भाटी सिर्फ चर्चा में ही रहे, दूसरी तरफ इस युवा नेता ने 2.50 लाख से चुनाव जीतकर मचा दी सनसनी!
राजस्थान में लोकसभा सीटों के परिणाम चौंकाने वाले रहे. 6 महीने पहले सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी की. वहीं, बीजेपी को राजस्थान (Rajasthan Lok Sabha Election) में बड़ा झटका लगा. ऐसा ही झटका प्रदेश के दक्षिण हिस्से की बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट पर मिला.
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राजस्थान में लोकसभा सीटों के परिणाम चौंकाने वाले रहे. 6 महीने पहले सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी की. वहीं, बीजेपी को राजस्थान (Rajasthan Lok Sabha Election) में बड़ा झटका लगा. ऐसा ही झटका प्रदेश के दक्षिण हिस्से की बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट पर मिला. जहां कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी से चुनाव लड़ने वाले महेंद्रजीत मालवीया से पार्टी को बड़ी आस थी. लेकिन भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के प्रत्याशी राजकुमार रोत ने उन्हें 2 लाख 47 हजार 54 वोटों से हराया. जहां रोत को 8 लाख से ज्यादा वोट मिले, वहीं मालवीया को 5 लाख 73 हजार 777 को वोट मिले.
दिलचस्प बात यह है कि इस पूरे चुनाव में हॉट सीट बाड़मेर में युवा प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी की काफी चर्चा है. हालांकि पहले लोकसभा चुनाव में भारी मतों के बावजूद भाटी को हार का सामना करना पड़ा. वहीं, अब 31 वर्षीय राजकुमार रोत ने बड़ी जीत के साथ ही खलबली मचा दी है.
क्षेत्र के दिग्गज नेता मालवीया को दी पटखनी
बता दें कि इस चुनाव में बाप पार्टी को कांग्रेस ने समर्थन दे दिया था. बावजूद इसके पार्टी के प्रत्याशी अरविंद डामोर ने पर्चा वापस लेने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद पार्टी ने उन्हें निलंबित भी कर दिया. जबकि कयास लगाए जा रहे थे कि मालवीया के आने से बीजेपी को काफी फायदा होगा. लेकिन रोत की जीत के अंतर ने इन तमाम कयासों से पर्दा हटा दिए. ना सिर्फ बांसवाड़ा सीट, बल्कि बागीदौरा विधानसभा उपचुनाव में भी भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) के जयकृष्ण पटेल को जीत हासिल हुई. जिसके बाद अब मालवीया के राजनैतिक करियर पर भी बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. क्योंकि बागीदौरा सीट से विधायक रह चुके मालवीया का गढ़ भी उनके हाथ से चला गया.
पहले चुनाव में बीजेपी नेता को हराया था चुनाव
छात्र जीवन से एनएसयूआई के जरिए राजनीति में एंट्री लेने वाले राजकुमार रोत साल 2014 में इसके जिलाध्यक्ष बने थे. उन्होंने अपना पहला चुनाव 2018 के डूंगरपुर की चौरासी विधानसभा से लड़ा था. इस चुनाव में रोत भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) से प्रत्याशी थे. तब वह 26 साल के थे. लेकिन साल 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले बीटीपी टूट गई और नई पार्टी बाप का गठन हुआ. इस पार्टी के गठन में रोत की अहम भूमिका था. जिसके बाद 2023 में दूसरा चुनाव जीता.