Hariyali Teej 2024 in Rajasthan: 6 या 7 अगस्त कब है हरियाली तीज? महिलाएं क्यों पहनती हैं हरे कपड़े और चूड़ियां?
Hariyali Teej 2024 in Rajasthan: हरियाली तीज के मौके पर शिव योग बन रहा है. ये शुभ योग सुबह 11:41 बजे से लेकर अगले दिन तक रहेगा.
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Hariyali Teej 2024 in Rajasthan : सावन के महीने में मनाई जाने वाली तीज को हरियाली तीज कहा जाता है. इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए गौर और गणेश की आराधना करती है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज (Hariyali Teej 2024 In hindi) श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस वर्ष यह 7 अगस्त को पड़ रही है.
बता दें कि तृतीया तिथि की शुरुआत 6 अगस्त, 2024 की शाम 7:52 बजे हो रही है. वहीं तृतीया तिथि का समापन 7 अगस्त, 2024 को रात 10:05 बजे हो रहा है. उदयातिथि 7 को है ऐसे में हरियाली तीज (Hartalika Teej 2024 Date and time) इसी दिन मनाई जाएगी. इस बार हरियाली तीज पर शिव योग का भी शुभ संयोग बन रहा है. ये योग सुबह 11:41 बजे से लेकर अगले दिन तक बना रहेगा.
हरियाली तीज का महत्व
ऐसी मान्यता यह है कि हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की उपासना करना श्रेष्ठ होता है. इस दिन जो महिलाएं व्रत रखती हैं उन्हें शिव जी और मां पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है. वहीं शिव-पार्वती के पूजन से सुहागिन महिलाओं को भी अपने पति की दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है.
महिलाएं क्यों पहनती हैं हरी साड़ी और चुड़ियां?
हरियाली तीज के मौके पर सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और वे हरी साड़ियां और हरी चुड़ियां पहनती हैं. इसके अलावा वह हरी बिंदी को भी अपने माथे पर लगाती हैं. दरअसल, हिंदू धर्म में हरे रंग को काफी पवित्र और शुभ माना गया है. इससे मन शांत रहता है और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके अलावा हरा रंग शिवजी को भी बेहद प्रिय है. इसलिए महिलाएं इस रंग के कपड़े और चूड़ियां पहनकर अराधना करती हैं.
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ऐसे करें शिव-पार्वती की पूजा ? (Hariyali Teej Puja Vidhi)
- हरियाली तीज के दिन सबसे पहले महिलाओं को स्नान आदि से निवृत्त होकर सोलह श्रृंगार करना चाहिए.
- फिर हरे कपड़े पहनकर हरतालिका व्रत और पूजा शुरू करने से पहले व्रत का संकल्प लें.
- घर के मंदिर में भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां स्थापित करके उन्हें वस्त्र चढ़ाएं.
- इसके बाद मूर्तियों के माथे पर कुमकुम लगाकर फूल, अक्षत और प्रसाद अर्पित करें.
- फिर मां पार्वती को सोलह श्रृंगार चढ़ाएं और भगवान शिव व देवी पार्वती की षोडशोपचार पूजा शुरू करें.
- इसके बाद सबसे आखिर में हरतालिका व्रत कथा का पाठ करें.