Explainer: अमेरिका में शटडाउन लागू, क्या होता है ये, इसका इकोनॉमी पर कितना असर पड़ेगा?
अमेरिकी सीनेट में फंडिंग बिल पास न होने से शटडाउन लागू हो गया है. यह 1981 के बाद 15वां मौका है. इससे लाखों सरकारी कर्मचारियों को बिना वेतन छुट्टी मिलेगी. शटडाउन खत्म करने के लिए पार्टियों को सहमति बनानी होगी.

अमेरिकी सीनेट में फंडिंग बिल पास नहीं हो पाने के कारण देश में 'शटडाउन' लागू हो गया है. ट्रंप की पार्टी इस महत्वपूर्ण बिल को पास कराने के लिए जरूरी 60 वोट नहीं जुटा पाई और प्रस्ताव गिर गया. उन्हें सिर्फ 55 वोट ही मिले. 1981 के बाद 15वां मौका है जब अमेरिका में शटडाउन की स्थिति बनी है.
इस संकट से सरकारी कामकाज ठप होने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था और आम जनजीवन पर गहरा असर पड़ने की आशंका है. सितंबर की जॉब रिपोर्ट प्रकाशित नहीं होगी, हवाई यात्रा में देरी होगी, वैज्ञानिक अनुसंधान रुक जाएंगे, और लाखों सरकारी कर्मचारियों को बिना वेतन छुट्टी पर भेजा जाएगा. आइए आज के एक्सप्लेनर में जानते हैं कि यह शटडाउन क्यों हुआ और इसका क्या प्रभाव होगा.
क्या होता है शटडाउन?
शटडाउन का मतलब है – सरकार के पास खर्च करने के लिए फंड न होना. अमेरिका में हर साल संसद (कांग्रेस) को बजट पास करना होता है. अगर तय समय तक बजट पास नहीं होता तो सरकारी एजेंसियों के पास पैसे खत्म हो जाते हैं. ऐसे में उन्हें अस्थायी रूप से काम रोकना पड़ता है. ऐसेस में गैर-जरूरी सेवाएं और ऑफिस बंद हो जाते हैं. इसे ही शटडाउन कहते हैं.
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मंगलवार को सात वीक के लिए ट्रंप सरकार की फंडिग बढाने के लिए सीनेट(संसद) में प्रस्ताव पेश किया गया. जिस पर सहमति नहीं पाई है. इसके पक्ष में 55 और विपक्ष में 45 वोट पड़े. इस बिल को पारित करने के लिए कम से कम 60 वोट चाहिए थे. इसके बाद व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर शटडाउन के लिए काउंटडाउन Clock चलाई गई. कुछ देर बाद शटडाउन हो गया.
अमेरिका में पहले भी हुए हैं शटडाउन
- 2018: 34 दिन (ट्रंप)
- 2013: 16 दिन (ओबामा)
- 1995: 21 दिन (क्लिंटन)
- 1978: 17 दिन (कार्टर)
शटडाउन की वजह क्या है?
अमेरिका में प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए 12 वित्तीय विधेयकों को मंजूरी देना जरूरी होता है. अगर ये बिल समय पर पास नहीं होते तो सरकार के पास कामकाज चलाने के लिए धन नहीं बचता, जिससे शटडाउन की नौबत आती है.
इस बार डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टियों के बीच बजट और नीतिगत मुद्दों पर सहमति न बन पाने के कारण यह स्थिति बनी. डेमोक्रेट्स ने अफोर्डेबल केयर एक्ट की सब्सिडी बढ़ाने और मेडिकेड में कटौती वापस लेने की मांग की, जबकि रिपब्लिकन चाहते हैं कि इन मुद्दों पर अलग से चर्चा हो. इसी विरोधाभास के कारण प्रस्ताव पास नहीं हो पाया.
शटडाउन से क्या असर पड़ेगा?
शटडाउन का असर आम नागरिकों से लेकर देश की अर्थव्यवस्था तक सब पर पड़ेगा. लाखों कर्मचारियों को या तो बिना वेतन के काम करना पड़ेगा या उन्हें अस्थायी छुट्टी पर भेजा जाएगा. सैन्यकर्मी, सीमा सुरक्षा बल और हवाई यातायात नियंत्रक ड्यूटी पर रहेंगे, लेकिन उन्हें शटडाउन खत्म होने तक वेतन नहीं मिलेगा. सितंबर की जॉब रिपोर्ट प्रकाशित नहीं होगी.
