हरियाणा की 10 सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी में से किसका है पलड़ा भारी? आंकड़ों से समझिए 

News Tak Desk

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Haryana Loksabha Election: हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर एक ही फेज में 25 मई को वोटिंग होनी है. यह चुनाव का छठा फेज होगा. चुनाव के अब तक के पांच चरणों में 427 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है. यहां हम बात हरियाणा की करेंगे जहां इस बार के चुनाव में दिलचस्प लड़ाई देखने को मिल रही है. वैसे तो पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां क्लीन स्वीप यानी 10 में से 10 सीटों पर कब्जा जमाया था लेकिन इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला होता दिख रहा है. हरियाणा में किसान आंदोलन, जाटों के गुस्से और महंगाई-बेरोजगारी के दम पर कांग्रेस, बीजेपी की सीटों में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है. चुनावों पर नजर रखने वाले अमिताभ तिवारी ने हरियाणा में लोकसभा चुनाव को लेकर अपना विश्लेषण किया है. आइए आपको बताते हैं क्या है उनका नजरिया.   

पहले पिछले चुनावों के आंकड़े जानिए 

साल 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 42 फीसदी वोट शेयर के साथ हरियाणा की 10 में से 9 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी-आईएनएलडी गठबंधन को 28 फीसदी वोट शेयर के साथ सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी. साल 2014 आते-आते देश के साथ-साथ हरियाणा के वोटर्स का भी मूड बदलने लगा. बीजेपी ने भजन लाल की पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और 35 फीसदी वोट शेयर के साथ सात सीटों पर कब्जा जमाया. मोदी लहर में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस 19 फीसदी वोट के साथ सिर्फ तीन सीटों पर ही सिमट गई. इस चुनाव में इनेलो और कांग्रेस के बीच वोटों के बंटवारे से बीजेपी को जबरदस्त फायदा मिला था.  

साल 2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जम्मू कश्मीर के पठानकोट में आतंकवादी हमला हुआ था. भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए बालाकोट में एयर स्ट्राइक किया. इसके बाद हुए चुनाव में राष्ट्रवाद के नाम पर बीजेपी को बंपर वोट मिला. यही ट्रेंड हरियाणा में भी देखने को मिला और बीजेपी ने 58 फीसदी वोट शेयर के साथ प्रदेश की सभी 10 सीटों पर कब्जा जमा लिया. इस चुनाव में करीब 42 फीसदी जाटों ने बीजेपी का समर्थन किया था. 

जाट वोटर कर सकते हैं बीजेपी का नुकसान 

हरियाणा में जाट सबसे प्रभावशाली समुदाय है, जिनकी आबादी लगभग 27 फीसदी है. हिसार, भिवानी, महेंद्रगढ़, रोहतक, झज्जर, सोनीपत, सिरसा, जिंद और कैथल को जाट बेल्ट के रूप में जाना जाता है. इन्हीं की बदौलत पिछले 57 सालों में राज्य में 33 साल तक जाट सीएम ने शासन किया है. किसान आंदोलन, अग्निपथ योजना और दिल्ली में महिला पहलवानों के साथ दुर्व्यवहार की वजह से जाट वोटर इस बार नाराज दिख रहे है. इसी को भांपते हुए दुष्यंत चौटाला ने चुनाव से ठीक पहले बीजेपी से अलग हो गए.   
 

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आपको बता दें कि, 2014 के लोकसभा चुनाव में 33 फीसदी जाटों ने बीजेपी का समर्थन किया जो छह महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में गिरकर मात्र 24 फीसदी रह गया. जाटों के बीच असंतोष के कारण ही साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत नहीं मिला पाया और पार्टी को बहुमत से छह सीटे कम आई. सत्ता में आने के लिए बीजेपी ने 10 विधायकों वाली जेजेपी के साथ गठबंधन किया और फिर से सरकार बना ली. बता दें कि हाल ही बने में बीजेपी के नए सीएम नायब सिंह सैनी भी ओबीसी समुदाय से आते हैं.   

आधी आबादी को साधने के प्रयास में है कांग्रेस 

इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस जाट-दलित-मुस्लिम समुदाय के वोटर्स को लुभाने का प्रयास कर रही है जिनकी प्रदेश की आबादी में करीब 50 फीसदी कि हिस्सेदारी है. 7-8 सीटों पर इस समुदाय का दबदबा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में इस समुदाय के 58 फीसदी लोगों ने बीजेपी का समर्थन किया था. कांग्रेस को उम्मीद है कि, पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषण सिंह के खिलाफ भाजपा ने कोई कार्रवाई नहीं की जिससे महिलाओं में नाराजगी है. 2019 में 60 फीसदी महिलाओं ने बीजेपी को वोट किया था. अब कांग्रेस इन्हीं महिला वोटरों को साधने के प्रयास में लगी हुई है.   

विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय पार्टी का वोट काट लेती है क्षेत्रीय पार्टी   

हरियाणा में लोकसभा चुनाव के छह महीने के भीतर ही विधानसभा का चुनाव होता है. विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय पार्टी अपना वोट शेयर क्षेत्रीय पार्टी के हाथों गवाने का एक दिलचस्प चलन है. 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी को लोकसभा चुनावों की तुलना में दो-दो फीसदी वोट शेयर का नुकसान हुआ, जबकि अन्य दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों को चार फीसदी का फायदा हुआ था. बीजेपी को लोकसभा में अपनी बढ़त की तुलना में पांच सीटें गंवानी पड़ी. इनेलो को 3 और अन्य को 2 सीटों का लाभ हुआ. 

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ऐसे ही 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 22 फीसदी वोट शेयर का भारी नुकसान झेलना पड़ा था. बीजेपी के कम हुए वोट शेयर को जेजेपी (10 फीसदी) और अन्य (12 फीसदी) ने हासिल किया था. इस चुनाव में बीजेपी को लोकसभा में अपनी बढ़त की तुलना में 39 सीटों का नुकसान हुआ. इनमें कांग्रेस को 21, जेजेपी को 9, अन्य को 8, और इनेलो को 1 सीट का फायदा हुआ.   

हरियाणा में क्या है सिनेरियो

1- हरियाणा में बीजेपी को कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है और कांग्रेस, बीजेपी को बड़ा झटका देने की तैयारी में है. 
 
2- बीजेपी के रणनीतिकारों को उम्मीद है कि विपक्षी दलों के बीच वोटों के बंटवारे से नुकसान की भरपाई की जा सकेगी. 

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3- 10 साल की सत्ता विरोधी लहर से जूझ रही बीजेपी को विधानसभा चुनाव में सत्ता बरकरार रखने के लिए लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करना पड़ेगा. 
 
4- राज्य विधानसभा चुनाव में बेहतर संभावनाओं के लिए बीजेपी को इस चुनाव में विपक्ष से बेहतर प्रदर्शन करने की जरूरत है क्योंकि इससे बीजेपी को बढ़त मिलेगी.

इस स्टोरी को न्यूजतक के साथ इंटर्नशिप कर रहे IIMC के डिजिटल मीडिया के छात्र राहुल राज ने लिखा है.

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