बिहार: राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा जिन 23 जिलों से गुजरेगी उनकी 50 सीटों क्या है सियासी समीकरण? जानें
बिहार में राहुल गांधी की यात्रा ने सियासी हलचल तेज कर दी है. महागठबंधन को नई ऊर्जा मिलेगी या NDA की चुनौती बढ़ेगी? पढ़ें बिहार की राजनीति पर राहुल गांधी के दौरे का पूरा असर.
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बिहार की सियासत में हलचल मचाने वाली कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा ने रोहतास के सासाराम से 17 अगस्त को शुरुआत कर दी है. इस यात्रा में उनके साथ आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं. ये यात्रा बिहार के 23 जिलों से होकर गुजरने वाली है.
जिन 23 जिलों से 'वोट अधिकार यात्रा' गुजर रही है, उनकी 50 विधानसभा सीटों पर इसका असर देखने को मिल सकता है. कहा जाए तो राहुल गांधी इस यात्रा के जरिए जिन 50 सीटों को साधने की कोशिश करेंगे उनपर साल 2020 में महागठबंधन का प्रदर्शन औसत ही रहा था.
यात्रा का सियासी एंगल
ये यात्रा शाहाबाद, मगध, तिरहुत, कोसी, मिथिलांचल, सीमांचल और अंग यानी 7 बड़े बेल्ट को कवर करने वाली है. इस बेल्ट के 23 जिलों की 50 विधानसभा सीटों पर साल 2020 में महागठबंधन के हिस्से में 23 सीटें आई थीं. कांग्रेस पार्टी ने 20 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जिसमें पार्टी को 8 सीटों पर संतोष करना पड़ा था.
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बिहार में SIR, देश के दूसरे राज्यों के चुनावों में वोट चोरी जैसे मुद्दों को उठा चुके राहुल गांधी 'वोट अधिकार यात्रा' के जरिए इन सीटों को साधने की कोशिश कर रहे हैं. इनके साथ तेजस्वी यादव भी हैं. कुल मिलाकर इंडिया गठबंधन यहां 27 सीटों के नुकसान की भरपाई इस चुनाव में करना चाहेगा. वहीं महागठबंधन को उन 23 सीटों पर भी अपनी साख बचाकर रखना चुनौतीपूर्ण होगा जहां इनके विधायकों के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी है.
लोकसभा चुनाव में 5 सीटें महागठबंधन को मिली थी जीत
लोकसभा चुनाव 2024 में इस इलाके से महागठबंधन ने 5 सीटों पर कब्जा जमाया था. ये सीटें पूर्णिया, कटिहार, औरंगाबाद, सासाराम और किशनगंज हैं. चुनाव से पहले राहुल गांधी ने भारत जोड़ो न्याय यात्रा की थी. माना जा रहा है कि इस यात्रा का असर इन सीटों पर पड़ा था.
इन 30 विधानसभा सीटों ज्यादा फोकस
पूर्णिया, कटिहार, औरंगाबाद, सासाराम और किशनगंज में विधानसभा की 30 सीटें हैं. लोकसभा में इन सीटों पर जनता का विश्वास मिलने के बाद अब महागबंधन का फोकस विधानसभा की इन 30 सीटों पर है.
50 सीटों पर क्या है समीकरण ?
