भारत की राजनीति में फेसबुक और गूगल को लेकर क्यों छिड़ा विवाद?
INDIA Alliance ने मेटा और गूगल पर लगाए गंभीर आरोप, बताया इनके प्लेटफार्म कर रहे सरकार की मदद और दबा रहे विपक्ष की आवाज. तटस्थता को लेकर लिखा पत्र
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भारत की राजनीति में फेसबुक और गूगल को लेकर बवाल मचा हुआ है. विपक्ष ने इन प्लेटफ़ार्म्स पर पक्षपात का आरोप लगाया है. वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट्स के आधार पर विपक्ष के INDIA अलायंस की ओर से बक़ायदा चिट्ठी भेजी गई है. INDIA अलायंस ने मेटा और अल्फाबेट के CEO जुकरबर्ग और सुंदर पिचाई को संबोधित कर पत्र लिखा है. ख़ासकर 2024 के आने वाले चुनाव का हवाला दिया गया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सांप्रदायिक घृणा फैलाने के अभियान में मदद करने और देश में सामाजिक वैमनस्य को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. उन्होंने यह भी कहां कि ये प्लेटफॉर्म विपक्ष के नेताओं के विचारों को दबा रहे हैं.
Letter by INDIA parties to @Facebook's Mr. Mark Zuckerberg (@finkd) citing the exhaustive investigations by the @washingtonpost that Meta is culpable of abetting social disharmony and inciting communal hatred in India.
[Letter Below] pic.twitter.com/2wnUa5xHbz
— Mallikarjun Kharge (@kharge) October 12, 2023
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क्या है मामला
विपक्षी गठबंधन INDIA ने कहां कि हमारे पास इस बात के सबूत हैं कि ये प्लेटफॉर्म विपक्षी नेताओं के कंटेन्ट को मॉडरेट करते हुए उनकी पहुंच को सीमित कर रहे है. वहीं सत्तारूढ़ दल यानी बीजेपी के कंटेन्ट को बढ़ावा दे रहे है. पत्र में अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट के हालिया खुलासे का भी जिक्र है, जिसमें बताया गया था कि, मेटा भारत में सांप्रदायिक नफरत फैलाने और सामाजिक वैमनस्य को बढ़ावा देने का दोषी है. अलायंस ने तथाकथित गौरक्षक मोनू मानेसर के द्वारा Google के प्लेटफॉर्म यूट्यूब (Youtube) पर मुसलमानों पर हमले को लेकर लाइव स्ट्रीम करने के उदाहरण का जिक्र भी किया.
इंडिया अलायंस ने इस पक्षपातपूर्ण रवैये को भारतीय लोकतंत्र पर हमला करार दिया. उन्होंने इस पर तत्काल गंभीरता पूर्वक कार्यवाही करने की मांग करते हुए कहां कि कंपनियां ये भी सुनिश्चित करें कि प्लेटफॉर्म तटस्थ रहे और इनका इस्तेमाल सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने या भारतीय लोकतंत्र को कमजोर करने में ना किया जा सके.