योगी आदित्यनाथ सरकार ने हलाल सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट्स को किया बैन, क्या होते हैं ये?
हलाल एक अरबी शब्द है. जिसका मतलब होता है कि जिसकी इजाजत या अनुमति हो. यह हराम के उलट होता है. हराम यानी जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती हो या जिस पर रोक लगी हो.
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Halal Certification Ban in Uttar Pradesh: उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने हलाल सर्टिफिकेट से जुड़े खाद्य उत्पादों पर रोक लगा दी है. 18 नवंबर को जारी किए अपने आदेश में सरकार ने हलाल सर्टिफिकेट वाले खाद्य उत्पादों, कास्मेटिक्स या हलाल से संबंधित अन्य किसी भी प्रकार की सर्विस को बनाने, बेचने, भंडारण या वितरण करने पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है. आदेश के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति या संस्था यूपी में किसी भी हलाल सर्टिफिकेट वाली दवा, डेरी उत्पाद, बेकरी उत्पाद, चीनी, नमकीन, खाने वाले तेल को बनाने, भंडारण या फिर खरीद-बिक्री करते हुए पाया गया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. वैसे दूसरे देशों में एक्सपोर्ट होने वाले हलाल प्रोडक्ट्स को इससे बाहर रखा गया है.
इस बैन के पीछे सरकार का तर्क है कि खाद्य उत्पादों के हलाल सर्टिफिकेशन खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 (FSSAI,2006) के समानांतर सिस्टम खड़ा करने की कोशिश करता है. इससे खाद्य पदार्थों की क्वालिटी के बारे में एक कन्फ्यूजन खड़ा होता है. Food Safety and Standards Authority of India (FSSAI) का सेक्शन 89 इसकी इजाजत नहीं देता है. पर आखिर ये हलाल प्रोडक्ट और इसके सर्टिफिकेट होते क्या हैं?
क्या होता है हलाल?
हलाल एक अरबी शब्द है. जिसका मतलब होता है कि जिसकी इजाजत या अनुमति हो. यह हराम के उलट होता है. हराम यानी जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती हो या जिस पर रोक लगी हो. जैसे इस्लाम में सुअर का मांस, शराब को हराम माना जाता है. उर्दू शायरी की मशहूर वेबसाइट rekhta के मुताबिक हलाल का मतलब है, ‘जो इस्लामी धर्म-शास्त्र के अनुसार उचित हो अथवा उसके द्वारा अनुमोदित हो, शरिअत के अनुकूल हो जिसका ग्रहण या भोग उचित हो, जो शरअ या मुसलमानी धर्मपुस्तक के अनुकूल हो, जो हराम न हो, जिस पर प्रतिबंध न हो, विधिविहित, जाएज, वैध.’ हराम इसका उलट होता है. हराम यानी, जो इस्लाम धर्म-शास्त्र में वर्जित या त्याज्य हो.
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क्या नॉन-मीट प्रोडक्ट्स भी हलाल हो सकते हैं?
हलाल और झटका लोकप्रिय शब्द हैं. सामान्यतया इन्हें मीट काटने के तरीके के हिसाब से समझा जाता है. हकीकत यह है कि हलाल का मीट और नॉन-मीट से कोई संबंध नहीं होता है. इसीलिए हलाल प्रोडक्ट्स मीट तक ही सीमित नही रहते हैं.
क्या होता है हलाल सर्टिफिकेशन और कौन देता है?
हलाल सर्टिफिकेट खासकर मुस्लिम समुदाय के लोगों को ये बताते हैं कि वो जो प्रोडक्ट ले रहे हैं वह हलाल है या नहीं. भारत में जितनी भी खाने-पीने की वस्तुएं हैं उन पर एक निशान होता है FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India) का. लेकिन, FSSAI हलाल सर्टिफिकेशन नहीं देती है. भारत के अंदर लगभग एक दर्जन ऐसी निजी संस्थाएं हैं, जो यह सर्टिफिकेट जारी करती हैं. इस्लामिक देशों में इस प्रोसेस में वहां की सरकार खुद शामिल होती है. भारत में ऐसा नहीं है. हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वाली कुछ प्रमुख संस्थाएं…
– हलाल सर्टिफिकेशन सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
– जमियत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट
– हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
– हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया
– हलाल इंडिया
उत्तर प्रदेश सरकार ने क्यों लिया बैन का फैसला
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने यह फैसला कई संस्थाओं के खिलाफ मिली शिकायतों के बाद लिया है. शिकायत में कहा गया था कि हलाल सर्टिफिकेशन का इस्तेमाल लोगों की धार्मिक भावनाओं का गलत इस्तेमाल कर फायदा उठाने के लिए किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश में मेडिकल उपकरणों, कॉस्मेटिक्स और दवाइयों पर हलाल सर्टिफिकेशन का टैग और लेबल चिपका हुआ मिला है. सरकार का कहना है कि भारतीय कानून में इस तरह के प्रोडक्ट्स को बेचने के लिए हलाल सर्टिफिकेशन जैसा कोई प्रावधान नहीं है.
इंडस्ट्री विदेशों खासकर मुस्लिम देशों में खूब फल-फूल रही है. ग्रांड व्यू रिसर्च के मुताबिक ग्लोबल हलाल कॉस्मेटिक मार्केट 2015 में करीब 16 बिलियन डॉलर की थी जिसके 2025 तक 50 बिलियन डॉलर के पार जाने की उम्मीद है.
हलाल सर्टिफिकेशन देने वाली हलाल इंडिया अपनी वेबसाइट पर दावा करती है कि वह किसी भी प्रोडक्ट को लैब टेस्टिंग और कई तरह के ऑडिट के बाद ही हलाल सर्टिफिकेट देती है. हलाल इंडिया के सर्टिफिकेट को कतर, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और मलेशिया जैसे इस्लामिक देशों में मान्यता मिली हुई है.