क्षेत्र | जिले | जातियां | 2020 का परिणाम | पिछले चुनाव में कांग्रेस की स्थिति |
अंग | भागलपुर, बांका, खगड़िया, मुंगेर, जमुई और लखीसराय |
यादव और मुस्लिम (MY समीकरण)... RJD का बड़ा वोट बैंक. राजपूत-भूमिहार-ब्राह्मण और वैश्य... BJP/JD(U) का पारंपरिक आधार. दलित और कोइरी/कुशवाहा... स्विंग वोटर, जो माहौल और उम्मीदवार पर निर्भर करते हैं. CPI-ML... खासकर दलित-मुसहर बहुल इलाकों में प्रभावी. अंग क्षेत्र में सीधी टक्कर MY समीकरण बनाम सवर्ण+वैश्य वोट बैंक की रहती है, और दलित+कोइरी वोट जिस ओर झुकते हैं, सत्ता समीकरण उसी के पक्ष में जाता है. |
25 विधानसभा सीटों में महागठबंधन को 7 सीटें मिली थीं. | कांग्रेस 9 पर लड़ी थी और 3 जीती थी. |
मगध | पटना, जहानाबाद, गया, औरंगाबाद, अरवल, नवादा, शेखपुरा और नालंदा |
भूमिहार-राजपूत- औरंगाबाद, पटना, गया में निर्णायक...आमतौर पर बीजेपी की ओर. यादव-मुसलमान- जहानाबाद, अरवल, नवादा, शेखपुरा, पटना (ग्रामीण), गया...RJD का आधार. कुर्मी– नालंदा, पटना ग्रामीण, नवादा... जेडीयू का मजबूत आधार. दलित/मुसहर- गया, औरंगाबाद, जहानाबाद... JDU/लोजपा की ओर झुकाव. |
49 में से 32 सीटों पर महागठबंधन की जीत हुई थी. | कांग्रेस 7 पर लड़ी और 2 पर जीती. |
सीमांचल बिहार | कटिहार, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज |
मुस्लिम वोट बैंक सबसे बड़ा फैक्टर- पूरे बिहार में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी यहीं है. MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण- RJD को मजबूती देता है. AIMIM का उदय- असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने 2020 में यहां 5 सीटें जीती थीं (बाद में टूट गईं, पर असर रहा). NDA का समीकरण- BJP यहां गैर-मुस्लिम (राजपूत, वैश्य, पासवान, कोयरी, कुर्मी) वोटों के सहारे पकड़ बनाने की कोशिश करती है. |
24 सीटों में AIMIM 5 सीटों पर, महागठबंधन-8 सीटों पर और NDA ने 11 सीटों पर जीत दर्ज की. | मुस्लिम बहुल आबादी होने के कारण इस वोट बैंक को साधने की चुनौती. |
कोसी | सहरसा, सुपौल, और मधेपुरा |
कोसी क्षेत्र में यादव वोटर धुरी में हैं. निर्णायक जातीय समीकरण = यादव और मुस्लिम (MY फैक्टर). मुकाबला बराबरी का हो तो EBC- दलित- ऊंची जातियां बैलेंस बिगाड़ देती हैं. |
यहां की 13 विधानसभा सीटों में INDIA गठबंधन को 3 सीटें मिली थीं. | कांग्रेस 0 पर रही. |
मिथिलांचल | सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर और बेगूसराय | मिथिलांचल में राजनीति में सबसे ज्यादा प्रभाव यादव, ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत और मुसलमानों का है, जबकि चुनावी समीकरण में EBC और दलित वोटर निर्णायक माने जाते हैं. | यहां की 46 विधानसभा सीटों में NDA ने 31 जीती थीं. INDIA गठबंधन को 15 सीटों पर संतोष करना पड़ा था. | इसे NDA खासकर BJP का गढ़ माना जाता है. |
शाहाबाद | बक्सर, भोजपुर, रोहतास और कैमूर जिले |
राजपूत और भूमिहार-NDA का मजबूत वोट बैंक. ब्राह्मण- ज्यादातर NDA की तरफ. यादव + मुस्लिम + दलित (MY समीकरण) -RJD/महागठबंधन का आधार. |
22 सीटों में से 2020 में महागठबंधन को 19 सीटें मिली थीं. | कांग्रेस 5 सीटों पर लड़ी थी और 4 पर जीती थी. |
तिरहुत | मुजफ्फरपुर, वैशाली, छपरा, सीवान, गोपालगंज, बेतिया और मोतिहारी |
तिरहुत में RJD का यदव-मुस्लिम. NDA का ब्राह्मण, क्षत्रीय, भूमिहार और वैश्य. दलित कई बार फाइट को रोचक बना देते हैं. |
64 विधानसभा सीटों में से महागठबंधन 24 सीटों पर जीत सका था. | . कांग्रेस 3 सीटें ही जीत पाई थी |
ध्यान देने वाली बात है कि राहुल गांधी राहुल गांधी तिहरहुत की वैशली सीट को छोड़कर बाकी इलाकों को अपनी यात्रा से टच करने वाले हैं. सीमांचल बिहार इलाके के किशनगंज जिले को छोड़कर बाकी जिलों की विधानसभा सीटों पर यात्रा के लिए राहुल गांधी पहुंचेंगे. इस तरह ये अपनी यात्रा के जरिए कुल 50 सीटों को टच करेंगे.
ये है यात्रा का रूट
