BJP के दांव की काट राजा भैया! यूपी में अखिलेश के पैंतरे से दिलचस्प हुआ राज्यसभा का चुनाव

रूपक प्रियदर्शी

ADVERTISEMENT

newstak
social share
google news

Rajya Sabha Election: अखिलेश यादव ने थोड़ा नरम होकर और थोड़ा झुककर पिछले 24 घंटे में उत्तर प्रदेश की पूरी राजनीति पलट दी है और बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में जोरदार वापसी की है. पहले पुरानी कहा-सुनी भूलकर राजा भैया के पास जाकर साथ ले आए फिर थोड़ा और झुके तो कांग्रेस के साथ भी गठबंधन भी बच गया. दोनों के साथ रहने से अखिलेश यादव न केवल लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बढ़िया मुकाबला दे पाएंगे बल्कि 27 फरवरी को होने वाले राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को भी पटखनी देने की स्थिति में आ गए हैं.

उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर होने वाले राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने 11वां उम्मीदवार खड़ा करके समाजवादी पार्टी की तीन सीटों पर जीत में रोड़ा अटका दिया है. हालांकि अब ऐसा लग रहा है कि, सपा प्रमुख अखिलेश यादव बीजेपी के बिछाये रोड़े को पार करने में कामयाब हो जाएंगे.

यूपी में राज्यसभा चुनाव का सपा का ये है गणित

समाजवादी पार्टी के राज्यसभा के लिए उम्मीदवार जया बच्चन, आलोक रंजन और रामजी लाल सुमन को जीतने के लिए 37 गुणा तीन यानी 111 विधायक चाहिए. जो नंबर सपा से अभी भी पूरा नहीं हो पा रहा है. प्रदेश में सपा के 108 विधायक हैं. दो विधायकों के जेल में होने से उनके वोट देने पर संकट है. पल्लवी पटेल ने भी वोट देने से मना किया हुआ है. ऐसे में सपा का नंबर 108 से घटकर 105 हो गया है. कांग्रेस के दो और राजा भैया के दो विधायक जोड़ने से ये नंबर 109 तक पहुंच गया है लेकिन अभी भी दो विधायकों की कमी है. वैसे अगर सपा के जेल में बंद दो विधायक और पल्लवी पटेल ने वोट दे दिया तो ये संकट आसानी से दूर हो जाएगा. वहीं सपा के लिए दूसरा विकल्प ये है कि, जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी के नौ विधायकों में टूट हो जाए क्योंकि आरएलडी में तीन विधायक ऐसे है जिनको अखिलेश ने ही आरएलडी के टिकट पर लड़ाया था.

राज्यसभा चुनाव में बीजेपी का गणित

वहीं प्रदेश में बीजेपी के आठ उम्मीदवारों को जीतने के लिए 37 गुणा आठ यानी 296 वोटों की जरूरत है. बीजेपी ने अपना आठवां उम्मीदवार उतार तो दिया है, लेकिन उसे सपा से ज्यादा वोटों की जरूरत है. राजा भैया के सपा के साथ जाने के बाद एनडीए के वोट 285 रह जाएंगे. इस तरह आठवें उम्मीदवार के लिए 11 वोटों की कमी पड़ेगी. एक-एक वोट की इस लड़ाई में बसपा का एकमात्र विधायक क्या करेगा, ये भी बड़ा सवाल बना हुआ है. मायावती के हालिया रुख को देखें तो ये लगता नहीं है कि वो किसी के साथ जाएंगी.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

हिमाचल में भी बीजेपी ने फंसा दिया पेच

नंबर गेम के हिसाब से हिमाचल में कांग्रेस को चुनाव जीतना लगभग तय था. लेकिन बीजेपी ने अपने पास 10 वोट कम होने के बाद भी हर्ष महाजन को चुनाव में उतार दिया. हिमाचल में एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए 35 विधायकों का वोट चाहिए. कांग्रेस के पास 43 विधायकों के वोट होने के बाद भी बीजेपी ने चुनाव में चैलेंज किया है. हालांकि ऐसे में बीजेपी की जीत बिना कांग्रेस में टूट हुए संभव नहीं है.

कर्नाटक में बीजेपी को करिश्मे की उम्मीद

दक्षिण के राज्य कर्नाटक में भी करिश्मे की उम्मीद में बीजेपी ने एक एक्स्ट्रा उम्मीदवार उतारा है. प्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटें जीतने के लिए कांग्रेस के पास 135 वोट हैं, लेकिन दो सीटें जीतने के लिए पांच वोट कम होने के बावजूद भी बीजेपी ने अपने सहयोगी जेडीएस से एक्स्ट्रा उम्मीदवार उतरवाया है. हालांकि बीजेपी की एक सीट पर जीत पक्की है लेकिन पार्टी ने जानबूझकर दूसरे उम्मीदवार को उतारा है.

ADVERTISEMENT

ज्यादातर निर्विरोध ही चुने जाते है राज्यसभा सदस्य

राज्यसभा में नंबर गेम क्लियर होता है. चुनाव से पहले हारने-जीतने वाले को नतीजा पता होता है. इसी से इस बार भी राज्यसभा की 56 में से 41 सीटों के उम्मीदवार निर्विरोध संसद पहुंच गए. सोनिया गांधी, जेपी नड्डा, अश्विनी वैष्णव, अशोक चव्हाण, मिलिंद देवड़ा जैसे 41 उम्मीदवार बिना चुनाव जीत गए. इन 41 सीटों में से बीजेपी को सबसे ज्यादा 20 सीटें हासिल हुई. ऐसा इसलिए हुआ कि, इन सीटों पर कोई दूसरा उम्मीदवार ही नहीं था. नाम वापस की तारीख खत्म होते ही 41 उम्मीदवारों की जीत घोषित कर दी गई. राज्यसभा चुनाव में ऐसा ही होता है. लेकिन यूपी, कर्नाटक और हिमाचल की 15 राज्यसभा सीटों पर चुनाव फंसा ही नहीं बल्कि उलझा हुआ है. अब 27 फरवरी को वोटिंग के बाद ही पता चलेगा की संसद के लिए किसकी लॉटरी निकलती है.

ADVERTISEMENT

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT