2024 के लोकसभा चुनाव में BJP का क्या होगा? प्रशांत किशोर ने राजदीप सरदेसाई से ये बताया

अभिषेक

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Prashant Kishor: राममंदिर के उद्घाटन, बिहार में नीतीश कुमार के पलटने और इसी साल होने वाले लोकसभा के चुनाव के बीच जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने इंडिया टुडे को इंटरव्यू दिया है. इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई को दिए इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने 2024 के लोकसभा चुनाव, विपक्षी गठबंधन INDIA अलायंस की स्थिति और 2024 के चुनाव में बीजेपी का कैसा रहेगा प्रदर्शन जैसे सवालों पर विस्तार से बात की है. आइए आपको बताते हैं प्रशांत किशोर से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

नीतीश को अपने साथ लेने के पीछे बीजेपी की क्या है रणनीति?

प्रशांत किशोर कहते हैं, ‘नीतीश कुमार के इंडिया अलायंस से बीजेपी के साथ जाने का कोई विशेष फायदा नहीं होगा, खासकर बिहार में, लेकिन विपक्षी गठबंधन इंडिया के सूत्रधार को ही अपने साथ मिलाकर बीजेपी ने पूरे देश में एक परसेप्शन बनाने का काम जरूर किया है. हमने देखा है कि, देश में नीतीश की छवि ऐसी बन गई थी कि, वो एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने विपक्ष के दलों को एकसाथ लाने का काम किया. तो बीजेपी इस परसेप्शन को तोड़ने में जरूर कामयाब हुई है.’

‘मुझे नहीं लगता कि बीजेपी नीतीश कुमार को अपने साथ इसलिए लायी है कि वो अपनी सीटें बढ़ा सके. उसका तो नंबर कम ही होगा क्योंकि उसे जेडीयू के साथ सीटें साझा करनी पड़ेंगी, जबकी अगर अकेले लड़ती तो निश्चित तौर पर ज्यादा सीटें आने की संभावनाएं रहती. बीजेपी जेडीयू को अपने साथ 2024 के युद्ध को जीतने के लिए लायी है, भले ही उसे बिहार के चुनाव में नुकसान ही क्यों न उठाना पड़े. बिहार में बीजेपी फ्रन्ट पर खेल रही थी, लेकिन उस बीच पार्टी का ऐसा करना कुल मिलाकर INDIA अलायंस की जमीन को खिसकाना ही है.’

INDIA अलायंस पर क्या है विचार?

प्रशांत किशोर कहते हैं, ‘इसके लिए हमें शुरुआत से समझना होगा. मेरा मानना है कि अलायंस की शुरुआत ही बहुत लेट जून 2023 में हुई जबकि सबको पता था कि 2024 में इलेक्शन होना है. सबको पता है कि सीटों के बंटवारें पर सहमति बनने में समय लगता है चाहे वह कोई भी क्यों न हो. इतना लेट गठबंधन बनने का नतीजा ये हुआ कि, उनके बीच उभर रहे विवादों में ही पूरा समय निकल गया और उसका कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है. अगर यही गठबंधन 2021 या 2022 में हुआ होता तो सभी को पर्याप्त समय मिलता. गठबंधन के दल जनता के बीच जाते, अपना एक नैरेटिव बनाते और चुनाव में एक एजेंडे के तहत बीजेपी के सामने आते, उन्हें बीजेपी के नैरेटिव पर चलने की जरूरत नहीं पड़ती. लेकिन अभी तो सिचूऐशन ये है कि, पूरा विपक्ष बीजेपी के बनाए पिच पर खेल रहा है.’

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BJP का अबकी बार 400 पार नारा हकीकत के कितने करीब?

प्रशांत किशोर इस बात पर कहते हैं कि, ‘देखिए ये कोई खेल नहीं चल रहा है कि जो बोलो वो हो जाए. वैसे 400 सीटें लाना कोई आसान काम है भी नहीं. सीटों का दावा करना किसी भी राजनीतिक दल के गेमप्लान का हिस्सा होता है. इससे उसके पक्ष में माहौल बनता है. कुल मिलाकर ये एक मनोवैज्ञानिक दबाव होता है जो चुनाव पूर्व विपक्षी दलों पर बनाया जाता है जिससे उनके मनोबल में गिरावट हो. बीजेपी इसी के तहत काम कर रही है.’

2024 में बीजेपी का क्या है प्लान?

प्रशांत कहते हैं, ‘आपको हमको पता नहीं चलेगा लेकिन बीजेपी ने अपने अभियान की शुरुआत कर दी है. बीजेपी का उत्तर और मध्य भारत में तो प्रभुत्व है लेकिन पूर्व में स्थिति कमजोर है. वहीं दक्षिण में तो लगभग नगण्य है. हाल के दिनों में बीजेपी का फोकस कहां है, पीएम मोदी कितनी यात्राएं तमिलनाडु और केरल की कर रहे हैं वो भी बिना किसी चुनावी समय के. अमित शाह किस तरह से तेलंगाना और वेस्ट बंगाल में पार्टी को तैयार कर रहे हैं. बीजेपी के पास सबसे उत्तम चुनावी मशीनरी है और वो उसका उपयोग अपने कमजोर क्षेत्रों में कर रही है. विपक्ष अपने मजबूत क्षेत्रों में ही आपसी झगड़ों में उलझा हुआ है. उसे अपने कमजोर क्षेत्रों पर ध्यान देने के लिए वक्त ही नहीं मिल पा रहा है.’

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वह आगे कहते हैं, ‘कुल मिलाकर देखे तो आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी, विपक्ष की तुलना में बहुत आगे दिखाई दे रही है. हाल के दिनों में हुए घटनाक्रम भी उसके पक्ष को और मजबूत करते हैं चाहे वो अयोध्या में बने राम मंदिर में पीएम मोदी के हाथों रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो या फिर बिहार के सीएम और INDIA अलायंस के प्रारम्भिक रणनीतिकार नीतीश कुमार का अलायंस छोड़ बीजेपी के साथ जाना. इन सभी से 2024 के चुनाव में बीजेपी को और फायदा ही मिलने जा रहा है. रही बात 2024 में बीजेपी के प्रदर्शन की तो मुझे लगता है कि, बीजेपी 2019 के अपने प्रदर्शन को बरकरार रख सकती है या उससे थोड़ा अच्छा ही प्रदर्शन कर सकती है.’

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