नेशनल पार्क, संग्रहालय और अन्य सरकारी स्थल बंद हो जाएंगे, जिससे पर्यटन को नुकसान होगा. टैक्स रिफंड में देरी हो सकती है और एफडीए (खाद्य एवं औषधि प्रशासन) व पर्यावरण संरक्षण एजेंसी जैसे विभागों का काम प्रभावित होगा.
शटडाउन से उपभोक्ता का विश्वास कमजोर होगा, जिससे निवेश में कमी आ सकती है और आर्थिक वृद्धि धीमी हो सकती है. जानकारों का कहना है कि इस शटडाउन के कारण सरकार को रोजाना 40 करोड़ डॉलर का नुकसान होगा. 2018-19 के शटडाउन में अर्थव्यवस्था को 3 खरब डॉलर का नुकसान हुआ था.
किन सेवाओं पर असर नहीं होगा?
- सेना और सुरक्षा एजेंसियां काम करती रहेंगी.
- एयरपोर्ट सुरक्षा, पुलिस, आपातकालीन सेवाएं जारी रहेंगी.
- बुजुर्गों और जरूरतमंदों को मिलने वाली मदद पर असर नहीं पड़ेगा.
इस बार क्या है अलग?
व्हाइट हाउस के प्रबंधन एवं बजट कार्यालय (OMB) ने 24 सितंबर को एक मेमो जारी किया, जिसमें एजेंसियों को कर्मचारियों की बड़े पैमाने पर छंटनी की तैयारी करने को कहा गया है. इस बार छुट्टी पर भेजे गए कर्मचारियों को शटडाउन खत्म होने के बाद भी स्थायी रूप से नौकरी से हटाया जा सकता है, जो पहले के शटडाउन से अलग है. शिक्षा विभाग अपने 90% कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजेगा, जबकि पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) प्रदूषण नियंत्रण के कुछ कार्यों को रोका जाएगा.
शटडाउन कब और कैसे खत्म होगा?
शटडाउन तभी खत्म होगा जब कांग्रेस फंडिंग बिल पास करेगी और राष्ट्रपति उस पर हस्ताक्षर करेंगे. इसके लिए डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टियों को आपसी सहमति बनानी होगी. हालांकि, मौजूदा राजनीतिक तनाव को देखते हुए यह प्रक्रिया जटिल हो सकती है. शटडाउन खत्म होने के बाद कर्मचारियों को पिछला वेतन मिलेगा, क्योंकि 2019 में इसको लेकर एक कानून बनाया गया था.
अर्थव्यवस्था पर असर
शटडाउन से आम जनता को कई परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं. टैक्स रिफंड में देरी, सरकारी अनुदान और परमिट रुकने और स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान जैसी समस्याएं सामने आएंगी. लंबे समय तक शटडाउन चलने पर बेरोजगारी बढ़ सकती है और स्टॉक मार्केट पर भी असर पड़ सकता है. उपभोक्ता विश्वास कम होने से आर्थिक मंदी का खतरा बढ़ेगा.
भारत पर संभावित असर
- अमेरिकी अनिश्चितता बढ़ने पर वैश्विक निवेशक सुरक्षित निवेश के रूप में डॉलर की ओर रुख करते हैं, जिससे डॉलर मजबूत होता है और रुपये पर दबाव बढ़ता है, यानी रुपया गिर सकता है.
- ग्लोबल मार्केट में अस्थिरता आने से भारतीय शेयर बाजार भी प्रभावित हो सकता है, हालांकि इसका असर आमतौर पर संक्षिप्त ही रहता है जब तक कि शटडाउन बहुत लंबा न चले.
- यदि शटडाउन लंबा चलता है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था धीमी होती है तो भारतीय आईटी (IT) कंपनियों (जैसे TCS, Infosys) और अन्य भारतीय निर्यातकों की आय पर दबाव आ सकता है.
- अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावास की कुछ गैर-जरूरी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं, जिससे वीज़ा प्रोसेसिंग और इमिग्रेशन सेवाओं में देरी हो सकती है, जिसका असर भारतीय छात्रों और कामगारों पर पड़ सकता है.