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राजा भैया ने UP राज्यसभा चुनाव में साथ देने का वादा किया पर BJP के लिए फंसता दिख रहा इलेक्शन!

रूपक प्रियदर्शी

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Rajya Sabha Election UP: उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर होने वाला राज्यसभा का चुनाव अब भी फंसा हुआ है. बीजेपी को अभी तक कन्फर्म नहीं है कि, उसका आठवां उम्मीदवार जीतेगा या नहीं, वहीं समाजवादी पार्टी के तीसरे उम्मीदवार का भी जीतना आसान नहीं रह गया है. इसी बीच आज राजा भैया ने खेल कर दिया है. अखिलेश यादव ने दो विधायकों वाली पार्टी जनसत्ता दल के नेता राजा भैया के लिए बढ़िया फील्डिंग लगाई थी. यूपी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल मिलने गए. फोन से अपने नेता अखिलेश यादव से राजा भैया की फोन पर बात भी कराई लेकिन ये सब होते ही बीजेपी ने भी राजा भैया के लिए अपनी फील्डिंग सजा दी. यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी राजा भैया से जाकर मिले फिर राजा भैया सीएम योगी आदित्यनाथ से मिल लिए और वहीं सब खेल हो गया.

राजा भैया ने राज्यसभा चुनाव को लेकर अब फाइनल स्टैंड ले लिया हैं. उनकी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दोनों वोट अब बीजेपी को जा रहे हैं. बीजेपी के लिए हां कहने से पहले राजा भैया मिले बीजेपी के सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओम प्रकाश राजभर से मिले थे. वैसे राजा भैया के बोलने से पहले राजभर ने एलान कर दिया था कि, राजा भैया के NDA के साथ होंगे. इन सबसे अखिलेश यादव हैरान नहीं हैं क्योंकि वे भी जानते हैं कि, सरकार दबाव से सारा काम निकलवा लेती है.

अखिलेश के दाव पर पानी फेर बीजेपी की रह चले राजा भैया

राज्यसभा चुनाव में बीजेपी का समर्थन करके राजा भैया बीजेपी के लिए वाह तो वहीं अखिलेश यादव के लिए आह के पात्र बने हैं. राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के समर्थन का मतलब लोकसभा चुनाव में भी राजा भैया बीजेपी के साथ रहेंगे. जानकारी के मुताबिक, राजा भैया को अपनी पार्टी के लिए कौशांबी और प्रतापगढ़ की लोकसभा सीटें चाहिए थी. कांग्रेस से तय अलायंस फॉर्मूले में दोनों ही सीटें समाजवादी पार्टी के हिस्से में थी इसलिए अखिलेश यादव ने उनसे हां कर दिया था. वैसे बीजेपी ने अभी राजा भैया को कोई भरोसा नहीं दिया. फिर भी राजा भैया ने अब हवा का रुख बीजेपी की ओर कर दिया.

यूपी में राज्यसभा चुनाव क्यों फंसा?

राज्यसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बीजेपी चुनाव जीतने का कोई भी चांस गंवाना नहीं चाहती. सपा और बीजेपी ने अपने-अपने विधायकों से डमी वोटिंग भी कराई और ट्रेनिंग दी कि वोट कैसे क्या करना है जिससे किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी न हो. यूपी में 10 सीटों के लिए चुनाव में 11 उम्मीदवार हैं आठ बीजेपी के और तीन समाजवादी पार्टी के. बीजेपी का सात सीटें जीतना कन्फर्म है. समाजवादी पार्टी की भी दो सीटें जीतना कन्फर्म हैं. वैसे अगर बीजेपी अपना आठवां उम्मीदवार नहीं भी लाती तब भी समाजवादी पार्टी की तीसरी सीट फंसी थी.

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यूपी में एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए 37 सीट चाहिए. समाजवादी पार्टी को तीनों सीटें जीतने के लिए 111 चाहिए लेकिन उसके नंबर बढ़ने की बजाय घट रहे हैं. पहले सपा कोटे से पल्लवी पटेल ने पार्टी के पक्ष में वोट करने से मना कर दिया. फिर बीएसपी सांसद रितेश पांडे के बीजेपी ज्वाइन करने के बाद पूरा चांस है कि, उनके पिता और सपा विधायक राकेश पांडे भी बीजेपी के लिए ही वोट करेंगे. जेल में बंद सपा विधायक इरफान सोलंकी को वोट देने की इजाजत नहीं मिली हैं. वर्तमान में कांग्रेस के विधायकों के समर्थन के बाद भी सपा का नंबर 109 से आगे खिसक ही नहीं रहा.

फिर भी बीजेपी से आगे है सपा!

इन सब तिकड़मों के बाद भी समाजवादी पार्टी का एडवांटेज ये है कि उसे बस दो वोटों का इंतजाम करना है. वहीं बीजेपी को कम से कम 8 वोटों का इंतजाम करना है. यानी बीजेपी ज्यादा फंसी हुई है. बीजेपी को अपने सभी आठ उम्मीदवारों को जिताने के लिए 296 विधायकों के वोट की जरूरत है. अपना दल (सोनेलाल), निषाद पार्टी और सुभासपा के साथ बीजेपी का नंबर 277 है. जयंत चौधरी के नौ विधायक, राजा भैया के दो विधायकों के आने से बीजेपी का नंबर 288 तक पहुंच गया है लेकिन बाकी आठ वोटों का इंतजाम समाजवादी पार्टी में भगदड़ के बिना होना संभव नहीं है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि, आखिर किसके पाले में जाती है ये फंसी हुई सीट.

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