Hisab Kitab: विदेशी कोर्ट ने अब किस बात को लेकर 'अदाणी एंड कंपनी' पर उठाए सवाल?
Hisab Kitab: स्विस कोर्ट के फैसले से अदाणी ग्रुप पर एक बार फिर उठे सवाल, बेनामी खातों पर Money Laundering की आशंका और प्रमोटर होल्डिंग्स की जांच पर SEBI की भूमिका सवालों के घेरे में.
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Hisab Kitab: शेयर बाजार की देखरेख करने वाली संस्था SEBI का एक महत्वपूर्ण नियम है कि कंपनियों के प्रमोटर के पास 75% से ज़्यादा शेयर नहीं हो सकते हैं. कम से कम 25% शेयर पब्लिक के पास होने चाहिए ताकि लेनदेन के लिए बाज़ार में पर्याप्त संख्या में शेयर रहें. कम शेयर होने पर भाव बढ़ने की आशंका बनी रहती है. हिंडनबर्ग ने पिछले साल अपनी पहली रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप पर यही आरोप लगाया था कि प्रमोटरों ने विदेशी फंड के ज़रिए अपने ही शेयर खरीदें, 75% की लिमिट तोड़ी और शेयरों के दाम बढ़वाएं.
अदाणी पर किसने उठाए सवाल?
अदाणी ग्रुप ने इन आरोपों का खंडन तो किया ही था. सुप्रीम कोर्ट ने SEBI की जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाई थी. इस केस में SEBI के हाथ कुछ नहीं लगा. कमेटी की रिपोर्ट को भी एक तरह से ‘क्लिन चिट’ कहकर प्रचारित किया गया था. अब स्विट्जरलैंड के सबसे बड़े कोर्ट के फैसले से अदाणी ग्रुप पर फिर से सवाल खड़े हो गए हैं. कोर्ट ने अदाणी की तरफ से खाते चलाने के आरोपी बेनामी व्यक्ति की अपील खारिज कर दी. उसकी अपील थी कि बेनामी खातों पर फ़्रीज हटा दिया जाएं. इसमें करीब 2600 करोड़ रुपए हैं. स्विस अधिकारियों को इन खातों में Money Laundering की आशंका है. उन्हें लगता है कि इन खातों का असली मालिक कोई और है.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से पहले चल रहा था स्विस बैंक में केस
The Morning Context के मुताबिक स्विस बैंक का केस हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने से पहले से चल रहा था. बेनामी व्यक्ति लोन मांगने गया था. लोन के बदले फंड गिरवी रख रहा था. बैंक को शक हुआ. फंड ब्रिटिश वर्जीनिया आइलैंड और बरमूडा का था. इन फंड का ज़्यादातर पैसा अदाणी ग्रुप के शेयरों में था.स्विस अधिकारियों ने दिसंबर 2021 में बेनामी व्यक्ति पर केस चलाना शुरू किया. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आयी पिछले साल जनवरी में. इस रिपोर्ट के आने के बाद बाकी बैंक भी खाते फ़्रीज करने लगे. इन खातों को खुलवाने के लिए स्विस फेडरल कोर्ट में अपील की गई थी. इस अपील के साथ साथ बेनामी व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट कमेटी की रिपोर्ट और हिंडनबर्ग को SEBI के नोटिस की कॉपी भी लगाई थी, लेकिन स्विस कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया. बेनामी व्यक्ति के पास शेयर भारत के कानून का उल्लंघन है. इससे शेयरों की कीमत प्रभावित हो सकती है.
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अदाणी ने सिरे से नकारे थे सभी आरोप
यह खबर आने के के बाद अदाणी ग्रुप ने कहा कि यह उसे बदनाम करने की मुहिम का हिस्सा है. फैसले में उसकी कंपनियों का नाम तक नहीं लिया गया है. The Morning Context की रिपोर्ट कहती है कि स्विस कोर्ट के फैसले में नाम बदलकर लिखे जाते हैं. इस कारण अदाणी ग्रुप का नाम नहीं है लेकिन यह फैसला अदाणी ग्रुप के बारे में ही है. अभी अदाणी ग्रुप की कंपनियों में प्रमोटर होल्डिंग्स 75% से नीचे ही है लेकिन अगर बेनामी तरीके से ज्यादा होल्डिंग्स का आरोप साबित होता है तो SEBI जुर्माना लगा सकता है, शेयरों में कारोबार तक रोक सकता है. ये बात अलग है कि इस केस में खुद SEBI ही आरोपों के घेरे में है.
रिपोर्ट- मिलिंद खांडेकर
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