शशि थरूर की चौथी बार जीतने से रोक पाएंगे राजीव चंद्रशेखर? BJP ने दिया टिकट, जानिए इनकी कहानी
बीजेपी ने केन्द्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर को केरल के तिरुवनंतपुरम सीट से शशि थरूर के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए चुना है.
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Thiruvananthapuram Lok Sabha Seat: बीजेपी ने बीते दो मार्च को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 195 उम्मीदवारों की अपनी पहली लिस्ट जारी की थी. उस लिस्ट में एक नाम केन्द्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर का भी था लेकिन वो खुश हैं या टेंशन में इसपर थोड़ी अड़चन है क्योंकि राजीव चंद्रशेखर ने कभी लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा हैं. वो खांटी पॉलिटिशन भी नहीं हैं. वो राजनीति में आए जरूर लेकिन बीजेपी की उंगुली पकड़कर नहीं क्योंकि वो केरल से आते हैं जहां बीजेपी चुनाव जीत ही नहीं पाती. इतना सब के बाद भी बीजेपी ने राजीव चंद्रशेखर को केरल के तिरुवनंतपुरम सीट से शशि थरूर के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए चुना है.
राजीव चंद्रशेखर और शशि थरूर में कॉमन बात ये है कि, दोनों पेशेवर पॉलिटिशन नहीं रहें हैं. राजीव चंद्रशेखर कम्प्यूटर इंजीनियर रहने के बाद बिजनेसमैन बने फिर पॉलिटिक्स में आए. वहीं शशि थरूर भारत के डिप्लोमेट रहें और यूनाइटेड नेशन में महासचिव का चुनाव लड़ने के बाद पॉलिटिक्स में आकर कांग्रेस ज्वाइन कर लिया था.
पहले जानिए कौन हैं राजीव चंद्रशेखर?
राजीव चंद्रशेखर मोदी सरकार में स्किल, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालयों के राज्यमंत्री हैं. गुजरात के अहमदाबाद में मलयाली परिवार में जन्मे. हालांकि उनका परिवार केरल त्रिशूर का है. विकीपीडिया के मुताबिक उनके पिता एमके चंद्रशेखर वायुसेना में एयर कमोडोर रहे और दिवंगत नेता राजेश पायलट के ट्रेनर रहे. कम्प्यूटर साइंस में मास्टर्स किए चंद्रशेखर ने अपने करियर की शुरूआत अमेरिका में इंटेल कंपनी से की थी. बाद में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट भी किया. भारत लौटकर उन्होंने BPL नाम की कंपनी बनाई जो टेलिकॉम और टेलिविजन कंपनी है. राजीव केरल की सबसे बड़ी मीडिया कंपनी 'एशियानेट' के मालिक हैं. इतना सब करने के बाद राजीव चंद्रशेखर ने राजनीति का रुख किया. वो साल 2018 में बीजेपी के टिकट पर राज्यसभा पहुंचे फिर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने. 2021 से केंद्र सरकार में मंत्री बनने के बाद वो पीएम मोदी के 'डिजिटल इंडिया मिशन' पर काम कर रहे हैं.
तिरुवनंतपुरम सीट पर थरूर लगा चुके हैं हैट्रिक
राजीव चंद्रशेखर को बीजेपी ने पहली बार लोकसभा चुनाव में उतारा है. तिरुवनंतपुरम सीट पर राजीव चंद्रशेखर को उतारकर बीजेपी ने इतना इंतजाम तो कर दिया है कि, शशि थरूर आसानी से चुनाव नहीं जीत पाएंगे. वैसे आपको बता दें कि, शशि थरूर साल 2009 से ही लगातार तीन बार तिरुवनंतपुरम सीट से चुनाव जीत चुके हैं. अभी कांग्रेस ने किसी का टिकट अनाउंस नहीं किया है लेकिन अगर थरूर को चौथी बार भी टिकट मिला, तो वो चौथी बार भी जीतने की कोशिश करेंगे.
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लोकसभा चुनाव | वोट | जीत का अंतर | वोट शेयर |
2019 | 4.16 लाख | एक लाख वोट | 41% |
2014 | 2.97 लाख | 15 हजार वोट | 34% |
2009 | 3.26 लाख | एक लाख वोट | 44% |
केरल का हिसाब-किताब बीजेपी हाईकमान को भी मालूम है. राजीव चंद्रशेखर की फील्डिंग कुछ सोच-समझकर ही की गई है. शशि थरूर के खिलाफ हाईप्रोफाइल उम्मीदवार उतारने का बैकग्राउंड ये है कि, पिछले तीन चुनावों में बीजेपी जीती भले न हो लेकिन तिरुवनंतपुरम सीट पर थरूर को बढ़िया मुकाबला देती रही है.
तिरुवनंतपुरम में टक्कर में रही है बीजेपी
2019 के चुनाव में थरूर की एक लाख वोटों से जीत के बाद भी बीजेपी उम्मीदवार राजाशेखरन को 3 लाख से ज्यादा वोट मिले थे. 2014 में वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे ओ राजगोपाल ने थरूर को बड़ी टक्कर दी थी. करीब 21 परसेंट के वोट शेयर के जंप के साथ राजगोपाल सिर्फ 15 हजार वोटों से हारे थे. उनको 32 परसेंट से ज्यादा और 2 लाख 82 हजार वोट मिले थे. 2009 में बीजेपी के कृष्णा दास सीपीआई, बीएसपी से भी पीछे रहे लेकिन करीब 12 परसेंट पाने में कामयाब रहे थे.
लोकसभा चुनाव | बीजेपी उम्मीदवार | बीजेपी को वोट | बीजेपी का वोट शेयर |
2019 | के राजाशेखरन | 3.16 लाख |
31% ADVERTISEMENT |
2014 | ओ राजगोपाल | 2.82 लाख | 32% |
2004 | पीके प्रसन्न दास | 84094 | 11% |
केरल कांग्रेस का सबसे मजबूत किला है जहां बीजेपी की आजतक दाल नहीं गली. जब पूरे देश में मोदी की लहर चलती है, तब भी केरल में कोई असर नहीं दिखता. मोदी के वक्त में 10 साल की कोशिशों के बाद भी बीजेपी प्रदेश में एक अदद जीत के लिए तरस रही है. इस साल हर महीने पीएम मोदी केरल आकर 'मोदी की गारंटी' का वादा कर रहे हैं लेकिन ओपिनियन पोल या सर्वे में अभी भी बीजेपी की हवा नहीं दिख रही है.
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