राहुल गांधी के आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने लिया बड़ा फैसला? अब बिना E-Sign के वोटर लिस्ट में बदलाव नामुमकिन

Vijay Factor: राहुल गांधी के आरोपों के बाद चुनाव आयोग (ECI) ने वोटर लिस्ट में बड़े बदलाव किए हैं. अब फॉर्म 6, 7 और 8 में किसी भी संशोधन (नाम जोड़ने, हटाने या सुधारने) के लिए 'ई-सिग्नेचर' अनिवार्य कर दिया गया है.

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Vijay Factor: चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट में होने वाली कथित गड़बड़ियों को रोकने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. अब वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने, हटाने या संशोधन के लिए ई-सिग्नेचर (इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर) को अनिवार्य कर दिया गया है. इस बदलाव को कुछ लोग कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोपों के बाद चुनाव आयोग की एक मजबूरी के रूप में देख रहे हैं.

क्या है नया बदलाव?

चुनाव आयोग ने फॉर्म 6 (नाम जोड़ने के लिए), फॉर्म 7 (नाम हटाने के लिए), और फॉर्म 8 (नाम में सुधार के लिए) में एक छोटा लेकिन अहम बदलाव किया है. अब इन फॉर्म्स को सबमिट करते समय 'ई-साइन' यानी इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर अनिवार्य कर दिया गया है. 

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यह ई-साइन प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि फॉर्म भरने वाला व्यक्ति वही है जिसका नाम वोटर लिस्ट में है और उसका आधार नंबर उसके मोबाइल नंबर से जुड़ा हुआ है. जब कोई व्यक्ति फॉर्म भरता है तो यह ई-साइन प्रक्रिया उसे अपने आधार नंबर से ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) जनरेट करने के लिए कहती है.

यह ओटीपी केवल उसी मोबाइल नंबर पर भेजा जाता है जो आधार से लिंक है. इससे फर्जी आईडी और सिम कार्ड का इस्तेमाल करके वोटर लिस्ट में धोखाधड़ी से नाम हटाने या जोड़ने की संभावना खत्म हो जाती है.

क्यों उठाया गया यह कदम?

हाल ही में विपक्षी नेता राहुल गांधी ने वोटर लिस्ट में कथित हेरफेर का मुद्दा उठाया था. उन्होंने विशेष रूप से कर्नाटक की आनंद आलंद विधानसभा सीट का जिक्र करते हुए आरोप लगाया था कि वोटर लिस्ट से हजारों वोटरों के नाम गलत तरीके से हटाए गए. 2023 में भी इस सीट पर 6,000 वोटरों के नाम हटाने की कोशिश का मामला सामने आया था. 

राहुल गांधी के इन आरोपों के बाद सवाल उठा कि क्या चुनाव आयोग ने उनके दबाव में यह कदम उठाया है या फिर पहले से मौजूद कमियों को सुधारने की दिशा में यह एक पहल है. 

राहुल के आरोपों के बाद बदलाव

भले ही चुनाव आयोग ने पहले राहुल गांधी के आरोपों को खारिज कर दिया था. लेकिन इस नए नियम से यह साफ होता है कि आयोग ने आरोपों को गंभीरता से लिया है. अब चाहे यह राहुल गांधी के दबाव में किया गया हो या वोटर लिस्ट की पारदर्शिता को बनाए रखने की एक कोशिश हो. इस बदलाव से वोटर लिस्ट में होने वाली कथित अनियमितताओं पर रोक लगेगी. साथ ही, यह प्रक्रिया मतदाता सूची को अधिक विश्वसनीय और व्यवस्थित बनाएगी.

 

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