सिक्किम बाढ़ में लापता हुए हवलदार रणजीत सिंह को 8 महीने बाद मिला शहीद का दर्जा, नहीं मिली पार्थिव देह
धौलपुर के इंछापुरा गांव में शहीद हवलदार रंजीत सिंह सिकरवार का उनके पैतृक गांव में राष्ट्रीय सम्मान हुआ.
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सिक्किम बाढ़ आपदा में लापता हुए आर्मी हवलदार रणजीत सिंह सिकरवार (Havildar Ranjit Singh Sikarwar) को आठ महीने बाद शहीद का दर्जा मिला है. धौलपुर (dholpur news) के इंछापुरा गांव के रहने वाले शहीद रणजीत सिंह सिकरवार को उनके पैतृक गांव में सोमवार को सेना के अधिकारीयों ने राष्ट्रीय सम्मान के साथ विदाई दी. इस दौरान एक श्रद्धांजलि सभा का भी आयोजन किया गया जिसमें जिला कलेक्टर श्रीनिधि बीटी, राजाखेड़ा विधायक रोहित बोहरा, पंचायत समिति प्रधान प्रतिनिधि राजकुमार तोमर समेत भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे. लोगों ने शहीद के चित्र पर पुष्प चक्र अर्पित कर सलामी दी.
दरअसल, सिक्किम की तीस्ता नदी में 4 अक्टूबर 2023 की रात को अचानक बाढ़ आ गई थी. जिसमें हलवदार रंजीत सिंह समेत सेना के 23 जवान लापता हो गए थे. चुंगथांग बांध से पानी छोड़े जाने के कारण नीचे की ओर 15 फीट की ऊंचाई तक जल स्तर अचानक बढ़ गया था. इससे सिंगताम के पास बारदांग में खड़े सेना के वाहन प्रभावित हो गए थे.
अभी तक नहीं मिली पार्थिव देह
बाढ़ आपदा में लापता होने के बाद रणजीत सिंह सिकरवार का सुराग नहीं लग पा रहा था. लेकिन आठ महीने बाद सेना ने हवलदार रणजीत सिंह सिकरवार को शहीद घोषित किया है और आज सोमवार को सेना के अधिकारी और सेना की टुकड़ी गांव पहुंच गई. जहां उनके पैतृक गांव में राष्ट्रीय सम्मान के साथ शहीद रणजीत सिंह को भावभीनी विदाई दी गई.
केंद्र-राज्य सरकार से परिजनों को मिलेगा मुआवजा
शहीद के पैतृक गांव में राष्ट्रीय सम्मान के मौके पर युवाओं द्वारा मनियां कस्बे से गांव इंछापुरा तक सेना की टुकड़ी के साथ बाइक रैली निकाली गई. जिसमें भारत माता की जय और जब तक सूरज चांद रहेगा, रंजीत तेरा नाम रहेगा के नारों से आसमान गूंज उठा. अब शहीद के परिवार को केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा सुविधाएं और अनुदान मिलेगा.
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साल 2001 में हुए थे सेना में भर्ती
हवलदार रणजीत सिंह पुत्र कल्याण सिंह निवासी इन्छापुरा तहसील मनियां धौलपुर के रहने वाले थे. वह साल 2001 में सेना में भर्ती हुए थे और 22 साल से सेना में रह कर देश की सेवा कर रहे थे. हवलदार रणजीत सिंह की वीरांगना रेखा और दो पुत्र 24 वर्षीय अंकित सिकरवार एवं 18 वर्षीय अंकुश सिकरवार हैं. हवलदार रणजीत सिंह की चार बहनें हैं जिनकी शादियां हो चुकी हैं. उनके दो भाई हैं जिनमें रणजीत सिंह सबसे बड़े थे. छोटा भाई कोमल गांव में माता पिता के साथ रहकर खेती बाड़ी का काम करता है.
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