प्लस सीटें जीतने का दावा कर रही है.
पीएम मोदी को कौन दे सकता है चैलेंज?
इस सवाल का जवाब देते हुए प्रशांत किशोर कहते हैं कि, ‘पांच साल मेहनत करके कोई भी नरेंद्र मोदी को हरा सकता है. हमें ये भ्रम नहीं पालना चाहिए कि मोदी जी अजेय हैं. परिस्थिति विशेष में लोगों को ऐसा लगता है कि, इस नेता को कोइ हरा नहीं सकता. जैसे राजीव गांधी के दौर में भी ऐसा ही लगता था कि, उन्हें हराया नहीं जा सकता लेकिन अंततः वो भी हार गए, तो मोदी जी भी हार सकते हैं.’
पीके आगे कहते हैं कि, ‘हमें चुनाव में जीत को समझने के लिए लोगों की पसंद और उनकी संतुष्टि को देखना होता है. अगर आज के परिदृश्य को देखें, तो देश में मोदी जी को पसंद करने वालों से कहीं ज्यादा संख्या उनसे असन्तुष्ट लोगों की है, क्योंकि पूरे देश में बीजेपी 40 फीसदी से कम लोगों के वोट ही पाने में ही कामयाब रही है, तो आखिर हम ये कैसे कह सकते हैं कि मोदी जी को कोई हर नहीं सकता.’
हालांकि प्रशांत किशोर ने ऐसा कोई नाम नहीं बताया जो मोदी को चुनौती दे सकता है या हरा सकता है. वो मान रहे हैं कि, 2024 में मोदी के लिए चुनौती नहीं है क्योंकि विपक्ष कमजोर है. मोदी, बीजेपी को हराया जा सकता है, इसको समझाने के लिए प्रशांत किशोर कांग्रेस का ही उदाहरण देते हैं. वे कहते हैं, जिस समय देश में कांग्रेस की तूती बोलती थी, उस समय 4 हजार से ज्यादा विधानसभा सीटों में 2500 से लेकर 2700 विधायक कांग्रेस के होते थे. आज के समय में बीजेपी के साथ ऐसा नहीं है. बहुत ज्यादा जोड़ लिया जाए, तो बीजेपी के 1600 से 1700 विधायक होते हैं. लेकिन अब ऐसा बताया जा रहा है कि, आज तक इतना बड़ा लीडर न पैदा हुआ और न पैदा होगा. पीके कहते हैं, हमें सभी बातों को समझते हुए निष्कर्ष निकालना चाहिए.
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प्रशांत किशोर ने 10 साल में लगभग हर पार्टी और उसके नेता के लिए चुनावों में काम किया. 2014 के चुनाव में प्रशांत किशोर ने नरेंद्र मोदी के लिए काम किया था. मोदी की जीत पीके की सक्सेस स्टोरी कही जाती है, जहां से उनका इलेक्शन स्ट्रैटजिस्ट वाला करियर चमका था. हालांकि 10 साल बाद प्रशांत किशोर की मोदी के बारे में राय बदली सी नजर आ रही है.
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