फ्री राशन स्कीम में ऐसा क्या चमत्कार है कि बार-बार इसे आगे बढ़ा रही मोदी सरकार?
इस योजना में हर महीने प्रति यूनिट 5 किलोग्राम अनाज मुफ्त दिया जाता है. यह एनएफएसए (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम,2013) के तहत हर महीने मिलने वाले अनाज के अतिरिक्त दिया जाता है.
ADVERTISEMENT

News Tak: प्रधानमंत्री मोदी ने छत्तीसगढ़ में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (आम भाषा में फ्री राशन स्कीम) को अगले पांच साल तक बढ़ाने का ऐलान किया है. इसके लिए सरकार को आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) और वित्त मंत्रालय इसके नकारात्मक परिणामों को बता चुका है. लेकिन, सरकार इसे जारी रखे है. ऐसा क्या चमत्कार है इस योजना में कि सरकार इसे बंद नहीं करना चाहती? आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं.
क्या है फ्री राशन स्कीम?
इस योजना में हर महीने प्रति यूनिट 5 किलोग्राम अनाज मुफ्त दिया जाता है. यह एनएफएसए (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम,2013) के तहत हर महीने मिलने वाले अनाज के अतिरिक्त दिया जाता है. इसमें देशभऱ में एनएफएसए के तहत आने वाली दोनों कैटेगरी यानी अंत्योदय अन्न योजना (AAY) और प्राथमिकता घरेलू (PHH) के करीब 20 करोड़ परिवार यानी 80 करोड़ से ज्यादा लाभार्थी शामिल हैं. यानी इसकी लाभार्थी देश की करीब दो तिहाई आबादी है.
जहां AAY कार्ड धारक बिना किसी शर्त प्रतिमाह 35 किलोग्राम खाद्दान्न के हकदार हैं वहीं PHH कार्डधारक को प्रतिव्यक्ति 5 किलोग्राम अन्न मिलता है. यानी परिवार में जितने ज्यादा व्यक्ति उतना ज्यादा खाद्यान. इस योजना की शुरुआत कोरोना के समय अप्रैल 2020 में की गई थी. इस योजना का मुख्य लक्ष्य कोरोना काल में गरीब जरूरतमंद परिवारों को खाद्द सुरक्षा देना था. कोरोनाकाल में गरीब परिवारों और व्यक्तियों को भूखा न सोना पड़े, इस अवधारणा के साथ इसे शुरू किया गया था. लेकिन, इसके बाद भी इसे जारी रखा गया. कई विश्लेषक इसमें सत्ताधारी पार्टी के राजनीतिक निहितार्थ भी देखते हैं. इसे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के आंकड़ों से समझते हैं.
यह भी पढ़ें...
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज(CSDS) और लोक नीति के सर्वे के मुताबिक यूपी में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की जीत में लाभार्थी फैक्टर भी अहम रहा. फ्री राशन पाने वाले गरीब वोटर्स का 46 फीसदी बीजेपी के पास गया. बहुजन समाज पार्टी (BSP) के पास 16 फीसदी और समाजवादी पार्टी (SP) के पास 32 फीसदी गया. फ्री राशन पाने वाली महिला वोटर्स का 47 फीसदी बीजेपी के पास गया. वहीं SP को 32 और बीएसपी को 14 फीसदी ऐसी महिला लाभार्थियों के वोट गए. यानी बीजेपी को स्पष्ट रूप से एज मिला.
इस योजना को 2022 में गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों से पहले सातवीं बार अक्टूबर से नवंबर तीन महीने के लिए बढ़ाया गया था. उसके बाद इसे फिर एक साल के लिए बढ़ा दिया गया था. यह योजना इस साल के अंत तक खत्म होने वाली थी, इससे पहले सरकार ने इसे फिर 5 साल के लिए बढ़ा दिया है. पिछले साल ही इस स्कीम के बढ़ाए जाने के बाद बीजेपी ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात में अच्छा प्रदर्शन किया था. हालांकि, बीजेपी हिमाचल में हार गई थी. इसके पीछे कांग्रेस पार्टी द्वारा हिमाचल में किए अपने कल्याणकारी वादे भी थे.
मौजूदा चुनावी राज्यों में फ्री राशन स्कीम का कितना असर?
चूंकि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के BPL कार्ड धारकों की संख्या 3 करोड़ 35 लाख से अधिक है. ऐसे में यह योजना भाजपा के चुनावी फायदे के रूप में अहम मानी जा रही है. विशेषज्ञों के अनुसार, सरकारी लाभ कार्यक्रमों और मतदाता व्यवहार के बीच एक संबंध देखा गया है.
CSDS के प्रोफेसर संजय कुमार ने पिछले दिनों दिप्रिंट को बताया था कि “विकास कार्यों पर खर्च किए गए किसी भी पैसे के राजनीतिक निहितार्थ होते हैं, बस लाभ अंतिम उपयोगकर्ता तक पहुंचे.” जो लोग ग्रामीण क्षेत्रों से हैं और जिन्हें लगातार लाभ प्रदान किया जाता है, वह उस राजनीतिक दल के प्रति अपनी आस्था रखने लगते हैं.