चुनाव आयोग से मिला उद्धव ठाकरे को नोटिस, बोले- पहले मोदी, शाह पर करो कार्रवाई, जानिए पूरा मामला

रूपक प्रियदर्शी

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Election Commission: महाराष्ट्र में वोटिंग शुरू हो चुकी है. 5 सीटों पर पहले फेज में वोट पड़ चुके हैं. उद्धव की शिवसेना की रैलियों, कार्यक्रमों में जोशीले थीम सॉन्ग बजते हैं लेकिन दो शब्दों के कारण थीम सॉन्ग की चुनाव आयोग से शिकायत हो गई तो आ गया नोटिस. चुनाव आयोग ने नोटिस भेजकर उद्धव ठाकरे की शिवसेना UBT के मशाल सॉन्ग से हिन्दू  और जय भवानी शब्द हटाने का ऑर्डर कर दिया है. उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग का ऑर्डर मानने से साफ इनकार कर दिया है. 

शिवसेना बाला साहेब ठाकरे ने बनाई थी जिसकी राजनीतिक विरासत उद्धव ठाकरे को मिली. उद्धव ठाकरे को झटका दिया शिवसैनिक एकनाथ शिंदे ने. बीजेपी के समर्थन से शिंदे ने पहली शिवसेना के विधायक, सांसद तोड़े. फिर चुनाव आयोग के सामने शिवसेना का नाम और सिंबल पर दावा ठोंक दिया.

चुनाव आयोग ने शिंदे को बाला साहेब वाली शिवसेना का पूरा हक तो नहीं दिया लेकिन उद्धव ठाकरे के हाथ खाली हो गए. चुनाव आयोग ने शिवसेना अलग-अलग नाम और सिंबल के साथ शिंदे और उद्धव में बांट दी. सुप्रीम कोर्ट में भी उद्धव ठाकरे हार गए.

शिवसेना विभाजन के बाद उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना UBT कहलाती है. चुनाव आयोग से मिला सिंबल मशाल है. उद्धव गुट ने चुनाव प्रचार के लिए पार्टी का मशाल सॉन्ग बनाया है जिसमें हिन्दू  और भवानी शब्द का जिक्र है. हिंदू धर्म में भवानी देवी को कहा जाता है. उद्धव ठाकरे कह रहे हैं कि अगर चुनाव में बजरंग बली, राम का जिक्र हो सकता है तो भवानी का क्यों नहीं. चुनाव आयोग को कार्रवाई ही करनी है तो पीएम मोदी और अमित शाह पर करे.

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उद्धव ठाकरे की दलील है कि तुलजा भवानी महाराष्ट्र की कुल देवी है. भवानी शब्द हटाने का आदेश तुलजा भवानी का अपमान है जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. 17 अप्रैल 2024 को उद्धव ठाकरे ने 58 सेकंड का मशाल सॉन्ग लॉन्च किया था. कहा गया  तानाशाही के खिलाफ शिवसेना की मशाल जलेगी.

मशाल सॉन्ग को महाराष्ट्र के घर-घर तक ले जाने की कोशिश है जो शिवसैनिकों में जोश जगाएगा. सॉन्ग में मशाल लिए परिवार की तीन पीढ़ी बालासाहेब, उद्धव और आदित्य ठाकरे भी दिखते हैं. अंत में शिवसेना समर्थक जय भवानी का नारा लगाते हुए सुने जाते हैं. 

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अलग नाम और सिंबल के साथ शिंदे और उद्धव में बांट दी. सुप्रीम कोर्ट में भी उद्धव ठाकरे हार गए. 

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चुनाव आयोग ने केस बनाया है कि धर्म के नाम पर वोट नहीं मांग सकते. अब चुनाव आयोग को तय करना होगा कि आगे क्या करें. शिवसेना और बाला साहेब ठाकरे बरसों से चल रहे इस नियम के भुक्तभोगी रहे हैं. धार्मिक नारेबाजी के कारण 2000 में बाला साहेब की गिरफ्तारी भी हुई थी. 1999 में वोट देने और चुनाव लड़ने पर 6 साल का बैन भी लगा था. 2005 में बैन खत्म होने पर उन्होंने बीएमसी चुनाव में पहली बार वोट डाला था. हालांकि देश में बीजेपी की सरकार हुआ करती थी. शिवसेना बीजेपी की सहयोगी पार्टी भी थी.

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