आर्टिकल 370 हटा जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने का फैसला बरकरार, सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने अनुच्छेद 370 को एक अस्थायी प्रबंध बताया और इसके यह भी निर्देश दिया कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाए जाए
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Supreme Court verdict on Article 370: जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जा देने वाले संविधान के आर्टिकल 370 को हटाने के खिलाफ दर्ज याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुना दिया है. इस फैसले में सर्वसम्मत से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा है. SC ने अनुच्छेद 370 को एक अस्थायी प्रबंध बताते हुए लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग करने के फैसले को वैध बताया. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाए जाएं ताकि सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर की विधान सभा में चुनाव हो सके.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था।" https://t.co/Q4hodtFrQE
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 11, 2023
मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, ‘जब जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा का अस्तित्व समाप्त हो गया, तो जिस विशेष स्थिति के लिए अनुच्छेद 370 लागू किया गया था उसका भी अस्तित्व समाप्त हो गया. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए संवैधानिक आदेश जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति के इस्तेमाल को भी SC ने वैध माना. SC ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाने पर कोई आपत्ति नहीं थी और भारतीय संविधान के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू हो सकते हैं.
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CJI से सहमति जताते हुए न्यायमूर्ति एस. के. कौल ने अपने फैसले में कहा कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर की स्थिति को धीरे-धीरे देश के अन्य राज्यों के समान करना था.
पीएम मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए स्वागत किया. उन्होंने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की जनता को आश्वस्त कराया कि सरकार उनके सपनों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.
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Today's Supreme Court verdict on the abrogation of Article 370 is historic and constitutionally upholds the decision taken by the Parliament of India on 5th August 2019; it is a resounding declaration of hope, progress and unity for our sisters and brothers in Jammu, Kashmir and…
— Narendra Modi (@narendramodi) December 11, 2023
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साल 2019 में केंद्र सरकार ने एक बिल लाकर संविधान से आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया था और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था. कश्मीर की कई पार्टियों, एनजीओ और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध करते हुए इसकी संवैधानिकता पर सवाल उठाया था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं डाली थी जिसपर SC ने आज फैसला दिया.
क्या है अनुच्छेद 370 से जुड़ा पूरा मामला?
पांच अगस्त 2019 को केंद्र की मोदी सरकार ने भारतीय संविधान से अनुच्छेद 370 और 35A को खत्म कर दिया जो जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे से संबंधित था. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया. लेकिन, कश्मीर की कई पार्टियों, एनजीओ और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसपर विरोध जताते हुए सरकार के इस कदम की संवैधानिकता पर सवाल उठाया था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं डाल कर इस फैसले को चुनौती दी थी.
इसका इतिहास भी जान लीजिए
देश के बंटवारे के वक्त 1947 में कश्मीर रियासत के राजा हरि सिंह स्वतंत्र रहना चाहते थे. लेकिन बाद में पाकिस्तानी की तरफ से कबायली हमला होने पर वो भारत से मदद चाहते थे जिसके लिए कुछ शर्तों के साथ उन्होंने भारत में शामिल होने पर सहमति जताई थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख अब्दुल्ला ने पांच महीने की बातचीत के बाद 17 अक्टूबर 1949 को अनुच्छेद 370 को संविधान में जोड़ा. वहीं नवंबर 1956 को जम्मू-कश्मीर के अलग संविधान का काम भी पूरा हो गया और 26 जनवरी 1957 से राज्य में विशेष संविधान लागू हुआ. इसी के चलते जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ था.
जम्मू-कश्मीर के पास अलग झंडा और संविधान
विशेष दर्जे को आसान शब्दों में समझें तो देश के बाकी क्षेत्र में लागू कानून जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होते थे. भारत की संसद सिर्फ रक्षा, संचार और विदेश मामलों में ही जम्मू-कश्मीर के लिए कानून बना सकती थी. इसके अलावा कोई और कानून बनाने के लिए उसे राज्य सरकार की इजाजत की जरूरत लेनी होती थी. जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जे के तहत राज्य का अपना अलग झंडा, संविधान और विशेष अधिकार थे. वहीं विधानसभा चुनाव पांच साल में नहीं बल्कि 6 साल में होते थे. वहीं धारा 35A के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में भारत के किसी और राज्य का व्यक्ति प्रॉपर्टी और जमीन नहीं खरीद सकता था.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लंबे समय से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने का वादा करती आ रही थी. यह वादा बीजेपी के मैनिफेस्टो का हिस्सा रहा है. 2019 में दूसरी बार चुनाव जीतकर पीएम मोदी ने सत्ता में जब वापसी की, तो गृहमंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का ऐलान संसद में किया था.
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