‘कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता’, शिवराज के बाद अब उमा का रिजर्वेशन पर बड़ा बयान
MP Election 2023: मध्य प्रदेश में चुनावी साल के दौरान ‘माई का लाल’ का मुद्दा एक बार फिर सामने आ गया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बाद अबकी बार पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने बड़ा बयान दिया है. सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान उमा भारती ने मंच से कहा कि ‘कोई माई का […]
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MP Election 2023: मध्य प्रदेश में चुनावी साल के दौरान ‘माई का लाल’ का मुद्दा एक बार फिर सामने आ गया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बाद अबकी बार पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने बड़ा बयान दिया है. सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान उमा भारती ने मंच से कहा कि ‘कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता है.’
मध्यप्रदेश की पूर्व मुख़्यमंत्री उमा भारती ने सोमवार को भोपाल में एक कार्यक्रम के दौरान आरक्षण का खुलकर समर्थन किया. भोपाल में पिछड़ा वर्ग के एक कार्यक्रम में उमा भारती ने कहा कि ओबीसी को सरकारी नौकरी में 27% आरक्षण मिलना चाहिए और एससी-एसटी के अलावा गरीब सवर्णों का भी आरक्षण होना चाहिए. यह व्यवस्था सिर्फ तब बदले जब एसटी-एससी खुद बोले कि उन्हें आरक्षण नहीं चाहिए.
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आरक्षण पर ये भी बोलीं उमा भारती
रिजर्वेशन पर अपनी बात रखते हुए उमा भारती ने कहा, ‘पूरे देश को एक होना चाहिए इस मसले को लेकर के कि ओबीसी का आरक्षण होना चाहिए, एसटी-एससी का आरक्षण होना चाहिए. सरकारी नौकरियों में ओबीसी का 27% आरक्षण होना चाहिए और गरीब सवर्णों का भी 10% आरक्षण होना चाहिए क्योंकि मैंने कई ब्राह्मणों और वैश्य को भी बहुत गरीब देखा है. या तो इस देश की व्यवस्था ही ऐसी हो जाए कि आरक्षण की स्थिति ना रहे. वो स्थिति तब आएगी जब एसटी-एससी खुद कहेंगे कि हमें आरक्षण नहीं चाहिए.’
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उमा ने आगे कहा- ‘उसके पहले यह स्थिति खत्म नहीं की जा सकती. कोई माई का लाल आरक्षण को खत्म नहीं कर सकता. जब तक समाज में एक भी व्यक्ति अधिकरों से वंचित रहेगा तब तक आरक्षण ख़त्म नहीं हो सकता.’
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सवर्णों ने किया था विरोध
उमा से कार्यक्रम के बाद जब पत्रकारों ने सवाल पूछा कि शिवराज ने भी 2018 में यही कहा था तो उमा भारती ने कहा कि ‘इसमें गलत क्या है अगर दोनों एक जैसी बात करे तो अच्छी बात है.’ आपको बता दें कि साल 2018 में शिवराज सिंह चौहान ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि ‘हमारे होते हुए कोई ताकत, कोई माई का लाल आरक्षण समाप्त नहीं कर सकता.’ और उसके बाद चुनाव के दौरान सवर्ण वर्ग ने उनके इस बयान का जमकर विरोध किया था.