कर्नाटक में डीके शिवकुमार के खिलाफ CBI जांच की मंजूरी का फैसला पलटा! क्या है इसका मतलब?

रूपक प्रियदर्शी

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DK Shivkumar ED, CBI
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DK Shivakumar: कर्नाटक के सबसे पावरफुल नेताओं में से एक हैं प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डीके शिव कुमार. कांग्रेस की चुनावी स्ट्रैटजी से से लेकर पार्टी की जीत और सरकार चलाने तक, सबका क्रेडिट डीके शिव कुमार को जाता है. डीके शिव कुमार जब विपक्ष में थे तब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रदेश और केंद्र सरकार से बड़े परेशान रहे. इंफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट (ED), केंद्रीय जांच एंजेंसी (CBI) सब पीछे लगी थी. अब जब कर्नाटक में सरकार पलटी तो डीके को क्लीन चिट की तैयारी हो रही है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक कैबिनेट में डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के खिलाफ चल रही CBI जांच रद्द करने का प्रस्ताव पास हुआ. जिस कैबिनेट बैठक में राहत वाला प्रस्ताव पास हुआ उसमें डीके नहीं आए थे. डीके के खिलाफ ये केस बीजेपी सरकार के समय दर्ज हुआ था. अब सिद्धारमैया सरकार कह रही है कि CBI को केस देना गलत था. डीके शिव कुमार कह रहे हैं कि मुझे कुछ नहीं मालूम. मैं बैठक में ही नहीं था.

बीजेपी की येदुरप्पा सरकार में दर्ज हुआ था केस

कर्नाटक में येदुरप्पा के सीएम रहते डीके शिव कुमार पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज हुआ था. येदुरप्पा सरकार ने CBI को जांच सौंपी थी. डीके ने कर्नाटक हाईकोर्ट से अपील की थी कि सरकार का आदेश रद्द किया जाए लेकिन सरकार बदलने से ठीक पहले अप्रैल में हाईकोर्ट ने ये कहकर अपील खारिज कर दी थी कि CBI ने जांच करीब-करीब पूरी कर ली है. कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करेगा. वैसे इस मामले में 29 नवंबर को फिर से सुनवाई होनी है.

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डीके शिव कुमार देश के सबसे अमीर विधायकों में से हैं. इस साल विधानसभा चुनाव के समय एफिडेविट में उन्होंने अपनी संपत्ति 1414 करोड़ बताई थी. 2018 में उनकी संपत्ति 840 करोड़ थी. 5 साल में नेटवर्थ 68 परसेंट बढ़ गई और डीके भी बहुत ताकतवर हो गए.

डीके के खिलाफ आय से ज्यादा संपत्ति केस सिर्फ 74-75 करोड़ का है. वैसे तो ये भी बहुत बड़ी रकम है, लेकिन डीके की 1414 करोड़ की संपत्ति के मुकाबले बहुत कम है. 2013 से 2018 के बीच आय से ज्यादा संपत्ति पकड़ी गई थी. उन दिनों डीके कर्नाटक के ऊर्जा मंत्री होते थे. 2017 में डीके के घर, दफ्तर समेत 70 ठिकानों पर इनकम टैक्स ने सर्च ऑपरेशन चलाय़ा था. फिर जांच में मनी लॉन्ड्रिंग एंगल के साथ ईडी ने एंट्री ली. 2019 में कर्नाटक की बीजेपी सरकार के कहने पर सीबीआई ने एफआईआर दर्ज करके जांच शुरू की थी जो अब पूरी होने के करीब है.

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डीके से मिलने सोनिया गई थीं तिहाड़

पिछले कुछ सालों में डीके कांग्रेस के लिए संकटमोचक बनकर उभरे. सोनिया गांधी ने हमेशा डीके की साइड ली. डीके को जब ईडी ने गिरफ्तार किया था तब सोनिया गांधी उनसे मिलने तिहाड़ जेल तक पहुंच गई थीं. उसी दौर में पी. चिदंबरम भी तिहाड़ जेल में थे, लेकिन उनसे मिलने सोनिया गांधी नहीं जबकि दिवंगत अहमद पटेल सीनियर नेताओं के साथ तिहाड़ गए थे. डीके मानते हैं सोनिया गांधी का जेल में मिलने आना किसी कर्ज से कम नहीं. ऐसे चर्चे हैं इस साल मई में जब सीएम बनने के लिए डीके अड़ गए थे तब सोनिया के कहने पर उन्होंने दावेदारी छोड़ी थी और डिप्टी सीएम बनने के लिए राजी हुए थे.

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डीके ने 2017 में हाईकमान को अपनी काबिलियत दिखाई थी. तब गुजरात में राज्यसभा चुनाव हो रहे थे. कांटे की लड़ाई में डीके शिव कुमार ने गुजरात के कांग्रेस सांसदों को टूटने से बचाने के लिए रिजॉर्ट पॉलिटिक्स की थी. एक भी सांसद टूटने नहीं दिया और अहमद पटेल बीजेपी को हराकर राज्यसभा पहुंच गए थे. माना जाता है कि उसके बाद डीके पर CBI , ED का फंदा कसना तेज हुआ.

शिवकुमार की सांसत बन बैठा है 2020 का केस

2020 से यही वो केस है जिसने डीके की राजनीति को फंसा रखा है. आय से ज्यादा संपत्ति, मनी लॉन्ड्रिंग जैसे केस में डीके को कभी CBI, कभी ED पूछताछ के लिए बुलाती रही है. डीके की बेटी ऐश्वर्या से भी पूछताछ हुई है. सोनिया, राहुल गांधी के खिलाफ ED जिस नेशनल हेरल्ड केस की जांच कर रही उसमें भी डीके से पूछताछ हुई. केस के फेर में डीके बीजेपी के निशाने पर रहते हैं. अब डीके को बचाने के लिए जो हुआ है उससे बीजेपी नाराज भी है और हैरान भी. सरकार ने डीके के लिए रास्ता को क्लियर कर लिया है लेकिन अभी इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि हाईकोर्ट की मंजूरी के बिना होगा कैसे. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया हुआ है कि राज्य सरकारें बिना संबंधित हाईकोर्ट की मंजूरी लिए मौजूदा विधायकों के खिलाफ केस विड्रॉ नहीं कर सकती हैं.

 

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