Baghpat Tourism: जिस महल में कौरवों ने पांडवों को जलाने की कोशिश की, उस लाक्षागृह पर खर्च होंगे 1 करोड़

समर्थ श्रीवास्तव

Baghpat Tourism: बागपत के बरनावा गांव स्थित लाक्षागृह, जहां महाभारत काल में कौरवों ने पांडवों को जलाने की कोशिश की थी, अब बनेगा बड़ा पर्यटन स्थल.

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बागपत का ऐतिहासिक लाक्षागृह
बागपत का ऐतिहासिक लाक्षागृह
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उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग ने महाभारत से जुड़े एक पौराणिक और प्रसिद्ध स्थल 'लाक्षागृह' को एक बड़े प्रमुख धार्मिक और पर्यटन केंद्र के रुप में विकसित करने वाली योजना को मंजूरी दे दी है. यह स्थल बागपत जिले के बरनावा गांव(वरणावत) में हिंडन और कृष्णा नदियों के किनारे पर स्थित है, जिसे महाभारत काल में कौरवों द्वारा पांडवों को जिंदा जलाने की नाकाम कोशिश के लिए जाना जाता है. 

1 करोड़ का बजट आवंटित

महाभारत सर्किट के तहत इस परियोजना में पर्यटन को और विकसित करने के लिए 1 करोड़ का बजट तय किया गया है. इस राशि का उपयोग लाक्षागृह को और बेहतर बनाने के लिए किया जाएगा. इस पैसे से लाक्षागृह को और आकर्षक, मूलभूत सुविधाएं से लैश जैसे लाइट की व्यवस्था, साफ-सफाई, पीने के साफ पानी की व्यवस्था और पर्यटकों को दी जाने वाली सुविधाएं दुरुस्त की जाएगी. साथ ही यहां सूचना केंद्र की सुविधा भी डेवलप की जाएगी ताकि वहां आए लोगों को किसी भी परेशानी का सामना ना करना पड़ें.

उत्तर प्रदेश सरकार में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि,"लाक्षागृह महाभारत काल का एक सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो की षड्यंत्र और लचीलापन दोनों का प्रतीक माना जाता है. आगे उन्होंने कहा कि इस स्थल के विकसित करके हम ना केवल सांस्कृतिक विरासत को बचाएगा, बल्कि यह पर्यटन और स्थानीय समृद्धि के नए रास्ते भी खोलेगा.

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कहां है यह ऐतिहासिक स्थल?

लाक्षागृह ऐतिहासिक स्थल बागपत शहर से 35 किमी दूर और दिल्ली-मेरठ राजमार्ग को पास स्थित है. यह स्थान पुरातन काल के अवशेषों को अपने पास समेटे हुआ है. यहां एक टीला मौजूद है, जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित खंडहरों की ओर जाता है. यह वही जगह है जहाँ पांडव और उनकी माता कुंती कौरवों के षड्यंत्र से बच निकले थे. यह स्थल आज भी विद्वानों और भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है, जो इसे भारत के सबसे पुराने महाकाव्यों में से एक से जोड़ता है.

पर्यटकों की पसंद बन रहा बागपत

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बागपत शहर पर्यटन केंद्र में तेजी से पर्यटकों की पसंद बनते जा रहा है. साल 2024 की बात करें तो यहां कुल 17 लाख पर्यटक आए थे और इसी को देखते हुए अधिकारियों का मानना है कि साल 2025 में यह संख्या 20 लाख को पार कर सकती है. दिल्ली और मेरठ से नजदीक होने की वजह से यह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही पर्यटकों के लिए बेहद सुविधाजनक पड़ाव है. लाक्षागृह के अलावा, यहा पुरा महादेव मंदिर और त्रिलोक तीर्थ धाम भी हैं, जो इसे धार्मिक पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाते हैं.

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