बीजेपी की लिस्ट में गडकरी का नाम नहीं होने पर, उद्धव ने INDIA से टिकट ऑफर करते हुए कह दी बड़ी बात 

रूपक प्रियदर्शी

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Maharashtra Politics: नितिन गडकरी बीजेपी के ऐसे नेता हैं जिनकी हर चाल, हर बयान और हर तस्वीर पर विपक्ष के नेता नजरें टिकाए रहते है. विपक्षी ये मानते है कि, नितिन गडकरी बीजेपी में बस टाइम काट रहे हैं. उनके पिछले कई बयानों के तरह-तरह के मायने-मतलब निकाले गए. वैसे आपको बता दें कि, गडकरी बीजेपी में पहली पंक्ति वाले नेता माने जाते हैं लेकिन कई मौकों पर वो पहली पंक्ति में दिखते नहीं है. नितिन गडकरी बीजेपी के अध्यक्ष रहे हैं. वर्तमान में वो मोदी सरकार में सड़क परिवहन मंत्रालय के मंत्री हैं. गडकरी मोदी सरकार के सबसे बढ़िया परफॉर्म करने वाले मंत्रियों में आते हैं. लेकिन हाल ही में लोकसभा चुनाव को लेकर आए बीजेपी ने 195 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में नागपुर और नितिन गडकरी दोनों का नाम नहीं आया. 

इसी बात पर मजा लेते हुए उद्धव ठाकरे ने नितिन गडकरी को बड़ा ऑफर दिया हैं. ठाकरे का नितिन गडकरी के लिए मैसेज है कि, दिल्ली के सामने मत झुकिए. बीजेपी छोड़कर महाराष्ट्रविकास अघाड़ी(MVA) यानी महाराष्ट्र के INDIA गठबंधन की ओर से चुनाव लड़िए. गडकरी जी उनको दिखाओ कि महाराष्ट्र क्या है. महाराष्ट्र कभी दिल्ली के आगे नहीं झुका है. वैसे नितिन गडकरी की इमेज ऐसे नेता की है जो कभी बदले की भावना से काम नहीं करते. 

आखिर उद्धव ठाकरे ने क्यों कही ऐसी बात?

ऐसी धारणा बन गई या बना दी गई है कि नितिन गडकरी बीजेपी के असहज नेताओं में से हैं. वैसे उद्धव ठाकरे भी ये बात जानते होंगे कि, नितिन गडकरी ऐसे नेताओं में नहीं हैं जिनको टिकट का ऑफर दे दिया तो टिकट लेने के लिए बीजेपी छोड़कर चले आएंगे. नितिन गडकरी चुनाव लड़ेंगे तो नागपुर से ही लड़ेंगे. फिर भी नागपुर की सीट पर उम्मीदवार का ऐलान नहीं होने से सवाल जरूर खड़े हुए है. उद्धव ठाकरे भी यही कह रहे हैं कि, करप्शन पर आरोपों के बावजूद अगर कृपाशंकर सिंह का नाम मोदी के नाम वाली लिस्ट में आ सकता है तो फिर गडकरी का क्यों नहीं.  

बीजेपी की पहली लिस्ट में उत्तर प्रदेश के जौनपुर से कृपाशंकर सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. जानकारी के मुताबिक कृपाशंकर सिंह पर भ्रष्टाचार के कई आरोप है. 

अपने काम को लेकर चर्चा में रहते हैं गडकरी 

नितिन गडकरी एक पार्टी के नेता नहीं बल्कि पूरे देश के बड़े नेता हैं. कभी बदले की भावना से राजनीति नहीं की है. उनकी खासियत है कि जब भी कोई सांसद उनके पास अपने लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए फंड की मांग करता है, तो बिना सोचे-समझे फंड उपलब्ध कराते हैं. बीजेपी के साथ हमारे वैचारिक मतभेद हैं लेकिन गडकरी साहब के लिए मन में सम्मान है क्योंकि उन्होंने कभी इस रिश्ते में कठोरता नहीं लाई. बदले की भावना से दले की भावना से कभी राजनीति नहीं की)

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नागपुर और गडकरी का कनेक्शन लोकसभा सीट का क्या रहा है इतिहास

नागपुर महाराष्ट्र का तीसरा सबसे बड़ा शहर है. संतरों के कारण ऑरेंज सिटी भी कहा जाता है. महाराष्ट्र का विंटर कैपिटल नागपुर में होता है. RSS का मुख्यालय भी नागपुर में ही है. 2014 और 2019 में नितिन गडकरी ने नागपुर सीट से बड़ी जीत हासिल की थी. अगर अबकी बार भी जीते तो हैट्रिक लगेगी.  वैसे नितिन गडकरी की राजनीति 2009 तक महाराष्ट्र तक ही सीमित थी. बीजेपी ने उन्हें साल 2009 में नागपुर से दिल्ली बुलाकर पार्टी का अध्यक्ष बनाया था. तब वो महाराष्ट्र से सिर्फ विधायक होते थे और महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष थे. तब राष्ट्रीय राजनीति में उनका बड़ा प्रमोशन हुआ था लेकिन 2011 आते-आते गडकरी की राजनीति पलट गई. 

जब गडकरी पर लगे करप्शन के आरोप 

साल 2011 में पूर्ति नाम की नितिन गडकरी की कंपनी पर करप्शन के आरोप लगे. विवाद इतना गहराया कि 2012 के हिमाचल चुनाव में शांता कुमार को कहना पड़ा कि, गडकरी के प्रचार करने से पार्टी को नुकसान होगा. तब बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी को अपना दौरा रद्द करना पड़ा. इन्हीं सब झमेलों से गडकरी को बीजेपी अध्यक्ष पद पर एक्सटेंशन नहीं मिला. 

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हालांकि इन सब के बाद भी बीजेपी नितिन गडकरी के साथ खड़ी रही. नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने वाले 2014 के चुनाव में नितिन गडकरी पहली बार लोकसभा चुनाव में जीते. महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रहते हुए रोड डेवलपमेंट में गडकरी की एक्सपर्ट इमेज बनी थी. यही वजह रही कि मोदी सरकार में उन्हें यही मंत्रालय दिया गया. दो बार की मोदी सरकार में कई मंत्रियों के मंत्रालय आए-गए लेकिन गडकरी पिछले 10 साल से रोड, हाइवे के काम में लगे हुए हैं. 

 

 

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