जैसलमेरः थार के रेगिस्तान में तीनों सेनाओं ने दिखाई ताकत, टैंक-लड़ाकू विमानों के साथ दिखा ऐसा नजारा
Indian Army joint exercise in jaisalmer: राजस्थान (rajasthan news) में पाकिस्तान की सीमा से सटे हुए जैसलमेर (jaisalmer news) जिले के थार के रेगिस्तानी क्षेत्र में तीनों सेनाओं का संयुक्त अभ्यास “त्रि शक्ति प्रहार” आज से शुरू हो गया है. जो अगले 15 दिन तक चलेगा. इस एक्सरसाइज में भारतीय वायुसेना और विशेष रूप से […]
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Indian Army joint exercise in jaisalmer: राजस्थान (rajasthan news) में पाकिस्तान की सीमा से सटे हुए जैसलमेर (jaisalmer news) जिले के थार के रेगिस्तानी क्षेत्र में तीनों सेनाओं का संयुक्त अभ्यास “त्रि शक्ति प्रहार” आज से शुरू हो गया है. जो अगले 15 दिन तक चलेगा. इस एक्सरसाइज में भारतीय वायुसेना और विशेष रूप से दक्षिण पश्चिमी वायु कमान की क्षमताओं को अन्य दो सेनाओ के साथ प्रदर्शित किया जा रहा है. इस अभ्यास की योजना विश्व में बनी हुई परिस्थितियों के संदर्भ में तीनों सेनाओं के बीच पूर्ण तालमेल के साथ जमीनी और हवाई युद्ध पर ध्यान केंद्रित करने के साथ बनाई गई है.
आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारतीय वायु सेना ने दो अन्य सेनाओं के साथ मिलकर अपनी मारक क्षमता को मजबूत करने और उसमें पैनापन लाने के साथ अपने बेहतरीन युद्व कौशल के प्रदर्शन के लिए की जा रही है. 13 नवम्बर से थार रेगिस्तान में त्रिशक्ति प्रहार एक्सरसाइज करने जा रही है.
क्या है मकसद?
सूत्रों के मूताबिक वर्तमान में विश्व के अन्य क्षेत्रों में बनी हुई युद्ध की परिस्थितियों के संदर्भ में नई रणनीति के तहत अभ्यास किया जा रहा है, इस ट्रेनिंग एक्सरसाइज में,आर्म्ड फोर्सेज में हाल ही में शामिल किए गए नए इकुमेंट्स, हथियार और अन्य साजों सामान को जांचा परखा जाएगा.
युद्धाभ्यास दौरान खुफिया व निगरानी, लंबी दूरी के हमले, सटीक उच्च-मात्रा के हमलों द्वारा दुश्मन के छक्के छुड़ाने सहित एकीकृत वायु-भूमि और संयुक्त हथियार संचालन पर फोकस होगा. साथ ही तेज गतिशीलता और गहरी-स्ट्राइक आक्रामक क्षमताओं जैसी विभिन्न क्षमताओं का प्रदर्शन होगा. इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता भी परखी जाएगी. वर्तमान में कई नए हथियार है, जो इलक्ट्रोनिक तकनीक पर काम करते हैं और युद्ध में बड़ी भूमिका निभाते हैं.
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वैश्विक परिस्थितियों के संदर्भ में हो रहा है अभ्यास
युद्धाभ्यास में मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी/ड्रोन), सटीक-निर्देशित मिसाइलें, लोइटर युद्ध सामग्री, काउंटर-ड्रोन सिस्टम, संचार प्रणाली और स्वचालित स्पेक्ट्रम निगरानी प्रणाली जैसी विशिष्ट टेक्नोलॉजी को कसौटी पर परखा जाएगा. गौरतलब है कि इन दिनों. रुस-युक्रेन के अलावा इजराइल-फिलिस्तीन संकट से भी अनुभव लेते हुए देश की तीनों आर्म्ड सेनाएं इस एक्सरसाइज में हिस्सा ले रही है.