SBI ने चुनाव आयोग को दे दी इलेक्टोरल बॉन्ड की सारी जानकारी, अब तक क्या-क्या पता चला?

संजय शर्मा

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Electoral Bond: भारतीय स्टेट बैंक(SBI) के सीएमडी दिनेश खारा ने आज बताया कि, उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट(SC) के आदेशों का पालन किया है. SC के आदेश पर SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीद-बिक्री, खरीदार के नाम समेत सभी संबंधित जानकारियों की रिपोर्ट तैयार करते हुए इसे निर्धारित समय में चुनाव आयोग को मुहैया करा दिया गया है. यानी सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा चुनाव आयोग को सौंप दिया है. अब इस मामले पर SBI ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए कोर्ट को बताया है कि, इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा ब्योरा इलेक्शन कमिशन को उपलब्ध करा दिया गया है.  

लगभग पांच सालों में बिके 22217 इलेक्टोरल बॉन्ड 

हलफनामे में SBI ने आंकड़ों के जरिए बताया है कि, पहली अप्रैल 2019 के बाद से 15 फरवरी 2024 तक कुल 22217 इलेक्टोरल बॉन्ड्स बिके है. इनमें से 22030 भुना लिए गए है., वहीं 187 बॉन्ड्स का भुगतान नहीं लिया गया. इलेक्टोरल बॉन्ड के नियमों के मुताबिक, जो बॉन्ड भुनाए नहीं जाते है वो 'पीएम रिलीफ फंड' में जमा कर दिए जाते है. बता दें कि, इससे पहले SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी साझा करने की समयसीमा 30 जून तक बढ़ाए जाने की सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी. लेकिन कोर्ट ने SBI की इस याचिका को खारिज कर दिया था और उसे 12 मार्च तक सारी डिटेल चुनाव आयोग के समक्ष साझा करने को कहा था. साथ ही चुनाव आयोग को ये सारी डिटेल 15 मार्च की शाम 5 बजे तक वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा है. 

SC ने इलेक्टोरल बॉन्ड को बताया था असंवैधानिक 

इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को बड़ा फैसला दिया था. चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में बनी SC की संवैधानिक बेंच ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार दे दिया था. चुनावी बॉन्ड को लेकर दाखिल की गई याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए SC ने कहा था कि, यह स्कीम मतदाताओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. अपने फैसले में SC ने ये आदेश भी दिया था कि, 12 अप्रैल 2019 से 6 मार्च 2024 तक राजनैतिक दलों को मिले चंदे की जानकारी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया(SBI) को तीन हफ्ते के भीतर सार्वजानिक करनी होगी. SBI को ये जानकारी 6 मार्च तक इलेक्शन कमिशन को देनी होगी फिर इलेक्शन कमीशन 13 मार्च तक उसकी पूरी जानकारी अपनी वेबसाइट पर पब्लिश करनी होगी. 

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क्या होता है इलेक्टोरल बॉन्ड?

इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से आप किसी भी रजिस्टर्ड राजनीतिक पार्टी को चंदा दे सकते है. दाताओं और प्राप्तकर्ताओं का डाटा गुप्त रहता है. ये बॉन्ड एक निश्चित समय के लिए जारी किए जाते है. इसपर ब्याज नहीं मिलता. ये बॉन्ड एक हजार से लेकर एक करोड़ रुपये तक के होते है. भारतीय स्टेट बैंक इसे जारी करने और भुनाने के लिए अधिकृत बैंक है. ये बॉन्ड जारी करने की तारीख से 15 दिनों तक के लिए वैलिड रहते हैं. लोक प्रतिनिधित्व ऐक्ट 1951 के अनुसार इस बॉन्ड से चंदा सिर्फ वही पार्टियां ले सकती हैं, जिनको पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनावों में कम से कम एक परसेंट वोट मिला हो.
 

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