कहानी पहलवान विनेश फोगाट की जिनके लिए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को कहा ‘निष्ठुर’

अभिषेक

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Vinesh Phogat
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Vinesh Phogat: देश की दिग्गज रेसलर विनेश फोगाट ने शनिवार शाम को खुद को मिले मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड और अर्जुन पुरस्कार को दिल्ली के कर्तव्य पथ पर छोड़ दिया. दरअसल विनेश अपने मेडल प्रधानमंत्री को सौंपने प्रधानमंत्री ऑफिस जा रही थी तभी दिल्ली पुलिस ने उन्हें रोकते हुए आगे जाने से मना कर दिया तब विनेश ने अपने अवॉर्ड सड़क के किनारे वही छोड़ दिए. देश के सर्वोच्च खेल अवॉर्ड से सम्मानित विनेश फोगाट ने ये अवॉर्ड वापसी इस सप्ताह मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम चिट्ठी लिखने के चार दिन बाद की है. पीएम को लिखी चिट्ठी में उन्होंने लिखा था कि इन पुरस्कारों का मेरी जिंदगी में अब कोई मतलब नहीं रह गया है, मैं मेडल लौटा दूंगी. विनेश से पहले पहलवान बजरंग पूनिया ने भी 22 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखते हुए अपना पद्मश्री अवॉर्ड लौटा दिया था.

आइए आपको विस्तार से बताते हैं क्या है पहलवानों का पूरा मामला और कौन हैं विनेश फोगाट जिन्होंने लौटाए अपने अवॉर्ड.

पहले पहलवानों का पूरा मामला जानिए

पहलवानों के इस कदम के पीछे का पूरा मामला भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह की जीत का है. महिला पहलवानों ने WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. फिर उसके बाद उन्हीं के सहयोगी संजय सिंह WFI के अध्यक्ष चुने गए. इससे आहत होकर महिला पहलवान साक्षी मलिक ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में प्रेस वार्ता करते समय अपने जूतों को मेज पर रख कर कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा कर दी थी. अब एक के बाद एक कई पहलवान उनके समर्थन में अवॉर्ड वापस कर रहे हैं.

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विनेश फोगाट भी उन पहलवानों में शामिल थीं जिन्होंने बीजेपी सांसद और तत्कालीन भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन और मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. विनेश पहलवानों के धरने में शामिल भी हुई थी. विनेश, साक्षी और अन्य महिला पहलवानों की मांग ये थी कि भारतीय कुश्ती संघ की अध्यक्ष एक महिला होना चाहिए, जिससे महिलाओं के खिलाफ शोषण पर लगाम लगाई जा सके. लेकिन बृजभू्षण के सहयोगी के ही भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बनने के बाद पहलवान साक्षी ने संन्यास ले लिया. साक्षी के समर्थन में विनेश ने भी खुद को मिले राष्ट्रीय पुरस्कार वापस करने का निर्णय लिया.

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Vinesh Phogat with Sakshi Malik
Vinesh Phogat with Sakshi Malik

कौन हैं विनेश फोगाट?

विनेश फोगाट हरियाणा के भिवानी जिले के बलाली गांव के पहलवान घराने से संबंध रखती है. बचपन में ही उनके पिता राजपाल की हत्या कर दी गई, जिसके बाद उन्होंने अपने चाचा महावीर सिंह फोगाट से कुश्ती के गुर सीखा. बता दें कि महावीर फोगाट, भारतीय कुश्ती में कीर्तिमान स्थापित करने वाली महिला पहलवान गीता फोगाट और बबीता फोगाट के पिता हैं. उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार भी मिल चुका है.

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बताया ये जाता है कि पहलवानों के परिवार में जन्मी विनेश का मन शुरुआत में कुश्ती में बिल्कुल नहीं लगता था. बाद में अपनी चचेरी बहनों गीता और बबीता को देख कर उन्होंने भी अखाड़े में कदम रखा. फिर क्या था विनेश ने अपनी पारिवारिक विरासत को बखूबी आगे बढ़ाया. उन्होंने देश के लिए अन्तराष्ट्रीय स्तर पर एक के बाद एक कई मेडल जीते.

कैसा रहा है करियर?

विनेश ने साल 2013 में दिल्ली में आयोजित एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में 52 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक जीता था. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. विनेश दो बार की ओलंपियन रही हैं. उन्होंने अबतक के करियर में राष्ट्रमंडल खेलों में तीन स्वर्ण, विश्व चैंपियनशिप में दो कांस्य पदक और एशियाई खेल में एक स्वर्ण पदक अपने नाम किए हैं.

विनेश के रेसलिंग में उत्कृष्ठ प्रदर्शन के लिए साल 2016 में अर्जुन अवॉर्ड और साल 2020 में देश का सर्वोच्च खेल पुरस्कार ‘खेल रत्न’ से सम्मानित किया गया था.

विनेश के कुछ प्रमुख जीते अवार्डों की लिस्ट ये है-

स्वर्ण: 2021 एशियाई चैंपियनशिप
कांस्य: 2020 एशियाई चैम्पियनशिप
कांस्य: 2019 विश्व चैंपियनशिप
कांस्य: 2019 एशियाई चैम्पियनशिप
स्वर्ण: 2018 एशियाई खेल
स्वर्ण: 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स
स्वर्ण: 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स
रजत: 2018 एशियाई चैंपियनशिप
कांस्य: 2016 एशियाई चैम्पियनशिप
रजत: 2015 एशियाई चैंपियनशिप
कांस्य: 2014 एशियाई खेल
रजत: 2013 राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप

विनेश के इस कदम पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए सोशल मीडिया एक्स (ट्विटर) पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि, देश की हर बेटी के लिये आत्मसम्मान पहले है, अन्य कोई भी पदक या सम्मान उसके बाद. आज क्या एक ‘घोषित बाहुबली’ से मिलने वाले ‘राजनीतिक फायदे’ की कीमत इन बहादुर बेटियों के आंसुओं से अधिक हो गई? प्रधानमंत्री राष्ट्र का अभिभावक होता है, उसकी ऐसी निष्ठुरता देख पीड़ा होती है.

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