कहानी 24 अकबर रोड की, इंदिरा राज में यहीं से लौटा था कांग्रेस का चार्म! नया ऑफिस भी होगा लकी?

देवराज गौर

साल था 1978, जनवरी के कड़ाके की ठंड वाली दिल्ली की एक सुबह. वरिष्ठ पत्रकार राशीद किदवई लिखते हैं कि शोभन सिंह के अलावा नई बनी कांग्रेस (कांग्रेस (आई)) के 20 कर्मचारियों के साथ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 24 अकबर रोड में दाखिल होती हैं. यहां से कहानी शुरू होती है 24 अकबर रोड की.

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कांग्रेस केंद्रीय कार्यालय
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Congress Headquarter: साल था 1978, जनवरी के कड़ाके की ठंड वाली दिल्ली की एक सुबह. वरिष्ठ पत्रकार राशीद किदवई लिखते हैं कि शोभन सिंह के अलावा नई बनी कांग्रेस (कांग्रेस (आई)) के 20 कर्मचारियों के साथ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 24 अकबर रोड में दाखिल होती हैं. यहां से कहानी शुरू होती है 24 अकबर रोड की, जिसमें कांग्रेस ने करीब 5 दशक का सफर तय किया.

राशीद किदवई के मुताबिक अकबर रोड का यह दफ्तर कांग्रेस के लिए मुगल बादशाह अकबर के जीवन जैसा ही रहा. वह सम्राट जो अपने जीवन की शुरुआत में लड़खड़ाया लेकिन बाद में मुगल इतिहास का सबसे मशूहर और ख्यातिप्राप्त बादशाह बना.

ठीक उसी तरह यह दफ्तर भी एक वक्त आपातकाल के बाद बुरी तरह पराजित हुई इंदिरा गांधी की न सिर्फ वापसी का गवाह बना बल्कि कांग्रेस ने यहां से अपना स्वर्णिम दौर भी देखा. अब 24 अकबर रोड कांग्रेस के लिए इतिहास होने जा रहा है.

बीते कई दशकों से 24 अकबर रोड पर स्थित कांग्रेस कार्यालय जनवरी 2023 में नए कार्यालय 9, कोटला रोड स्थित इंदिरा भवन में शिफ्ट होने जा रहा है. नए कांग्रेस कार्यालय का डिजाइन कांग्रेस नेता अहमद पटेल और मोतीलाल वोरा ने तैयार किया था. दोनों ही नेता अब इस दुनिया में नहीं हैं. कोटला रोड स्थित कांग्रेस का नया केंद्राय कार्यालय दीनदयाल मार्ग पर स्थित बीजेपी के केंद्रीय कार्यलय के नजदीक ही है. कांग्रेस पार्टी का नया मुख्यालय छह मंजिला है. इस नई बिल्डिंग में कांग्रेस की सभी ईकाई शिफ्ट हो जाएंगी.

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फिलहाल, 26 अकबर रोड पर कांग्रेस का सेवा दल, 5 रायसीना रोड पर युवा कांग्रेस और एनएसयूआई का कार्यालय है. इन सभी को यहां शिफ्ट कर दिया जाएगा.

मोदी सरकार आने के बाद कांग्रेस कार्यालय खाली करने का दिया था आदेश

2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सत्ता आने के एक साल बाद 2015 में केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की तरफ से कांग्रेस को अपना ऑफिस 24 अकबर रोड से हटाने के लिए कहा गया था. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भवन और भूमि से संबंधित सभी निर्णय शहरी विकास मंत्रालय करता है. शहरी विकास मंत्रालय के अधीन काम करने वाले डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट्स (संपदा निदेशालय) ने कांग्रेस को नए ऑफिस के लिए दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर अपना ऑफिस बनाने के लिए कहा था. लेकिन, कांग्रेस ने अपना ऑफिस वहां न बनाकर कोटला रोड पर बनाने का फैसला किया. जो अब बनकर तैयार है. कांग्रेस अब उसमें अपना केंद्राय कार्यालय शिफ्ट करने की तैयारी कर रही है. जनवरी के दूसरे हफ्ते में कांग्रेस के कार्यालय को शिफ्ट करने की योजना है.

कब-कब बदला है कांग्रेस कार्यालय?

ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस का पहला मुख्यालय स्वराज भवन इलाहाबाद (प्रयागराज) में था. जब देश को आजादी मिली तो इसे 7, जंतर मतर मार्ग, दिल्ली में शिफ्ट कर दिया गया. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब नई कांग्रेस का गठन किया तब इसका मुख्यालय 24 अकबर रोड पर पर साल 1978 में शिफ्ट हुआ. तब से लेकर अब तक यही कांग्रेस का मुख्यालय रहा है. 24 अकबर रोड पिछले 45 सालों में कांग्रेस के उतार-चढ़ावों का साक्षी रहा है. यह दफ्तर देश के चार प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह समेत सात पार्टी अध्यक्षों इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव, सीताराम केसरी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यकाल का गवाह रहा है.

मोदी काल में कांग्रेस का कार्यालय खाली करने के लिए कहा गया

2010 में कांग्रेस शासन में ही कांग्रेस ने अपना केंद्रीय कार्यालय बदलने का निर्णय ले लिया था. इसके लिए 2010 में कांग्रेस को 9ए एवेन्यू पर ऑफिस बनाने के लिए जमीन भी दी गई थी. लेकिन, इसे मूर्तरूप नहीं दिया जा सका. बाद में बीजेपी सरकार आने के बाद 2015 में कांग्रेस को चार प्रॉपर्टी खाली करने को कहा गया. जिसमें 24 अकबर रोड पर स्थित कांग्रेस के केंद्रीय कार्यालय के अलावा 26 अकबर रोड पर स्थित कांग्रेस सेवादल का ऑफिस, 5 रायसीना रोड पर स्थित इंडियन यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई का ऑफिस और C2/109 चाणक्यपुरी में स्थित फ्लैट था. चाणक्यपुरी स्थित इस फ्लैट में सोनिया गांधी के सचिव विंसैंट जॉर्ज रहा करते थे.

सरकारी आवासों को खाली कराने के लिए मोदी सरकार लेकर आई कानून

फिर साल 2018 में मंत्रालय ने प्रॉपर्टी खाली करने का प्रपोजल कैबिनेट कमेटी के सामने रखा. 2019 में कैबिनेट कमेटी ने चुनावों को देखते हुए प्रपोजल को टाल दिया. 2020 में प्रॉपर्टी खाली करने का दूसरा प्रपोजल कैबिनेट कमेटी के सामने रखा गया था. 2019 में आवासन और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 8 जुलाई, 2019 को लोकसभा में सार्वजनिक परिसर (अनाधिकृत कब्जा करने वालों की बेदखली) संशोधन बिल, 2019 पेश किया था. जिसके तहत सार्वजनिक स्थलों से अनधिकृत कब्जा करने वालों की बेदखली का प्रावधान है. इस कानून के तहत कई और सांसदों और मंत्रियों के आवासों को खाली करवाया गया है.

अब जबकि नए साल में कांग्रेस नए दफ्तर में जाएगी, तो यह देखना रोचक होगा कि क्या ये ऑफिस भी पार्टी के लिए 24 अकबर रोड की तरह लकी साबित होगा या नहीं? यह देखने के लिए ज्यादा इंतजार भी नहीं करना होगा, क्योंकि 2024 का लोकसभा चुनाव अब करीब है और जल्द ही पता चल जाएगा कि नए दफ्तर का ‘तिलिस्म’ कांग्रेस के लिए काम करता है या नहीं.

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