नीतीश कुमार चुप हैं मतलब बिहार में खेला होने वाला है?
बिहार में इन दिनों गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा को लेकर सियासत गर्म है. बीजेपी की सहयोगी दल जेडीयू इस यात्रा से खुश नहीं दिखाई पड़ रही है. बिहार में अगले साल चुनाव होने हैं और जेडीयू चुनाव से पहले हर कदम फूंक-फूंककर रखना चाह रही है.
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बिहार में इन दिनों गिरिराज सिंह की हिंदू स्वाभिमान यात्रा को लेकर सियासत गर्म है. बीजेपी की सहयोगी दल जेडीयू इस यात्रा से खुश नहीं दिखाई पड़ रही है. बिहार में अगले साल चुनाव होने हैं और जेडीयू चुनाव से पहले हर कदम फूंक-फूंककर रखना चाह रही है. जेडीयू बार-बार गिरिराज सिंह की यात्रा को लेकर उन्हें नसीहत दे रही है.
गिरिराज सिंह की यात्रा
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की यात्रा से पहले बिहार में जेडीयू-बीजेपी में तकरार दिख रही है. गिरिराज सिंह की यात्रा 18 अक्टूबर से 22 अक्टूबर तक चलने वाली है. सबसे बड़ी बात ये है कि इस यात्रा की शुरुआत गिरिराज सिंह सीमांचल के इलाके से कर रहे हैं. इसकी शुरुआत भागलपुर से हो रही है और समाप्ति किशनगंज में. गिरिराज 18 अक्टूबर को भागलपुर, 19 अक्टूबर को कटिहार, 20 अक्टूबर को पूर्णिया, 21 अक्टूबर को अररिया और 22 अक्टूबर को किशनगंज पहुंचेंगे.
यात्रा पर जेडीयू ने उठाए सवाल
इस यात्रा को लेकर विपक्ष की जगह जेडीयू ने सवाल उठा दिए हैं. जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने यहां तक कह दिया कि गिरिराज सिंह को एक हाथ में संविधान लेकर भी घूमना चाहिए. देश का संविधान जाति धर्म से ऊपर उठकर काम करता है. इतना ही पार्टी के अन्य दिग्गज नेता विजय चौधरी, अशोक चौधरी ने भी सवाल उठाया है. चिराग पासवान की पार्टी ने भी गिरिराज सिंह को नसीहत दी है. अब महत्वपूर्ण बात ये है कि इस यात्रा से जेडीयू को दिक्कत क्यों है. इसके कई कारणों को समझना होगा.
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नीतीश कुमार की सेक्यूलर छवि पर असर
राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप झा मानते हैं कि नीतीश कुमार की राज्य में एक सेक्यूलर छवि है. गिरिराज सिंह की ये यात्रा धार्मिक यात्रा है. पोलाराइजेशन के खतरे को देखते हुए नीतीश कुमार की छवि पर इसका असर पड़ सकता है. नीतीश कुमार के समर्थकों में बड़ी संख्या मुस्लिम वोटरों की भी है. जिसपर असर पड़ सकता है. नीतीश कुमार की पार्टी और खुद नीतीश ये कहते हैं आये हैं कि राज्य में हिंदू-मुस्लिमों में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. मुस्लिम बाहुल्य इलाके से हिंदू स्वाभिमान यात्रा निकालने की वजह से जेडीयू के लिए असहजता की स्थिति है.
सीमांचल में वोट बैंक पर प्रभाव
सीमांचल का इलाका जेडीयू के लिए महत्वपूर्ण रहा है. हालांकि 2024 में जेडीयू के लिए भी परेशानी खड़ी हो गई. सीमांचल के इलाके से जेडीयू को 2 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा. ये सीटें पूर्णिया और कटिहार की सीटें थी. पूर्णिया से संतोष कुशवाहा चुनाव हारे जबकि कटिहर से दुलार चंद्र गोस्वामी को हार मिली. ऐसे में जेडीयू कभी नहीं चाहेगी कि इस क्षेत्र में उसे 2025 के विधानसभा चुनाव में में कोई खतरा उठाना पड़े. क्योंकि एनडीए सीमांचल में अररिया सीट पर ही जीत सकी है.
नीतीश की बड़ी चुप्पी मतलब खेला?
इन दिनों नीतीश कुमार सरकारी कार्यक्रम में शिरकत तो करते हैं लेकिन बोलते कम हैं. सीएम नीतीश मीडिया में भी कम बयान दे रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप झा मानते हैं कि नीतीश जब भी इस तरह की चुप्पी साधते हैं मतलब वो सहयोगी दलों से असहज रहते हैं. ऐसे में गिरिराज सिंह की यात्रा पर नीतीश की चुप्पी किसी बड़े खेल की तरफ इशारा तो नहीं कर रहा है? नीतीश कुमार पहले भी इस तरह चुप्पी साधकर बिहार की सियासत में खेल कर चुके हैं